यूहन्ना अनुसार, यीशु को संदेश मिला कि लाजर बीमार है, और उसकी दो बहनें उसकी मदद मांग रही हैं। यीशु अपने अनुयायियों को बताता है: "यह बीमारी मृत्यु में समाप्त नहीं होगी। नहीं, यह परमेश्वर की महिमा के लिए है ताकि परमेश्वर के पुत्र को इसके माध्यम से महिमा मिल सके।"
यीशु ने फिर दो दिनों के लिए प्रस्थान किया। चेले यहूदिया लौटने से डरते हैं, लेकिन यीशु कहता है: "हमारा दोस्त लाजर सो रहा है, लेकिन मैं उसे जगाने जा रहा हूँ।" जब प्रेरितों को गलतफहमी होती है, तो वह स्पष्ट करता है, "लाजर मर गया है, और तुम्हारी खातिर मुझे खुशी है कि मैं वहां नहीं था, ताकि तुम विश्वास कर सको।"
जब वे बैतनिय्याह पहुँचे, तो लाज़र को मरे हुए चार दिन हो चूके थे और दफनाया गया। इससे पहले कि वे शहर में प्रवेश करते, मार्था, लाज़र की बहन, यीशु से मिलने आती है और उससे कहती है: "यदि तुम यहाँ होते, तो मेरा भाई नहीं मरता।" यीशु ने मार्था को आश्वासन दिया कि उसका भाई फिर से उठेगा और कहता है: "मैं पुनरुत्थान और जीवन हूँ। वह जो मुझ पर विश्वास करता है, वह जीवित रहेगा, भले ही वह मर जाए, और जो जीवित रहेगा और मुझ पर विश्वास करता है वह कभी नहीं मरेगा। क्या तुम यह विश्वास करते हो? "
मार्था की पुष्टि है कि वह वास्तव में विश्वास करती है, "हाँ, प्रभु। मुझे विश्वास है कि आप मसीहा हैं, ईश्वर के पुत्र हैं, जो दुनिया में आने वाले हैं", और उसने 'ईश्वर का पुत्र' के रूप में समान किया।
गाँव में प्रवेश करने पर, यीशु की मुलाकात मैरी और उन लोगों से होती है जो उसे सांत्वना देने आए हैं। उनके दुःख और रोने को देखकर, यीशु गहराई में चला गया। फिर, यह पूछने के बाद कि उसे कहाँ दफनाया गया था, जब वह वहां पहुंचे तो - यीशु रोए थे। उसके बाद, यीशु ने कब्र के पत्थर को हटाने के लिए कहा, लेकिन मार्था ने कहा कि गंध होगी। जिस पर यीशु ने जवाब दिया, "क्या मैंने आपको यह नहीं बताया कि यदि आप विश्वास करते हैं, तो आप परमेश्वर की महिमा देखेंगे?"
इसलिए उन्होंने पत्थर हटा लिया। तब यीशु ने देखा और कहा: "पिता, मैं आपको धन्यवाद देता हूं कि आपने मुझे सुना है। मुझे पता था कि आप हमेशा मुझे सुनते हैं, लेकिन मैंने यहां खड़े लोगों के लाभ के लिए यह कहा, कि वे मान सकते हैं कि आपने मुझे भेजा है।"
जब उसने यह कहा था, तो यीशु ने ऊंची आवाज़ में कहा, "लाजर, बाहर आओ!" मृत व्यक्ति बाहर आया, उसके हाथ और पैर सन की पट्टियों और उसके चेहरे के चारों ओर एक कपड़े से लिपटे थे। यीशु ने उनसे कहा, "कब्र के कपड़े उतारो और उसे जाने दो।"
लाज़र का उल्लेख फिर से योहना अध्याय 12 में किया गया है। यीशु फसह से छ: दिन पहले बैतनिय्याह में आया जहाँ लाजर था , जिसे यीशु ने मरे हुओं में से जिलाया था। जब बहुतों ने जाना यीशु और लाजर ने मिलकर कई यहूदियों का ध्यान आकर्षित किया। तब प्रधान याजकों ने लाज़र को मौत के घाट उतारने पर विचार करते हैं कयोंकि उसके कारण बहुतो ने यीशु पर विश्वास करना शुरु किया।
लाजर के चमत्कारी उत्थान से संबंधित इस कहानी का पूरा शास्त्र नीचे देखें!
