सब कुछ के लिए परमेश्वर को धन्यवाद देना | Giving Thanks To God For Everything - Click Bible

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सब कुछ के लिए परमेश्वर को धन्यवाद देना | Giving Thanks To God For Everything

सब कुछ के लिए परमेश्वर को धन्यवाद देना | Giving Thanks To God For Everything


भजन संहिता 103 आयत एक से लेकर तीन तक में जहां भजन कर दाऊद कहता है, 1 हे मेरे मन, यहोवा को धन्य कह; और जो कुछ मुझ में है, वह उसके पवित्र नाम को धन्य कहे! 2 हे मेरे मन, यहोवा को धन्य कह, और उसके किसी उपकार को न भूलना। 3 वही तो तेरे सब अधर्म को क्षमा करता, और तेरे सब रोगों को चंगा करता है,


प्रियों, इस भजनकार के जीवन से दाऊद के जीवन से बहुत अच्छी बातों को सीखते हैं। दाऊद जो है कोई राज घराने में पैदा नहीं हुआ था या फिर हम कहें कि बहुत बड़े परिवार में था। इसलिए वो हमेशा से परमेश्वर की स्तुति करता रहा है नहीं, लेकिन उसके जीवन के बहुत अच्छे खासियत थी कि वो हर परिस्थिति में परमेश्वर को धन्यवाद देता था। वो  इस भजन संहिता को जब लिखता है। इस वचनों को पढ़ने के बाद हमने कुछ बातों को जो सीखा वो बातें आपके सामने आज प्रकट करना चाहते हैं। 


चार बातें आज आपको बताना चाहते हैं। इन आयतों में से सबसे पहली बात जो हमें हमेशा याद रखना चाहिए कि हमें हमेशा हमारे परमेश्वर के नाम को धन्य कहना चाहिए, उसकी स्तुति उसकी प्रशंसा करना चाहिए। क्यों ? क्योंकि वो धन्यवाद के योग्य है वो धन्य कहने के योग्य है। यदि हम धन्य उसको नहीं कहेंगे उसको उसके पवित्र नाम की बड़ाई नहीं करेंगे तो इससे उसके नाम को कोई फर्क नहीं पड़ेगा। वो परमेश्वर है, वो पवित्र है वो आदर और महिमा के योग्य है सो वो वैसा ही रहेगा। लेकिन परमेश्वर ने आप को और हमको बनाया है। वो हमारे जीवन से चाहता है कि उसके बेटे बेटियां सदैव उसको धन्य कहते रहें। इसलिए भजनकार दाऊद अपने मन से कहता है कि हे मेरे मन यहोवा को अर्थात परमेश्वर को धन्य कहे। क्योंकि मन ही है जो सबसे ज्यादा चंचल होता है जिसमें बाइबिल कहती है असाध्य रोग लगा। 


कई बार मन हमारा हमारे कंट्रोल में रहता है। परिस्थिति ऐसी होने के कारण गंभीर होने के कारण कई बार हमारा मन कहता कि अभी तो कठिन दौर है। कमी घटी का समय चल रहा है। तरह तरह की समस्याएं है। चिंता है डर है। मैं कैसे उसको धन्य कहूं, लेकिन आप से कहना चाहती हूं। अपने मन को आप आदेश दिजिए, मन को आप कहिए कि हे मेरे मन यहोवा को धन्य कह और जो कुछ मुझ में है वह उसके पवित्र नाम को धन्य कहे। तो सबसे पहली बात जो हमने देखा है कि हमें हमेशा उस पवित्र नाम को धन्य कहना है क्यों कि वो धन्यवाद के स्तुति के योग्य है, इसलिए हमें उसे धन्य कहना है। 


