यूहन्ना 10:10 उपदेश | john 10:10 sermon - Click Bible

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यूहन्ना 10:10 उपदेश | john 10:10 sermon

यूहन्ना 10:10 उपदेश | John 10:10 Sermon

यूहन्ना 10:10 उपदेश | john 10:10 sermon


चोर किसी और काम के लिये नहीं परन्तु केवल चोरी करने और घात करने और नष्ट करने को आता है। मैं इसलिये आया कि वे जीवन पाएं, और बहुतायत से पाएं। यूहन्ना 10:10


बाइबल दर्शाती है कि प्रभु यीशु मसीह इस धरती पर इसलिए आएं ताकि वे हम को जीवन दे। और कैसा जीवन ? बहुतायत का जीवन। बहुत बार हम इस बहुतायत के शब्द पर ध्यान देते हैं और सोचते हैं कि क्या हो सकता है इसका मतलब ? क्या बहुतायत का जीवन मतलब बहुत सारा जीवन है। बहुतायत का जीवन का मतलब क्या हो सकता है? एक वचन में लिखा है कि प्रभु यीशु के वचन को अपने जीवन में बहुतायत से बसने दो, जड़ पकड़ने दो। बहुतायत का मतलब होता है - ज़रूरत से ज़्यादा। लेकिन यहां लिखा है कि बहुतायत का जीवन मतलब क्या है ?


क्या इसका मतलब है कि जरूरत से ज्यादा जीवन है। इसका क्या मतलब हो सकता है ?

कौन कह रहा है कि मैं तुम्हें बहुतायत का जीवन देने आया हूं। तो हम देखें कि जीवन का दाता अर्थात प्रभु यीशु स्वयं कह रहें हैं कि मैं बहुतायत का जीवन देने आया हूं। तो एक सवाल उठता है कि हम वही चीज लोगों को दे सकते हैं। या हम वही चीज अपने बच्चों या संतानों को दे सकते हैं, जो हमारे पास है। हम वह चीज कभी दूसरों को नहीं दे सकते हैं, जो हमारे पास है ही नहीं। 


तो आइए देखें कि प्रभु यीशु मसीह जब यह बात को कह रहे थे, कि मैं तुमको बहुतायत से जीवन देने आया हूं। तो क्या यीशु मसीह के जीवन में बहुतायत के जीवन देखने को मिलता है, तो क्या है यह बहुतायत का जीवन ? हम इसे इस प्रकार से देखते हैं। मत्ती रचित सुसमाचार में हम देखते हैं और योहन्ना यूहन्ना रचित सुसमाचार 8 अध्याय उसके 29 वचन में पाते हैं। प्रभु यीशु मसीह इस प्रकार से कहते हैं - " मेरा भेजने वाला मेरे साथ है और उसने मुझे एकेला नहीं छोड़ा, क्योंकि मैं वहीं काम करता हूं जिससे वह प्रसन्न होता है। 


अर्थात प्रभु यीशु मसीह वह काम करते थें, जो परमेश्वर को प्रसन्न होता था। या जिस बात से परमेश्वर को प्रसन्नता मिलती थी। तो एक ऐसा जीवन जो परमेश्वर को प्रसन्न करता हो, वह बहुतायत का जीवन है। अपने बनाने वाला सृजन हार को प्रसन्न करने वाला जीवन एक बहुतायत का जीवन है। देखिए यही कारण है कि प्रभु यीशु मसीह जब बपतिस्मा लिए, तो परमेश्वर ने आकाश से इस प्रकार से कहा; यह मेरा प्रिय पुत्र है और इससे मैं अत्यंत ही प्रसन्न हूं।  


एक ऐसा जीवन जो सोच के देखिए, हमारा जीवन जो जी रहे हैं हम और जब हम प्रभु के जाएंगे या कोई भी मानव जो परमेश्वर के पास जाए और परमेश्वर उससे कहे कि मैं तुझसे बहुत प्रसन्न हूं। मुझे यह नहीं लगता की उससे बढ़कर और कोई इनाम होगा। वह जीवन जो परमेश्वर को प्रसन्न करे। मेरा ऐसा जीवन जो मेरे परमेश्वर को प्रसन्न करे, खुश करे। देखिए पुरी दुनिया जो है परमेश्वर को खुश करने के लिए तुली हुई है। कोई कुछ देकर खुश करता है, तो कोई नारियल देकर, कोई बकरा काटकर, तो कोई मुर्गी काटकर, कोई अपने आप को कष्ट दे कर और सोचता है की परमेश्वर प्रसन्न हो जाए।