यूहन्ना 11:1-45
1 मरियम और उस की बहिन मारथा के गांव बैतनिय्याह का लाजर नाम एक मनुष्य बीमार था। 2 यह वही मरियम थी जिस ने प्रभु पर इत्र डालकर उसके पांवों को अपने बालों से पोंछा था, इसी का भाई लाजर बीमार था। 3 सो उस की बहिनों ने उसे कहला भेजा, कि हे प्रभु, देख, जिस से तू प्रीति रखता है, वह बीमार है।
4 यह सुनकर यीशु ने कहा, यह बीमारी मृत्यु की नहीं, परन्तु परमेश्वर की महिमा के लिये है, कि उसके द्वारा परमेश्वर के पुत्र की महिमा हो। 5 और यीशु मारथा और उस की बहन और लाजर से प्रेम रखता था। 6 सो जब उस ने सुना, कि वह बीमार है, तो जिस स्थान पर वह था, वहां दो दिन और ठहर गया। 7 फिर इस के बाद उस ने चेलों से कहा, कि आओ, हम फिर यहूदिया को चलें। 8 चेलों ने उस से कहा, हे रब्बी, अभी तो यहूदी तुझे पत्थरवाह करना चाहते थे, और क्या तू फिर भी वहीं जाता है?
9 यीशु ने उत्तर दिया, क्या दिन के बारह घंटे नहीं होते यदि कोई दिन को चले, तो ठोकर नहीं खाता है, क्योंकि इस जगत का उजाला देखता है। 10 परन्तु यदि कोई रात को चले, तो ठोकर खाता है, क्योंकि उस में प्रकाश नहीं। 11 उस ने ये बातें कहीं, और इस के बाद उन से कहने लगा, कि हमारा मित्र लाजर सो गया है, परन्तु मैं उसे जगाने जाता हूं। 12 तब चेलों ने उस से कहा, हे प्रभु, यदि वह सो गया है, तो बच जाएगा। 13 यीशु ने तो उस की मृत्यु के विषय में कहा था: परन्तु वे समझे कि उस ने नींद से सो जाने के विषय में कहा। 14 तब यीशु ने उन से साफ कह दिया, कि लाजर मर गया है। 15 और मैं तुम्हारे कारण आनन्दित हूं कि मैं वहां न था जिस से तुम विश्वास करो, परन्तु अब आओ, हम उसके पास चलें।
16 तब थोमा ने जो दिदुमुस कहलाता है, अपने साथ के चेलों से कहा, आओ, हम भी उसके साथ मरने को चलें।
17 सो यीशु को आकर यह मालूम हुआ कि उसे कब्र में रखे चार दिन हो चुके हैं। 18 बैतनिय्याह यरूशलेम के समीप कोई दो मील की दूरी पर था। 19 और बहुत से यहूदी मारथा और मरियम के पास उन के भाई के विषय में शान्ति देने के लिये आए थे। 20 सो मारथा यीशु के आने का समचार सुनकर उस से भेंट करने को गई, परन्तु मरियम घर में बैठी रही।
21 मारथा ने यीशु से कहा, हे प्रभु, यदि तू यहां होता, तो मेरा भाई कदापि न मरता। 22 और अब भी मैं जानती हूं, कि जो कुछ तू परमेश्वर से मांगेगा, परमेश्वर तुझे देगा। 23 यीशु ने उस से कहा, तेरा भाई जी उठेगा।
24 मारथा ने उस से कहा, मैं जानती हूं, कि अन्तिम दिन में पुनरुत्थान के समय वह जी उठेगा।
25 यीशु ने उस से कहा, पुनरुत्थान और जीवन मैं ही हूं, जो कोई मुझ पर विश्वास करता है वह यदि मर भी जाए, तौभी जीएगा। 26 और जो कोई जीवता है, और मुझ पर विश्वास करता है, वह अनन्तकाल तक न मरेगा, क्या तू इस बात पर विश्वास करती है?
