प्रभु का पुनरागमन Bible Verses About Jesus Coming Back
नये नियम के 260 अध्यायों में 318 बार प्रभु के पुनः आगमन के सिद्धान्त का उल्लेख किया गया है। अर्थात् प्रत्येक 25 पदों में एक बार हनोक जो आदम से सातवाँ था इसका पहला प्रचारक था अर्थात् यही प्रभु के महिमा के उठाये जाने से पहले अंतिम शब्द थे । (प्रकाशितवाक्य 22:20) में उसकी अंतिम पुकार है "मैं शीघ्र आने वाला हूँ।"
नये नियम की प्रत्येक 27 पुस्तकों में इसका उल्लेख है । यह बहुत ही महत्वपूर्ण है । प्रायश्चित के सिद्धान्त को छोड़ किसी और सिद्धान्त पर इतना बल नहीं दिया गया है। ख्रिस्त यीशु का द्वितीय आगमन 'हजार वर्ष से पूर्व' और व्यक्तिगत है । “हजार वर्ष पूर्व" से हमारा तात्पर्य है कि प्रभु यीशु के हजार वर्ष के राज्य से पहले यह धन्य घटना घटेगी। यह मत पवित्रशास्त्र के स्पष्ट वाक्यों को साधारण करने से स्थापित हो जाता है।
('व्यक्तिगत' से हमारा अभिप्राय है, कि हमारा प्रभु स्वयं वापस आयेगा) नया नियम चार लड़ियों में है। (1) सुसमाचार (2) प्रेरितों के काम (3) पत्रियाँ (4) प्रकाशितवाक्य । आइये प्रत्येक के पदों पर ध्यान दें।
1. उसके पुनरागमन की प्रतिज्ञा
मैं जाकर तुम्हारे लिए जगह तैयार करूँगा और फिर आकर तुम्हें अपने यहाँ ले आऊँगा कि जहाँ मैं रहूँ वहाँ तुम भी रहो । हमारे प्रभु ने ऊपर की अटारी में यह प्रतिज्ञा अपनी मृत्यु के पूर्व संध्या को लोगों अर्थात् अपने शिष्यों को दी थी (यूहन्ना 14 अध्याय)। इन पदों को पढ़ने से ज्ञात होता है, कि प्रभु यीशु अपने लोगों के व्याकुल हृदयों को सांत्वना देना चाहता था।
उसने कहा, कि वह अब उन्हें छोड़कर अपना के घर वापिस जाता है। वह वापिस आकर उन्हें महिमा में सहभागी होने के लिए घर ले जायेगा। सो उसका द्वितीय आगमन पिन्तेकुस्त के समान नहीं होगा । कुछ लाग कहते हैं उसकी यह प्रतीक्षा पिन्तेकुस्त या फिर विश्वासी की मृत्यु का १० वह पिन्तेकुस्त के विषय में नहीं कह रहा था।
प्रभु यीश के द्वितीय आगमन का बहुत सी भविष्यवाणियाँ पिन्तेकुस्त के दिन के पश्चात भी की गई थी (प्रका. 3:20,21, रोमियों 13:12, 1 कुरि. 1:7)। उसका अभिप्राय विश्वासी की मृत्यु से भी नहीं था। यह तो प्रभु यीशु के द्वितीय आगमन के विपरीत है । प्रभु यीशु का पुनरागमन परमेश्वर के लोगों की देह को जो 6000 वर्षों से मृत्यु के द्वारा नाश किए गए हैं, बदल डालेगा। परमेश्वर के लोग उसके आगमन पर जी उठेंगे।
हमारा प्रभु यीशु स्वयं वापिस आएगा वह अपना वचन तोड़ नहीं सकता।
2. व्यक्ति जो आ रहा है-
हम नये नियम की ऐतिहासिक पुस्तक, "प्रेरितों के कार्य" को देखेंगे -अध्याय 1: 9, 11 में उस व्यक्ति पर जो आ रहा है।
विशेष बल दिया है। “यही यीशु जो तुम्हारे पास से स्वर्ग पर उठा लिया गया है, जिस रीति से तुम ने उसे स्वर्ग को जाते देखा है उसी रीति से वह फिर आयेगा।" यीशु वापिस आने वाले हैं। कोई और दूसरा नहीं आयेगा। जिस प्रकार से इसहाक खेत में अपनी दुल्हन रिबका को मिलने गया। सो उसी प्रकार से यीशु अपनी कलीसिया के लिए आयेगा। इसको "धन्य आशा" कहते हैं (तीतुस 2:13)। उसके सार्वजनिक रूप से प्रगट होने के समय महान और महिमामय घटनायें होगी, कलीसिया की ये आशा है । वह उसके लिए बाट जोह रही है।
एक माँ जिसका बेटा विदेशी रणभूमि में युद्ध कर रहा हो, उसे उसके बेटे के विषय में सूचना मिले कि वह सैनिक के जहाज में बैठकर वापस आ रहा है। दिन-प्रतिदिन व समुद्री तट के लंगर पर जाती है। वह दूर से आँखें उठाकर देखती है, कि उसे जहाज निकट आता दिखाई पड़े। वह जानती है कि शहर में उत्सव मनाया जायेगा । वह जानती है कि लौटने पर उसके बेटे को आदर सम्मान दिया जायेगा ।
परन्तु यह सब घटनाएँ उसके लिए अल्प रूचि की है । तब जीवित जातियों के न्याय का दिन होगा (मत्ती 25:31, 46)। पृथ्वी भर से सभी विरोधियों और उनके सरदार शैतान को हटा दिया जायेगा। समस्त पृथ्वी की राजधानी यरूशलेम को बनाकर मसीह द्वारा हजार वर्ष का राज्य सार्वजनिक रूप से स्थापित किया जायेगा। इस राज्य की अवधि लगभग एक हजार वर्ष होगा (प्रकाशित 20: 1,6) । विद्यार्थी इन पदों को देख सकते हैं (यशायाह अध्याय 4, 11:1,9, अध्याय 35, आमोस 9 : 13, 15, मीका 4:3)।
3. उसके आगमन की तैयारी__
यदि किसी भी क्षण प्रभु के द्वितीय आगमन की सत्यता हमारे हृदयों को जकड़ ले तो, नि:सन्देह यह पवित्र जीवन के लिए सम्भवतः महान दिन होगा और जो कोई उस पर यह आशा रखता है, वह अपने आपको वैसा ही पवित्र करता है। वह पवित्र है (1 यूहन्ना 3:3), (कुलु. 3:2, 5) तथा संयम (याकूब 5:7,8), प्रार्थना (1 पतरस 4 : 7), सावधानी (2 तीमु. 4:5, 8), शान्ति (फिलि. 45,7) से सुसज्जित रहते हैं, 2 तीमु 4 : 1, 2 को दृष्टि में रखते हुए सदैव प्रभु के कार्य में भरपूरी रखनी चाहिए । वह हमारी सेवा का निरीक्षण करने और प्रतिफल देने आ रहा है।
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