लेकिन यहां पर लिखा है परमेश्वर स्वयं कह रहा है यीशु मसीह के लिए कि " यह मेरा प्रिय पुत्र है और मैं इससे अति प्रसन्न हूं।" परमेश्वर ने कई बार इस प्रकार से दोहराया कि मैं इससे प्रसन्न हूं। तो एक ऐसा जीवन जो परमेश्वर को प्रसन्न करता है, वह बहुतायत का जीवन है। दूसरी बात हम देखते हैं कि एक ऐसा जीवन जो यीशु मसीह ने जीया; जो पुरी रिती से परमेश्वर के उपर निर्भर था। परमेश्वर ने कहा है कि धरती और जो कुछ इसमें है वह सब कुछ मेरा बनाया हुआ है। 


भजन संहिता 40 के 8 में इस प्रकार से लिखा है; हे मेरे परमेश्वर मैं तेरी इच्छा पूरी करने से प्रसन्न हूं; और तेरी व्यवस्था मेरे अन्त:करण में बनी है। भजन कार लिखने वाला कहता है - मैं तेरी इच्छा पूरी करने से प्रसन्न हूं। क्या हमारे जीवन में भी यही है, क्या हम प्रभु कि इच्छा को पुरा करने के लिए प्रसन्न होते हैं। या इच्छा को पूरा करते समय प्रसन्न होते हैं। खुशी-खुशी  उसकि इच्छा पुरी करना चाहते हैं। लुका रचित सुसमाचार 22 के 42 में भी प्रभु यीशु ने इस प्रकार से कहा; उसकी प्रार्थना इस प्रकार सी थी...मेरी नहीं परन्तु तेरी ही इच्छा पूरी हो। 


मैं तो चाहता हूं कि यह कटोरा हट जाए, लेकिन प्रभु मेरी नहीं परन्तु तेरी इच्छा पूरी हो। प्रभु यीशु मसीह का हर एक पग, हरेक कदम परमेश्वर कि इच्छा को पूरा करने के लिए बढ़ा। वह परमेश्वर कि इच्छा में पुरी रिती से अधिन हो गया। और यही कारण है कि परमेश्वर उससे प्रसन्न था। तो बहुतायत का जीवन - मुझे लगता है कि प्रभु यीशु मसीह जब कह रहे हैं, तो उसका मतलब ही यही है; कि वह परमेश्वर को प्रसन्न करने वाला जीवन हो। परमेश्वर कि इच्छा  के अधिन वाला जीवन हो और लागातार परमेश्वर के साथ एक घनिष्ठ संगती और घनिष्ठ संबंध वाला जीवन हो। 


प्रभु यीशु मसीह का जीवन हम देखें तो हर पल वह अपने पिता के संबंध में रहते थे, उसकी संगती में रहते थे। कई बार लोगों ने कहा कि यह करो या वह करो, ऐसा चमत्कार दिखाओ। यीशु मसीह ने साफ कह दिया कि अभी मेरा समय नहीं आया है। बहुत अच्छे रिती से कहा; मेरा समय अभी आया नहीं है अर्थात जब परमेश्वर कहेगा मैं पुरा करूंगा।1 कुरिन्थियों 6 के 20 में इस प्रकार से लिखा है; क्योंकि दाम देकर मोल लिये गए हो, इसलिये अपनी देह के द्वारा परमेश्वर की महिमा करो। 


हमें अपने शरीर के अनुसार परमेश्वर कि महिमा करने के लिए हमें खरिदा गया है। किसने खरिदा है? यीशु मसीह ने खरिदा है। उसने खुन दिया है, उसने अपना लहू दिया है। उसने कोड़ों का मार सहा है, क्योंकि मार सह कर हमें चंगा किया है और वह चाहता है हम उसकी इच्छा के अनुसार जिऊं। एक ऐसा जीवन जो हमेशा पाप से जयवन्त होता हो अर्थात पाप को हराता हो। जो शैतान पर जय प्राप्त करता हो, एक ऐसा जीवन जो हमारे प्रतिदिन का जय का जीवन हो, वैसा जीवन बहुतायत का जीवन है।