27 उस ने उस से कहा, हां हे प्रभु, मैं विश्वास कर चुकी हूं, कि परमेश्वर का पुत्र मसीह जो जगत में आनेवाला था, वह तू ही है। 28 यह कहकर वह चली गई, और अपनी बहिन मरियम को चुपके से बुलाकर कहा, गुरू यहीं है, और तुझे बुलाता है।
29 वह सुनते ही तुरन्त उठकर उसके पास आई।
30 (यीशु अभी गांव में नहीं पहुंचा था, परन्तु उसी स्थान में था जहां मारथा ने उस से भेंट की थी।)
31 तब जो यहूदी उसके साथ घर में थे, और उसे शान्ति दे रहे थे, यह देखकर कि मरियम तुरन्त उठके बाहर गई है और यह समझकर कि वह कब्र पर रोने को जाती है, उसके पीछे हो लिये। 32 जब मरियम वहां पहुंची जहां यीशु था, तो उसे देखते ही उसके पांवों पर गिर के कहा, हे प्रभु, यदि तू यहां होता तो मेरा भाई न मरता।
33 जब यीशु न उस को और उन यहूदियों को जो उसके साथ आए थे रोते हुए देखा, तो आत्मा में बहुत ही उदास हुआ, और घबरा कर कहा, तुम ने उसे कहां रखा है?
34 उन्होंने उस से कहा, हे प्रभु, चलकर देख ले।
35 यीशु के आंसू बहने लगे।
36 तब यहूदी कहने लगे, देखो, वह उस से कैसी प्रीति रखता था।
37 परन्तु उन में से कितनों ने कहा, क्या यह जिस ने अन्धे की आंखें खोली, यह भी न कर सका कि यह मनुष्य न मरता
38 यीशु मन में फिर बहुत ही उदास होकर कब्र पर आया, वह एक गुफा थी, और एक पत्थर उस पर धरा था।
39 यीशु ने कहा; पत्थर को उठाओ: उस मरे हुए की बहिन मारथा उस से कहने लगी, हे प्रभु, उस में से अब तो र्दुगंध आती है क्योंकि उसे मरे चार दिन हो गए।
40 यीशु ने उस से कहा, क्या मैं ने तुझ से न कहा था कि यदि तू विश्वास करेगी, तो परमेश्वर की महिमा को देखेगी।
41 तब उन्होंने उस पत्थर को हटाया, फिर यीशु ने आंखें उठाकर कहा, हे पिता, मैं तेरा धन्यवाद करता हूं कि तू ने मेरी सुन ली है।
42 और मै जानता था, कि तू सदा मेरी सुनता है, परन्तु जो भीड़ आस पास खड़ी है, उन के कारण मैं ने यह कहा, जिस से कि वे विश्वास करें, कि तू ने मुझे भेजा है।
43 यह कहकर उस ने बड़े शब्द से पुकारा, कि हे लाजर, निकल आ। 44 जो मर गया था, वह कफन से हाथ पांव बन्धे हुए निकल आया और उसका मुंह अंगोछे से लिपटा हुआ तें यीशु ने उन से कहा, उसे खोलकर जाने दो॥
45 तब जो यहूदी मरियम के पास आए थे, और उसका यह काम देखा था, उन में से बहुतों ने उस पर विश्वास किया।
परमेश्वर आपको आशीष दे।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें