“हर बात में धन्यवाद करो: क्योंकि तुम्हारे लिये मसीह यीशु में परमेश्वर की यही इच्छा है”। (1 थिस्सलुनीकियों 5:18).
हर बात मे परमेश्वर को धन्यवाद दे।आप जीवन में किसी भी परेशानियों या परिस्थितियों का सामना क्यों ना करें रहें हो उसे धन्यवाद दे।
आप ने अय्यूब के बारे मे पढ़ा होगा की उसका जीवन किन परिस्थितियों से होकर गुजरा। उसनें अपने परिवार, धनसम्पत्ति और जो भी उसके पास पालतू जीव-जन्तु थें, सब खो दिए। लेकिन सब कुछ खोने के वावजूद उसनें परमेश्वर को धन्यवाद देना नहीं छोड़ा। और कुछ समयों के पश्चात परमेश्वर ने उस पर अनुग्रह किया और दोगुनी आशीष दी। अय्यूब ने अपने जीवन में जो कुछ भी खोया था। परमेश्वर ने उसे दोगुनी आशीषो के साथ लौटा दिया।
जैसा कि वचन मे लिखा है कि सारी बातें आपके लिए मिलकर भलाई को ही उत्पन्न करती है। (रोमियो 8:28)
परमेश्वर की इच्छा यह है कि आप हमेशा धन्यवादी स्वभाव बनाए रखें। जिस तरह हमारे भले कामो के द्वारा दुसरो के लिए हम धन्यवादी होतें है, तो हमें भी परमेश्वर को हमारे जीवन मे किए गये कार्यो के लिए धन्यवादी होना है। वह सब बातों में धन्यवाद करने को कहते है । क्योंकि वह जानते है कि आपको कभी भी हानि नहीं पहुंच सकता।
सच्ची मसीहत परमेश्वर के वचन में विश्वास से जीना हैं । जो आप उसके द्वारा करने की उम्मीद करते हैं उसके लिऐ नहीं लेकिन उन सभी बातों के लिए जो वह पहले से ही कर दिया है । आप हमेशा धन्यवादी रहते हैं और परमेश्वर की महिमा करते हैं । आप जान चुके है कि ऐसा कुछ भी नहीं है जो उसने अभी तक आपके लिए नहीं किया है । उसने आपको सब कुछ दिया है और आपको स्वयं के समान बनाया है । यह बात आपके लिऐ हर दिन, हर जगह और हर समय उसकी महिमा करने का कारण होना चाहिए।
अब सवाल है कि “क्या हमें सभी चुनौतियों और समस्याओं के लिए धन्यवाद देना चाहिऐ ?” हो सकता है आप के मन मे यह सवाल हो या कोई और अपसे यह सवाल करे । उत्तर है - हाँ, वचन कहता हैं कि हमें सभी परिस्थितियों में धन्यवाद देना चाहिए। अय्यूब के सम्मान।
दूसरे शब्दों में कहे तो कोई भी परिस्थिति क्यों न हो हमें धन्यवाद देना हैं । इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपके जीवन में या आपके आसपास क्या हो रहा है इस बात को जानते हुए भी कि वह आपको पहले से ही जय दे चुका है परमेश्वर का धन्यवाद करो । आपको समझना होगा कि जीवन में आप के लिए हानि उठाना असंभव है । आपको मसीह सभी परेशानियों और परिस्थितियों में हमेशा विजयी बनाता है । इसलिए, जब वह कहता है कि हम सभी बातों में धन्यवाद करना है यह इस समझ के साथ होता है ।
बाइबल कहती है, “और वचन से या काम से जो कुछ भी करो सब प्रभु यीशु के नाम से करो, और उसके द्वारा परमेश्वर पिता का धन्यवाद करो” (कुलुस्सियों 3:17).
याकूब 1:2-3, “हे मेरे भाइयों, जब तुम नाना प्रकार की परीक्षाओं में पड़ो तो इसको पूरे आनन्द की बात समझो”। उसने यह नहीं कहा कि आप को अलग-अलग परीक्षाओं से बचने के लिए परमेश्वर के सामने रोना है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इस जीवन में कोई भी बात सफलतापूर्वक आपके खिलाफ खड़े नही हो सकते। जो कुछ भी अस्तित्व मे है चाहे जीवित हो या निर्जीव, दोनों ही आपके विजय के लिए एक साथ काम कर रहे हैं। यही कारण है कि आपको परमेश्वर का धन्यवाद करते हुऐ हमेशा आनन्द से भरा होना चाहिए।
बाइबल कि धन्यवादी आयतें...
जिस समय वे गाकर स्तुति करने लगे, उसी समय यहोवा ने अम्मोनियों, मोआबियों और सेईर के पहाड़ी देश के लोगों पर जो यहूदा के विरुद्ध आ रहे थे, घातकों को बैठा दिया और वे मारे गए। 2 इतिहास 20:22
...क्योंकि यहोवा का आनन्द तुम्हारा दृढ़ गढ़ है। नेहेमेयाह 8:10
धन्यवाद के बलिदान का चढ़ानेवाला मेरी महिमा करता है; और जो अपना चरित्र उत्तम रखता है उसको मैं परमेश्वर का किया हुआ उद्धार दिखाऊंगा। भजन संहिता 50:23
क्या ही धन्य है वह समाज जो आनन्द के ललकार को पहिचानता है; हे यहोवा वे लोग तेरे मुख के प्रकाश में चलते हैं। भजन संहिता 89:15
तब उन में से धन्य कहने, और आनन्द करने का शब्द सुनाई पड़ेगा। मैं उनका वैभव बढ़ाऊंगा, और वे थोड़े न होंगे। यर्मियाह 30:19
परमेश्वर की स्तुति करते थे, और सब लोग उन से प्रसन्न थे; और जो उद्धार पाते थे, उनको प्रभु प्रति दिन उन में मिला देता था। प्रेरितों के काम 2:47
किसी भी बात की चिन्ता मत करो; परन्तु हर एक बात में तुम्हारे निवेदन, प्रार्थना और बिनती के द्वारा धन्यवाद के साथ परमेश्वर के सम्मुख अपस्थित किए जाएं। फिलिप्पियों 4:6
धन्य हो तुम, जब मनुष्य मेरे कारण झूठ बोल बोलकर तुम्हरे विरोध में सब प्रकार की बुरी बात कहें। आनन्दित और मगन होना क्योंकि तुम्हारे लिये स्वर्ग में बड़ा फल है इसलिये कि उन्होंने उन भविष्यद्वक्ताओं को जो तुम से पहिले थे इसी रीति से सताया था। तुम पृथ्वी के नमक हो; परन्तु यदि नमक का स्वाद बिगड़ जाए, तो वह फिर किस वस्तु से नमकीन किया जाएगा? मत्ती 5:10-12
धन्य हो तुम, जब मनुष्य के पुत्र के कारण लोग तुम से बैर करेंगे, और तुम्हें निकाल देंगे, और तुम्हारी निन्दा करेंगे, और तुम्हारा नाम बुरा जानकर काट देंगे। उस दिन आनन्दित होकर उछलना, क्योंकि देखो, तुम्हारे लिये स्वर्ग में बड़ा प्रतिफल है; उन के बाप-दादे भविष्यद्वक्ताओं के साथ भी वैसा ही किया करते थे। लूका 6:22, 23
संसार में तुम्हें क्लेश होता है, परन्तु ढाढ़स बांधो, मैं ने संसार को जीत लिया है। युहन्ना 16:33
वे इस बात से आनन्दित होकर महासभा के साम्हने से चले गए, कि हम उसके नाम के लिये निरादर होने के योग्य तो ठहरे। प्रेरितों के काम 5:41
हे मनुष्य, भला तू कौन है, जो परमेश्वर का साम्हना करता है? क्या गढ़ी हुई वस्तु गढ़नेवाले से कह सकती है कि तू ने मुझे ऐसा क्यों बनाया है? रोमियों 9:20
शोक करनेवाले के समान हैं, परन्तु सर्वदा आनन्द करते हैं, कंगालों के जैसे हैं, परन्तु बहुतों को धनवान बना देते हैं; ऐसे हैं जैसे हमारे पास कुछ नहीं तौभी सब कुछ रखते हैं। 2 कुरिन्थियों 6:10
...क्योंकि मैं ने यह सीखा है कि जिस दशा में हूं, उसी में सन्तोष करूं। फिलिप्पियों 4:11
हर बात में धन्यवाद करो; क्योंकि तुम्हारे लिये मसीह यीशु में परमेश्वर की यहीं इच्छा है। 1 थिस्सलुनिकियों 5:18
क्योंकि तुम कैदियों के दुख में भी दुखी हुए, और अपनी संपत्ति भी आनन्द से लुटने दी, यह जानकर, कि तुम्हारे पास स्वर्ग में एक और भी उत्तम और सर्वदा ठहरने वाली संपत्ति है। इब्रानियों 10:34
