जयवन्त जीवन के लिए सामर्थ्य | Victorious Life - Click Bible

Choose Language

जयवन्त जीवन के लिए सामर्थ्य | Victorious Life

 जयवन्त जीवन के लिए सामर्थ्य |Victorious Life

जयवन्त जीवन के लिए सामर्थ्य | Victorious Life

हमने पिछले पाठ के अध्ययन को तीन पवित्र शास्त्र के पदों के साथ समाप्त किया था। ये पद सामर्थ और पुरानी स्वभाव पर जाए के मार्ग को सुझाते हैं। पुनः निरीक्षण करें (रोमियो 3:3,रोमियो 13:14, रोमियो 8:13) आत्मा के द्वारा शब्दों पर ध्यान दें।


इसलिए अब हम यह कहेंगे कि प्रशासन की शक्ति द्वारा ही हम मसीही जीवन निर्वाह कर सकते हैं। व्यक्तिगत उद्धार का ज्ञान, विजय और जयवन्त जीवन के लिए प्राप्त नहीं है। विजय केवल यह जान लेने से नहीं आती कि मेरे पाप क्षमा हो चुके हैं। यह क्षणप्रतिक्षण ख्रिस्त की ओर से निहारने से आती है। क्रूस पर उद्वारकर्ता ने मेरे लिए कार्य कर दिया था। अब जब मैं पुनरुत्थान प्रभु यीशु की ओर देखता हूं मुझे में आत्मा के द्वारा कार्य होता है। पहले मेरे पाप की दण्ड का उपाय करता है। दूसरे मुझे पाप की सामर्थ्य से छुटकारा देता है। आइये, आत्मा के व्यक्तिगत उपस्थिति और सामर्थ्य पर ध्यान करें।


1. व्यक्ति

परमेश्वर का पवित्रआत्मा एक दिव्य व्यक्ति है। वह पिता और पुत्र के समान ( मत्ती 28:19,2 कुरि. 13:11 इब्रानियों 9:14 )। उसमें सभी परमेश्वरतत्व के गुण हैं ( उत्पत्ति 1:2 ) अय्युब 26:13। वह सिखाता है ( यूहन्ना 14:26 )| वह बोलता है ( गलतियों 4:6 )। वह अगुवाई करता है ( गलतियों 5:18  रोमियो8:26 )। वह प्रेम करता है ( इफी. 4:30 ) और बिनती करता है ( रोमियो 8:26 ) बहुत कुछ उसके व्यक्तिगत के लिए कहा जा सकता है या पवित्र शास्त्र के लिए कहा जा सकता हैं। तह पवित्रशास्त्र के पद स्पष्ट कर देते हैं कि परमेश्वर का आत्मा एक दिव्य व्यक्ति हैं।


2. उपस्थिति 

विश्वासी के भीतर पवित्र आत्मा की उपस्थिति मसीहित के बहुत से महत्वपूर्ण तत्व में एक है। पिन्तेकुस्त से पहले वह विश्वासी के भीतर वास नहीं करता था ( यूहन्ना 7:39,14:17 )। आज वह प्रत्येक सच्चे मसीह के दिल में वास करता है। यह प्रभु यीशु मसीह पर विश्वास करने का प्रतीफल है। यह हमारी आत्मीक  योग्यता से नहीं है। " तुम जो पुत्र हो, इसलिए परमेश्वर ने अपने पुत्र के आत्मा को, जो है अब्बा, हे पिता कहकर पुकारता है, हमारे हृदय में भेजा है" ( गलतियों 4:6 )। पढ़ने वाले इन पदों को अवश्य देखें ( 1 कुरिन्थियों 6:19,12:13, 2, कुरिन्थियों 1:21,22, इफिसियों 1:13 )। पवित्र आत्मा रहित मसीह का चिंतन नहीं करते हैं ( रोमियों 8:9 )। यह परमेश्वर का वरदान परमेश्वर के परिवार के बच्चों के लिए ही हैं ( यूहन्ना 2:18,20 )। सबने पवित्र आत्मा का बपतिस्मा पाया है और पवित्र आत्मा उसमें निवास करती है। परंतु सभी आत्मा से परिपूर्ण नहीं है। हमें आत्मा से परिपूर्ण होने के लिए प्रोत्साहित किया गया है। ( इफि.5:18 )। हम कैसे परिपूर्ण हो सकते हैं ?


