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विश्वास, आशा, प्रेम ये तीनों स्थाई हैं, पर " इन में सब से बड़ा प्रेम है "।

विश्वास, आशा, प्रेम ये तीनों स्थाई हैं, पर " इन में सब से बड़ा प्रेम है "। 
विश्वास, आशा, प्रेम ये तीनों स्थाई हैं, पर " इन में सब से बड़ा प्रेम है "।

पर अब विश्वास, आशा, प्रेम ये तीनों स्थाई हैं, पर इन में सब से बड़ा प्रेम है। 1 कुरिन्थियों 13:13


आज दुनिया मे हर कोई एक दूसरे से प्रेम करता है।

माँ - बाप अपने बच्चों से प्रेम करते , बच्चे अपने मां - बाप से प्रेम करते हैं। भाई - बहन एक दूसरे से प्रेम करते हैं। पति - पत्नी एक दूसरे से प्रेम करते हैं। लड़का - लड़की एक दूसरे से प्रेम करते हैं। सब एक दूसरे से प्रेम करते हैं । कहते हैं प्रेम से बड़कर और कोई सामर्थ नहीं ।

फिर दुनिया में इतनी नफरत है, कयों ? कियोंकि यह ससांर का प्रेम है , जिसमे सिर्फ स्वार्थ छिपा है। जिस तरह यह ससांर एक दिन लुप्त हो जाएगी वैसे ही इस ससांर का प्रेम भी लुप्त हो जाएगी।

" सच्चा प्रेम मसीह का प्रेम है "


असल प्रेम भावनाओं से भरे और भाउक एहसास से बड़कर होता है। प्यार एक फैसला है , एक चुनाव है। हमारे लिए  क्या बेहतर है, यह सोचने के वजाय कया हम ऐसा काम करना चाहते हैं जो दूसरों के लिए बेहतर हो।

यीशु मसीह ने कहा " सबसे बड़ा प्रेम है " जिसे कोई व्यक्ति कर सकता है वह यह है अपने मित्रो के लिए प्राण निछावर कर देना।

यीशु ने कहा और ऐसा किया भी , जब हम निरबल हि थे तब हम भक्तहीनो के लिए अपने आप को बलिदान कर दिया। अब देखो कोई धार्मि व्यक्ति के लिए नहीं मरता। हो सकता है कि कोई सच्चे मनुष्य के लिए कोई प्राण त्यागने का साहस कर भी सकता है। लेकिन परमेश्वर ने अपना प्रेम हम पर तब प्रकट किया जब हम पापी ही थे, किन्तु हमारे लिए अपने प्राण त्यागे।


 "परमेश्वर प्रेम है"

क्‍योंकि परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उस ने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे, वह नाश न हो, परन्‍तु अनन्‍त जीवन पाए। यूहन्ना 3:16

मसीह हमारे लिय एक आदर्श जीवन दे गया है कि हम उसके पद चिनो पर चले । जैसे उसने हमसे प्रेम रखा तो हमें भी एक दुसरे से प्रेम रखना चाहिए।

और सब में श्रेष्ठ बात यह है कि एक दूसरे से अधिक प्रेम रखो; क्‍योंकि प्रेम अनेक पापों को ढ़ाप देता है। 1 पतरस 4:8

प्रेम के इन बाइबल के आयतों को पढें...

उस ने उस से कहा, तू परमेश्वर अपने प्रभु से अपने सारे मन और अपने सारे प्राण और अपनी सारी बुद्धि के साथ प्रेम रख। बड़ी और मुख्य आज्ञा तो यही है। और उसी के समान यह दूसरी भी है, कि तू अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रख। ये ही दो आज्ञाएं सारी व्यवस्था और भविष्यद्वक्ताओं का आधार है। मत्ती 22:37-40

हम ने प्रेम इसी से जाना, कि उस ने हमारे लिये अपने प्राण दे दिए; और हमें भी भाइयों के लिये प्राण देना चाहिए। पर जिस किसी के पास संसार की संपत्ति हो और वह अपने भाई को कंगाल देखकर उस पर तरस न खाना चाहे, तो उस में परमेश्वर का प्रेम क्‍योंकर बना रह सकता है। हे बालको, हम वचन और जीभ ही से नहीं, पर काम और सत्य के द्वारा भी प्रेम करें। 1 युहन्ना 3:14-18


 हे प्रियों, हम आपस में प्रेम रखें, क्‍योंकि प्रेम परमेश्वर से है; और जो कोई प्रेम करता है, वह परमेश्वर से जन्मा है और परमेश्वर को जानता है। जो प्रेम नहीं रखता, वह परमेश्वर को नहीं जानता है, क्‍योंकि परमेश्वर प्रेम है। 1 युहन्ना 4:7-8

 क्‍योंकि सारी व्यवस्था इस एक ही बात में पूरी हो जाती है, कि तू अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रख। गलतियों 5:14

 यदि तुम मुझ से प्रेम रखते हो, तो मेरी आज्ञाओं को मानोगे। युहन्ना 14:15

 मैं तुम से सच कहता हूं, कि तुम ने जो मेरे इन छोटे से छोटे भाइयों में से किसी एक के साथ किया, वह मेरे ही साथ किया। मत्ती 25:40

 इस कारण जो कुछ तुम चाहते हो, कि मनुष्य तुम्हारे साथ करें, तुम भी उन के साथ वैसा ही करो; क्‍योंकि व्यवस्था और भविष्यद्वक्तओं की शिक्षा यही है। मत्ती 7:12

 और यदि किसी को किसी पर दोष देने को कोई कारण हो, तो एक दूसरे की सह लो, और एक दूसरे के अपराध क्षमा करो, जैसे प्रभु ने तुम्हारे अपराध क्षमा किए, वैसे ही तुम भी करो। और इन सब के ऊपर प्रेम को जो सिद्धता का कटिबन्‍ध है बान्‍ध लो। कुलुस्सियों 3:13, 14

 जो कुछ करते हो प्रेम से करो। 1 कुरिन्थियों 16:14

 इस से बड़ा प्रेम किसी का नहीं, कि कोई अपके मित्रों के लिये अपना प्राण दे। युहन्ना 15:13

 हम इसलिये प्रेम करते हैं, कि पहिले उस ने हम से प्रेम किया। 1 युहन्ना 4:19

 क्‍योंकि मैं निश्‍चय जानता हूं, कि न मृत्यु, न जीवन, न स्‍वर्गदूत, न प्रधानताएं, न वर्तमान, न भविष्य, न सामर्थ, न ऊंचाई, न गहिराई और न कोई और सृष्‍टि, हमें परमेश्वर के प्रेम से, जो हमारे प्रभु मसीह यीशु में है, अलग कर सकेगी।रोमियों 8:38, 39

 मैं तुम्हें एक नई आज्ञा देता हूं, कि एक दूसरे से प्रेम रखो: जैसा मैं ने तुम से प्रेम रखा है, वैसा ही तुम भी एक दुसरे से प्रेम रखो। युहन्ना 13:34


 जिस के पास मेरी आज्ञा है, और वह उन्‍हें मानता है, वही मुझ से प्रेम रखता है, और जो मुझ से प्रेम रखता है, उस से मेरा पिता प्रेम रखेगा, और मैं उस से प्रेम रखूंगा, और अपने आप को उस पर प्रगट करूंगा । उस यहूदा ने जो इस्‍किरयोती न था, उस से कहा, हे प्रभु, क्‍या हुआ की तू अपने आप को हम पर प्रगट किया चाहता है, और संसार पर नहीं। यीशु ने उस को उत्तर दिया, यदि कोई मुझ से प्रेम रखे, तो वह मेरे वचन को मानेगा, और मेरा पिता उस से प्रेम रखेगा, और हम उसके पास आएंगे, और उसके साथ वास करेंगे। जो मुझ से प्रेम नहीं रखता, वह मेरे वचन नहीं मानता, और जो वचन तुम सुनते हो, वह मेरा नहीं वरन पिता का है, जिस ने मुझे भेजा। युहन्ना 14:21-28

 प्रेम निष्‍कपट हो, बुराई से घृणा करो, भलाई मे लगे रहो। रोमियों 12:9

 हे प्रियों, जब परमेश्वर ने हम से ऐसा प्रेम किया, तो हम को भी आपस में प्रेम रखना चाहिए। 1 युहन्ना 4:11

और उस से हमें यह आज्ञा मिली है, कि जो कोई अपने परमेश्वर से प्रेम रखता है, वह अपने भाई से भी प्रेम रखे। 1 युहन्ना 4:21

 जो प्रेम परमेश्वर हम से रखता है , वह इससे प्रकट हुआ , की परमेश्वर ने अपना एकलौता पुत्र को जगत में भेजा है , कि हम उसके द्वारा जीवन पाए।
प्रेम इस में नहीं की हम ने परमेश्वर से प्रेम किया ,पर इस में है, कि उस ने हम से प्रेम किया और हमारे पापो के प्रायचित के लिए अपने पुत्र को भेजा।

परमेश्वर आपको आशीष दे।

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