उस से तुम बिन देखे प्रेम रखते हो, और अब तो उस पर बिन देखे भी विश्वास करके ऐसे आनन्दित और मगन होते हो, जो वर्णन से बाहर और महिमा से भरा हुआ है। 1 पतरस 1:8
और यदि तुम धर्म के कारण दुख भी उठाओ, तो धन्य हो; पर उन के डराने से मत डरो, और न घबराओ। 1 पतरस 3:14
पर जैसे जैसे मसीह के दुखों में सहभागी होते हो, आनन्द करो, जिस से उसकी महिमा के प्रगट होते समय भी तुम आनन्दित और मगन हो। पर यदि कोई मसीही होने के कारण दुख पाए, तो लज्ज़ित न हो, पर इस बात के लिये परमेश्वर की महिमा करे। 1 पतरस 4:13,16
हे धर्मियों यहोवा के कारण आनन्दित और मगन हो, और हे सब सीधे मन वालों आनन्द से जय जयकार करो। भजन संहिता 32:11
हे धर्मियों यहोवा के कारण जय जयकार करो क्योंकि धर्मी लोगों को स्तुति करनी सोहती है। भजन संहिता 33:1
(दाऊद का भजन, जब उसने अबीमेलेक के सामने अपना व्यवहार बदला; और उसने उसे अपने सामने से निकल दिया।) मैं हर समय यहोवा को धन्य कहा करूंगा, उसकी स्तुति निरन्तर मेरे मुख से होती रहेगी। भजन संहिता 34:1
तब मेरे मुंह से तेरे धर्म की चर्चा होगी, और दिन भर तेरी स्तुति निकलेगी। भजन संहिता 35:28
धन्य है प्रभु, जो प्रति दिन हमारा बोझ उठाता है, वही हमारा उद्धारकर्ता ईश्वर है। भजन संहिता 68:19
मेरे मुंह से तेरे गुणानुवाद, और दिन भर तेरी शोभा का वर्णन बहुत हुआ करे। भजन संहिता 71:8
यहोवा का धन्यवाद करना भला है, हे परमप्रधान, तेरे नाम का भजन गाना; प्रात:काल को तेरी करूणा, और प्रति रात तेरी सच्चाई का प्रचार करना। भजन संहिता 92:1
उसके फाटकों से धन्यवाद, और उसके आंगनों में स्तुति करते हुए प्रवेश करो, उसका धन्यवाद करो, और उसके नाम को धन्य कहो!भजन संहिता 100:4
हे मेरे मन, यहोवा को धन्य कह; और जो कुछ मुझ में है, वह उसके पवित्रा नाम को धन्य कहे! हे मेरे मन, यहोवा को धन्य कह, और उसके किसी उपकार को न भूलना। भजन संहिता 103:1, 2
लोग यहोवा की करूणा के कारण, और उन आश्चर्यकर्मों के कारण, जो वह मनुष्यों के लिये करता है, उसका धन्यवाद करें! भजन संहिता 107:8
और वे धन्यवाद बलि चढ़ाएं, और जय जयकार करते हुए, उसके कामों का वर्णन करें। भजन संहिता 107:22
उदयाचल से लेकर अस्ताचल तक, यहोवा का नाम स्तुति के योग्य है। भजन संहिता 113:3
हम स्वर्गवासी परमेश्वर की ओर मन लगाएं और हाथ फैलाएं; विलापगीत 3:41
परन्तु मैं ऊंचे शब्द से धन्यवाद करके तुझे बलिदान चढ़ाऊंगा; योना 2:9
और आपस में भजन और स्तुतिगान और आत्मिक गीत गाया करो, और अपने अपने मन में प्रभु के साम्हने गाते और कीर्तन करते रहो। और सदा सब बातों के लिये हमारे प्रभु यीशु मसीह के नाम से परमेश्वर पिता का धन्यवाद करते रहो। इफिसियों 5:19,20
हर बात में धन्यवाद करो; क्योंकि तुम्हारे लिये मसीह यीशु में परमेश्वर की यहीं इच्छा है। 1 थिस्सलुनिकियों 5:18
इसलिये हम उसके द्वारा स्तुति रूपी बलिदान, अर्थात उन होठों का फल जो उसके नाम का अंगीकार करते हैं, परमेश्वर के लिथे सर्वदा चढ़ाया करें। इब्रानियों 13:15
...हे हमारे परमेश्वर से सब डरनेवाले दासों, क्या छोटे, क्या बड़े, तुम सब उस की स्तुति करो। प्रकाशितवाक्य 19:5
परमेश्वर आपको आशीष दे ।
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