" जिस प्रकार से आत्मा - न्याय परमेश्वर पर निर्भर रहकर आत्मा में प्रार्थना करने के द्वारा, आत्म-त्याग के द्वारा और हमारे जीवनों को परमेश्वर की इच्छा अनुसार चलाने के द्वारा आत्मा के लिए स्थान तैयार करते हैं।"  उसी प्रकार आत्मा भी ख्रिस्त यीशु के लिए स्थान बना सकता है।


3. सामर्थ्य 

पवित्र आत्मा की सामर्थ्य अति आवश्यक है। हमें पाप की व्यवस्था तथा मृत्यु से स्वतंत्रता होने की आवश्यकता है। या मनुष्य में प्रभावित गवाही बनने में सहायक होगा। दिव्य शक्ति हमारी हो सकती है जब एक " आत्मा से प्रार्थना " करते हैं और जब हम परमेश्वर के वचन को मानते हैं।


एक भारी हुई बस को पहाड़ी पर चढ़ते हुए अधिक सामर्थ्य की आवश्यकता होती है। उसको इंधन की टंकी में कंपनी द्वारा इंधन दिया गया है परंतु चालक इंजन के द्वारा उसकी खपत पर नियंत्रण रखता है। परमेश्वर भी हमारे मसीही जीवन की सामर्थ्य की आवश्यकताओं को पूरा करता है। परंतु हम उसके द्वारा दी गई प्रत्येक वस्तु के उत्तरदायी हैं।


हमें ख्रिस्त यीशु की ओर देखना तथा वचन में बतलाई गई परमेश्वर की इच्छा के अधिन रहना चाहिए। पवित्र आत्मा हमें पाप की सामर्थ्य से 

( रोमियों 8:2), व्यवस्था के दासत्व से ( गलतियों 5:18 ) और मनुष्य के भय से ( तीमुथियुस 1:7:8 ) छुटकारा देता है। यह नाकारात्मक पहलू है।


सकारात्मक रूप से आत्मा हमारी सहायता करती है


1. ख्रिस्त यीशु के साथ चलने में मदद करता है। "आत्मा के अनुसार चलो तो तुम शरीर की लालसा किसी नीति से पूरी ना करोगे ( गलतियों 5:25 )।" इस प्रकार का चलना, परमेश्वर के ज्ञान में निरंतर बढ़ने का सुझाव देता है और जिससे परमेश्वर की महिमा होती है। यह हमारे विद्यालय, कार्यालय और दुकान या घर के कार्यों में मसीह यीशु का प्रकाशन है।


2. ख्रिस्त यीशु गवाह होने में मदद करता है। यह हमारी सेवा है। हमारे प्रभु यीशु स्वयं भी अपनी महान सेवकाई से का पहले पवित्र आत्मा से परिपूर्ण थे (  लूका 4:1 )। अन्यों पर ध्यान दें जो इसी रीति से परिपूर्ण और उत्साहित हुए ताकि वे प्रभावि द

गवाह हो सकें। निम्न पवित्र शास्त्र के पदों को देखें ( लूका 1:67, प्रेरितों के काम 1:8, 2:4, 4:8, 10, 4:31, 13:9, 52, इफिसियों 5:18-19 पद )


यह भी पढ़े

> विश्वास क्या है - विश्वास कैसे प्राप्त करें 

> दो स्वभाव / पुराना स्वभाव और नया स्वभाव



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें