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नूह और जल - प्रलय । उत्पत्ति । Bible Stories

नूह और जल - प्रलय । उत्पत्ति । Bible Stories

पृथ्वी लोगो से भर गई थी, पर उन्होंने इतना ज्यादा पाप किया कि परमेश्वर को दुख हुआ कि उसने उन्हे बनाया था। उसने पृथ्वी पर से हर एक को मिटाने के लिए एक जल प्रलय भेजने का निर्णय किया।


यहाँ पर नूह नाम का एक धार्मि पुरुष था जो अन्य लोगों से अलग था। नूह परमेश्वर से प्रेम किया और  उनकि आज्ञा का पालन किया। परमेश्वर ने नूह और उसके परिवार को जल - प्रलय से बचाने का निर्णय किया।

नूह और जल - प्रलय । उत्पत्ति । Bible Stories

परमेश्वर ने नूह को जल-प्रलय के बारे में सावधान किया। उसने उसे एक नीची छत , तीन कोठरियों, एक खिड़की, और एक द्वार के साथ एक विशाल जहाज बनाने को कहा। आज्ञा मान , नूह ने ऐसा हि किया और  एक विशाल जहाज का निर्माण किया।


परमेश्वर ने इसके बाद नूह को प्रत्येक जानवर की किस्मों मे दो-दो लेने को कहा; एक नर और एक मादा । तब नूह ने ऐसा ही किया, अपने परिवार और जनवरों के साथ जहाज के अन्दर गए। परमेश्वर ने द्वार को बन्द कर दिया।

नूह और जल - प्रलय । उत्पत्ति । Bible Stories

चालीस दिन और चालीस रात तक बारिश आती रही । पानी आकाश से गिरा और समुद्रों और झीलों से ऊपर आया। यहाँ तक कि सब से ऊंची पहाड़ भी पानी में डुब गए। 


इस सब के दौरान, नूह , उसका परिवार और सभी जानवर बाढ़ के जल के उपर तैरते, जहाज में सुरक्षित थे। परमेश्वर एक पल के लिए भी नूह को भूला नहीं। परमेश्वर ने हवा चलाई । पानी सूखने लगा , जहाज आरारात पहाड़ पर ठहर गया । नूह ने एक कबूतरी को भेजा । जब वो वापिस नहीं आई, तो वो जान गया कि अब सब सूरक्षित हैं।


नूह का समय - अंत के दिनों की चेतावनी 


जब पृथ्वी सूख गई , परमेश्वर ने उन्हें बाहर आने को कहा। उसने आकाश में एक इंद्रधनुष को वादे के रुप में रख कर कहा कि वो कभी भी पूरी पृथ्वी को जल-प्रलय के द्वारा नाश नहीं करेगा।





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