दूसरी बात यदि आपसे कहूं तो वो ये है कि एक व्यक्ति जो परमेश्वर के नाम को धन्य कहता है। उसको धन्यवाद देता है वो सदैव प्रभु की महिमा करता है क्योंकि भजन संहिता इस प्रकार से कहता है कि धन्यवाद देने वाला यहोवा की महिमा करता है तो आप चाहते हैं। अपने जीवन से परमेश्वर की महिमा करना। देखिए परमेश्वर ने संपूर्ण श्रृष्टि को बनाया। संपूर्ण सृष्टि आज जो कुछ भी हम अपनी आँखों से देखते हैं महसूस करते अनुभव करते हैं सब कुछ को परमेश्वर ने बनाया है। भला हम उसे क्या दे सकते हैं सिवाय धन्यवाद के सिवाय उसके नाम को ऊंचा उठाने के सिवाय उसके स्तुति और महिमा करने की प्रशंसा करने के तो हम हमारे जीवन से सदैव उस महान परमेश्वर की महिमा करते रहे।


बाइबल इस प्रकार से कहती है कि प्रभु ने हमें बनाया है ताकि हम उसके गुणानुवाद को कर सके। उसकी प्रशंसा को कर सके कि सचमुच मेरा परमेश्वर कितना महान है आपने वो गीत सुना है। ये मत कहो खुदा से कि मेरे मुश्किल बड़े हैं, लेकिन मुश्किलों से कहो कि मेरा खुदा पड़ा तो आज मैं नहीं जानती। आप किस परिस्थिति में है आप किस हालात का सामना कर रहे हैं, लेकिन आपको सिर्फ इतना कहना चाहती हूँ। अपने जीवन से उस महान परमेश्वर के नाम को सदैव धन्य कहते रहे।


दाऊद ने जब जब प्रभु के नाम को धन्य कहा, अक्सर मैंने पाया उसमें कठिन दौर में प्रभु के नाम का ऊँचा उठाया। उसकी स्तुति उसकी प्रशंसा किया है और जहां तक मुझे लगता है। यही कारण है कि प्रभु ने उसको ऊँचा उठाया एक चरवाहे से। एक छोटे बच्चे से और परमेश्वर ने राजगती तक पहुंचाया। इज्राएल का एक बहुत बड़ा राजा परमेश्वर ने उसको बना दिया है तो आज यदि हम अपने जीवन में चाहते हैं कि हम प्रभु के नाम की महिमा करें तो उसको धन्य कहें। उसकी स्तुति उसकी प्रशंसा करते रहें।


तीसरी बात आपको कहूं तो तीसरी बात ये होगी कि यदि हम धन्यवाद देते हैं। प्रभु के नाम को ऊंचा उठाते हैं तो इससे हमको हिम्मत मिलती है। इस बात से हमको हिम्मत मिलती है। जब हम खुदा के नाम को ऊँचा उठाते हैं तो हमको हिम्मत मिलती है। 


यदि आप देखिए कठिन दौर में आपको कमी घटी के दौर में होंगे और यदि आप प्रभु के नाम को ऊँचा उठाएगें ना और उसके उपकारों को नहीं भूलेंगे तो अपने आप आपके हृदय को हिम्मत मिलेगी। साहस मिलेगा क्यों क्योंकि आप पुरानी चीजों को याद करेंगे कि प्रभु ने मुझे कैसे पुरानी चीजों से बाहर निकाला था। कैसे पुरानी चीजों से प्रभु ने मुझे बचाया था। सारी बातों से दुर्घटनाओं से बीमारी से समस्याओं से मुझे प्रभु ने बचाया था तो इस बात से आपके हृदय को बड़े हिम्मत मिलेगी तो उसके नाम को आप सोचा उठाते रहें। उसके नाम को आप ऊंचा उठाते रहें।


चौथी बात आपसे कहूं तो ये है जब आप उसके नाम को ऊँचा उठाते हैं, उसके नाम को धन्य कहते हैं तो इससे आपके जीवन में आशिषों के द्वार खुल जाते हैं। अक्सर हमारा यह व्यवहार होता स्वभाव होता है कि प्रभु मेरे जीवन में तो कुछ अच्छे कार्यों को कर। तो मैं आपके नाम को धन्य कहूंगा या तेरे नाम को मैं ऊंचा उठाऊंगा, लेकिन याद कीजिए उस मंजर को जिस समय लाजर 4 दिन तक कब्र में दफन था और गुफा के अंदर था और उस समय यीशु मसीह ने गुफा के बाहर क्या कहा कि हे परमेश्वर मैं जानता हूँ तो सदा मेरे प्रार्थना को सुनता है। लेकिन धन्यवाद पिता कि तुमने मेरे प्राथना को सुन लिया है।


