भजन संहिता 91- यहोवा मेरा शरणस्थान और गढ़ है । Psalm 91 In Hindi - Click Bible

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भजन संहिता 91- यहोवा मेरा शरणस्थान और गढ़ है । Psalm 91 In Hindi

यहोवा मेरा शरणस्थान और गढ़ है - भजन/ Psalm 91

भजन संहिता 91- यहोवा मेरा शरणस्थान और गढ़ है । Psalm 91 In Hindi

भजन संहिता 91, बाइबल का एक अत्यंत लोकप्रिय अध्याय है, जो परमेश्वर की सुरक्षा, शांति और विश्वास के संदेश को उजागर करता है। यह अध्याय उन लोगों के लिए एक आश्वासन है, जो अपने जीवन की चुनौतियों और संकटों में परमेश्वर पर भरोसा करते हैं। इसमें परमप्रधान परमेश्वर को शरणस्थान और गढ़ के रूप में प्रस्तुत किया गया है, जो अपने प्रेम करने वालों की हर विपत्ति से रक्षा करता है।  

यह अध्याय हमें सिखाता है कि चाहे संकट का समय हो या डरावनी रातें, परमेश्वर का सामर्थ्य और उसकी सच्चाई हमारी ढाल है। वह अपने स्वर्गदूतों के माध्यम से हमारी रक्षा करता है और हमें हर खतरनाक स्थिति से सुरक्षित निकालता है।  

जो लोग परमेश्वर से सच्चा प्रेम करते हैं और उसका नाम जानते हैं, उनके लिए यह अध्याय यह वादा करता है कि वह उन्हें दीर्घायु और उद्धार का आशीर्वाद देगा। भजन संहिता 91 हमें सिखाती है कि परमेश्वर पर भरोसा रखने से हमारे जीवन में शांति और सुरक्षा बनी रहती है।  

यह अध्याय न केवल हमें प्रोत्साहित करता है, बल्कि संकट और चुनौतियों के समय में हमारी आत्मा को बल प्रदान करता है। यह हमें याद दिलाता है कि परमेश्वर हमारे साथ हर समय मौजूद है, हमें केवल उसकी छाया में शरण लेने की आवश्यकता है।

भजन संहिता 91


1 जो परमप्रधान के छाए हुए स्थान में बैठा रहे, वह सर्वशक्तिमान की छाया में ठिकाना पाएगा।

2 मैं यहोवा के विषय कहूंगा, कि वह मेरा शरणस्थान और गढ़ है; वह मेरा परमेश्वर है, मैं उस पर भरोसा रखूंगा।

3 वह तो तुझे बहेलिये के जाल से, और महामारी से बचाएगा;

4 वह तुझे अपने पंखों की आड़ में ले लेगा, और तू उसके पैरों के नीचे शरण पाएगा; उसकी सच्चाई तेरे लिये ढाल और झिलम ठहरेगी।

5 तू न रात के भय से डरेगा, और न उस तीर से जो दिन को उड़ता है,

6 न उस मरी से जो अन्धेरे में फैलती है, और न उस महारोग से जो दिन दुपहरी में उजाड़ता है॥

7 तेरे निकट हजार, और तेरी दाहिनी ओर दस हजार गिरेंगे; परन्तु वह तेरे पास न आएगा।

8 परन्तु तू अपनी आंखों की दृष्टि करेगा और दुष्टों के अन्त को देखेगा॥

9 हे यहोवा, तू मेरा शरण स्थान ठहरा है। तू ने जो परमप्रधान को अपना धाम मान लिया है,

10 इसलिये कोई विपत्ति तुझ पर न पड़ेगी, न कोई दु:ख तेरे डेरे के निकट आएगा॥

11 क्योंकि वह अपने दूतों को तेरे निमित्त आज्ञा देगा, कि जहां कहीं तू जाए वे तेरी रक्षा करें।

12 वे तुझ को हाथों हाथ उठा लेंगे, ऐसा न हो कि तेरे पांवों में पत्थर से ठेस लगे।

13 तू सिंह और नाग को कुचलेगा, तू जवान सिंह और अजगर को लताड़ेगा।

14 उसने जो मुझ से स्नेह किया है, इसलिये मैं उसको छुड़ाऊंगा; मैं उसको ऊंचे स्थान पर रखूंगा, क्योंकि उसने मेरे नाम को जान लिया है।

15 जब वह मुझ को पुकारे, तब मैं उसकी सुनूंगा; संकट में मैं उसके संग रहूंगा, मैं उसको बचा कर उसकी महिमा बढ़ाऊंगा।

16 मैं उसको दीर्घायु से तृप्त करूंगा, और अपने किए हुए उद्धार का दर्शन दिखाऊंगा॥

परमेश्वर आपको आशीष दे।




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