परमेश्वर के प्रेम के बारे में बाइबल वचन
परमेश्वर के प्रेम के बारे में बाइबल वचन |
परमेश्वर का प्रेम ही एकमात्र प्रेम है जो कभी लड़खड़ाता नहीं है और कभी असफल नहीं होता है। अपने विश्वास में आराम लीजिए और जाने कि परमेश्वर वास्तव में आपसे प्यार करता है, अभी और हमेशा के लिए। " प्रियों, हमें एक दूसरे से प्रेम करना चाहिए, क्योंकि ईश्वर प्रेम है, और जो प्रेम करता है वह ईश्वर से जन्मा है और ईश्वर को जानता है। जो कोई भी प्रेम नहीं करता है वह ईश्वर को नहीं जानता, क्योंकि ईश्वर प्रेम है।"
यशायाह 41:10 - " मत डर, क्योंकि मैं तेरे संग हूं, इधर उधर मत ताक, क्योंकि मैं तेरा परमेश्वर हूं; मैं तुझे दृढ़ करूंगा और तेरी सहायता करूंगा, अपने धर्ममय दाहिने हाथ से मैं तुझे सम्हाले रहूंगा॥
भजन संहिता 46:1 - " परमेश्वर हमारा शरणस्थान और बल है, संकट में अति सहज से मिलने वाला सहायक।
यूहन्ना 8:12 - " तब यीशु ने फिर लोगों से कहा, जगत की ज्योति मैं हूं; जो मेरे पीछे हो लेगा, वह अन्धकार में न चलेगा, परन्तु जीवन की ज्योति पाएगा।
व्यवस्थाविवरण 33:27 -" अनादि परमेश्वर तेरा गृहधाम है, और नीचे सनातन भुजाएं हैं। वह शत्रुओं को तेरे साम्हने से निकाल देता, और कहता है, उन को सत्यानाश कर दे॥
भजन संहिता 147:3 -" वह खेदित मन वालों को चंगा करता है, और उनके शोक पर मरहम- पट्टी बान्धता है।
भजन संहिता 121:2 -" मुझे सहायता यहोवा की ओर से मिलती है, जो आकाश और पृथ्वी का कर्ता है॥
यिर्मयाह 3:17 - " उस समय सरूशलेम यहोवा का सिंहासन कहलाएगा, और सब जातियां उसी यरूशलेम में मेरे नाम के निमित्त इकट्ठी हुआ करेंगी, और, वे फिर अपने बुरे मन के हठ पर न चलेंगी।
यूहन्ना 16:33 - " मैं ने ये बातें तुम से इसलिये कही हैं, कि तुम्हें मुझ में शान्ति मिले; संसार में तुम्हें क्लेश होता है, परन्तु ढाढ़स बांधो, मैं ने संसार को जीन लिया है॥
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