जक्कई कहानी अर्थ - लूका 19:1-10
यीश यरीहो में प्रवेश करके जब वहाँ से जा रहा था तो वहाँ जक्कई नाम का एक व्यक्ति भी मौजूद था। वह कर वसूलने वालों का मुखिया था। सो वह बहुत धनी था। वह यह देखने का यतन कर रहा था कि यीशु कौन है, पर भीड़ के कारण वह देख नहीं पा रहा था क्योंकि उसका कद छोटा था।
सो वह सब के आगे दौड़ता हुआ एक पेड़ पर जा चढ़ा ताकि, वह उसे देख सके क्योंकि यीशु को उसी रास्ते से होकर निकलना था। फिर जब यीशु उस स्थान पर आया तो उसने ऊपर देखते हुए जक्कई से कहा, 'जक्कई, जल्दी से नीचे उतर आ क्योंकि मझे आज तेरे ही घर ठहरना है।'
सो उसने झटपट नीचे उतर प्रसत्रता के साथ उसका स्वागत किया। जब सब लोगों ने यह देखा तो वे बड़बड़ाने लगे और कहने लगे, 'यह एक पापी के घर अतिथि बनने जा रहा है।' किन्तु जक्कई खड़ा हुआ और प्रभु से बोला, 'हे प्रभु, देख मैं अपनी सारी सम्पत्ति का आधा गरीबों को दे दूंगा और यदि मैंने किसी का छल से कुछ भी लिया है। तो उसे चौगुना करके लौटा दूंगा।' यीशु ने उससे कहा, 'इस घर पर आज उद्धार आया है, क्योंकि मनुष्य का पुत्र जो कोई खो गया है, उसे ढूँढने और उसकी रक्षा के लिए आया है।
क्या बदलाव की जरूरत है?
क्या आपने कभी ज़क्कई जैसा महसूस किया है? उसकी तरह, यीशु आपके जीवन को भी पूरी तरह से बदल सकता है!
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