इब्रानियों का लेखक संत पौलुस इस प्रकार से कहते हैं; इसलिये आओ, हम अनुग्रह के सिंहासन के निकट हियाव बान्धकर चलें, कि हम पर दया हो, और वह अनुग्रह पाएं, जो आवश्यकता के समय हमारी सहायता करे। इब्रानियों 4:16 उसके सिंहासन के समुख हियाव बांध के चले। मेरे प्रियों, हमारे जीवन में भी हम शैतान पर जय प्राप्त करें। हर समय पाप पर जय प्राप्त करें और पाप से युद्ध करें। और एक ऐसा जीवन जीएं जो हमारे प्रभु को भाता हो। 


देखिए एक बहुतायत का जीवन यीशु मसीह के जीवन में एक ऐसा जीवन था। यीशु मसीह ने कैसा जीवन जिया ? प्रभु कहता है वह कितना भी चल रहे थे, फिर रहे थें लोगों को चंगाई दे रहें थे। लोगों के जीवन बहुत सारी परेशानीयां थी, लेकिन यीशु मसीह के अन्दर एक बड़ी शान्ति थी। एक बड़ा अधिकार, एक बड़ा आनंद था। यही कारण है कि लोग उसकी ओर चुम्बक कि भांति आकर्षित होते थे। भिड़े के भिड़ उसके पिछे हो लेती थी, वह सबको प्रेम बांटते थे, सबसे प्रेम से बातें करते थें, सबको चंगाई देते थे, छुटकारा देते थे, कहते थें शान्ति मेले तुमको। 


मैं तुम्हें एक ऐसी शान्ति दिए जाता हूं, जिसे दूनिया नहीं दे सकती। मैं ऐसा आनंद देता हूं, मैं चाहता हूं मेरा आनंद तुम्हारे अन्दर पुरा हो जाए। प्रभु यीशु मसीह का जीवन आनंद वाला जीवन था, प्रार्थना का जीवन था , शान्ति का जीवन था। देखिए वह इतना शान्त और आनंदित था कि सुलि पर चढ़कर कर भी प्रार्थना कर सका; हे प्रभु इनको माफ कर कि यह नहीं जानते कि क्या कर रहे हैं। तो एक ऐसा जीवन जो शान्ति वाला जीवन, आनंद वाला जीवन हो। प्रभु यीशु मसीह का आनंद हमारे अन्दर पुरा हो। 


वह जीवन बहुतायत का जीवन है। ऐसा जीवन जो परमेश्वर को भाता है। प्रीयों, जब कोई व्यक्ति इस प्रकार का जीवन जीता है परमेश्वर कहता है, शाबाश! परमेश्वर चाहता है ऐसा जीवन हमारे अन्दर होने पाए। वह जीवन यीशु मसीह देने आया। यदि हम इस प्रकार का जीवन प्राप्त होता है, तब हम खुल कर उसकी सेवा कर पाते हैं। प्रेरितों के काम 10 अध्याय उसकी 38 आयत में इस प्रकार कहता है; कि परमेश्वर ने किस रीति से यीशु नासरी को पवित्र आत्मा और सामर्थ से अभिषेक किया: वह भलाई करता, और सब को जो शैतान के सताए हुए थे, अच्छा करता फिरा; क्योंकि परमेश्वर उसके साथ था। 


एक ऐसा जीवन जो जिसके साथ परमेश्वर हो। प्रियों, पुराने नियम में हम युसुफ को देखते हैं जेल में था, लेकिन परमेश्वर उसके साथ था। दानिय्येल के जीवन को देखते हैं वह शेर के माँद में था, परन्तु परमेश्वर उसके साथ था। हम देखते हैं शद्रक, मेशक, और अबेदनगो को जो आग के भट्ठे में थे, लेकिन परमेश्वर उनके साथ था। अगर परमेश्वर हमारे साथ है, तो हमारा विरोधी कौन हो सकता है? यदि परमेश्वर हमारे साथ है, तो बहुतायत का जीवन हमारे पास है। 


परमेश्वर आपको इस संदेश के द्वारा आपको आशीष दे।




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