एक मुर्दे के सामने चार दिन के सडे़ लाजर के सामने प्रभु यीशु मसीह क्या आदर्श हमारे लिए ठहरा रहे हैं कि कठिन परिस्थिति में ऐसी परिस्थिति में जब लोगों ने शायद रोना भी बंद कर दिया हो लोगों की आंखों के आंसू सूख गए हो। लोगों ने विलाप करना भी शायद बंद कर दिया हो। लोग सोचना तो कुछ भी नहीं हो सकता, लेकिन उस समय यीशु मसीह ने क्या कहा? धन्यवाद प्रभु कि तुम्हारी प्रार्थना को सुन लिया है। यानी उन सैकड़ों लोगों के सामने प्रभु यीशु मसीह ने परमेश्वर के नाम को ऊंचा उठाया। उसे धन्य कहा।


याद किजिए उस घटना को जिसको अक्सर हम बच्चों को भी याद करवाते हैं कि 5000 लोगों को खाना खिलाना। प्रभु ने क्या किया? पांच रोटी को लिया। दो मछली को लिया ऊंचा उठाया और कहा कि धन्यवाद प्रभु को धन्यवाद दिया और उन रोटियों को तोडा और लोगों में बांटने के लिए कहा। यानी जब कमी घटी का भी दौर है जब समझ में नहीं आ रहा है कि घर में राशन कहां से आएगा जो समझ में नहीं आ रहा है कि जॉब कैसे लगेगी। व्यवसाय कैसे चलेगा। इतना नुकसान सहा है, कैसे भरपाई होगी। समझ में नहीं आ रहा है कि कैसे तरक्की लेंगे, कैसे सफल होंगे उस समय भी उस महान परमेश्वर के नाम को आप ऊंचा उठाएंगे और आप देखेंगे जब आप अपने परमेश्वर के नाम को ऊंचा उठाएंगे। इसकी एक बहुत बडी़ सामर्थ एक बहुत बड़ी पावर जो है वो आपके जीवन में कार्य करेगी। आपके लिए आशीषों के द्वार खुलने लगेंगे।  


यदि मैं आपसे कहो कि धन्यवाद देना या प्रभु के नाम को ऊंचा उठाना उसकी प्रशंसा बढाई करना आपके लिए आशीषों की कुंजी है और वह कुंजी आपके अपने हाथों में हैं। तो कभी कभी आपको जब ऐसा लगे आपके हृदय में कि प्रभु कैसे मैं आपके नाम को ऊंचा उठाऊ कैसे आपके लिए गीतों को गुनगुनाऊं कैसे आपकी बढ़ाई करूं तो वही सबसे अच्छा समय है जब आप उसके नाम को ऊंचा उठा सकते हैं। और आप देखेंगे कैसे प्रभु आपके जीवन में अदभुत और बड़े काम कार्यों को करेगा। 


दाऊद जिस समय इतने लंबे चौड़े गोलियथ के सामने खड़ा था उसने अपने यहोवा परमेश्वर के नाम को ऊंचा उठाया। उसने गोलियथ साइज को नहीं देखा उसने यह नहीं देखा की प्रभु यहां तो मैं खड़ा हो गया हूं लेकिन मैंने कोई अभ्यास नहीं कि ही न मैंने ट्रेनिंग ली है। मुझे तो शस्त्र उठाना भी नहीं आता लेकिन उसको यह बात पता थी कि चाहे समस्या कितनी बड़ी क्यों न हो यदि मैं मेरे परमेश्वर के नाम को धन्य कहूंगा, ऊंचा उठाऊंगा तो निसंदेह मेरा परमेश्वर मुझे विजय करेगा। तो उसके नाम को आप ऊंचा उठाते रहें धन्य कहते रहें और जो कुछ आपके अन्दर है उसके द्वारा उसके नाम को ऊंचा उठाएं क्योंकि वह हमारे सारे अधर्मों को क्षमा करता, हमारे सार रोगों चंगा करता है उसके किसी उपकार को न भुलें सदेव उसकी स्तुति और प्रशंसा करते रहें। 


परमेश्वर आपको इस संदेश के द्वारा आशीष दे।


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