The Gospel Of Jesus Christ | यीशु का सुसमाचार दूसरों को बताएं - प्रेरितों के काम 5 - Click Bible

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The Gospel Of Jesus Christ | यीशु का सुसमाचार दूसरों को बताएं - प्रेरितों के काम 5

The Gospel Of Jesus Christ यीशु का सुसमाचार दूसरों को बताएं

The Gospel Of Jesus Christ |  यीशु का सुसमाचार दूसरों को बताएं  - प्रेरितों के काम 5

यीशु का सुसमाचार इतना महत्वपूर्ण है कि हमें कभी भी उसे बताने से नहीं चूकना चाहिए।


जब हमें कोई उपहार मिलता है, तो हम सामान्यतः उसके बारे में दूसरों को बताते हैं। हम अपने उपहार को देखकर उत्तेजित हो जाते तथा दूसरों को अपने इस सुन्दर उपहार के बारे में बताना चाहते हैं। क्या आपको याद है कि परमेश्वर ने भी हमें एक महान उपहार दिया है और हमें सभी लोगों को उसकी खुशखबरी देनी चाहिए?  देखें 


यीशु के मरने तथा परमेश्वर द्वारा पुनः जीवन प्रदान करने के बाद, उसने अपने चेलों को संसार में भेजा कि वे जाकर लोगों को बताएं कि उसने हमारे पापों से हमें बचाने के लिए क्या किया है। बाइबल में पायी जाने वाली प्रेरितों के काम नामक पुस्तक में वे सारी घटनाएं लिखित हैं जो बताती हैं चेले कहां गये और उन्होंने क्या किया। चेलों को प्रेरित भी कहा गया है।

The Gospel Of Jesus Christ |  यीशु का सुसमाचार दूसरों को बताएं  - प्रेरितों के काम 5

आज का यह कहानी पतरस और अन्य प्रेरितों के बारे में है। वे यीशु के बारे में दूसरों को बताते के लिए बहुत उत्तेजित थे। लेकिन प्रेरितों के इन कामों को देखकर बहुत से अधिकारी प्रसन्न नहीं थे। प्रेरितों को सुसमाचार सुनाने में सफलता मिली, या उन्हें रोका गया?


आप इस कहानी को प्रेरितों 5:17-42 में पढ़ सकते हैं।


तब महायाजक और उसके सब साथी जो सदूकियों के पंथ के थे, डाह से भर उठे और प्रेरितों को पकड़कर बन्दीग्रह में बन्द कर दिया। परन्तु रात को प्रभु के एक स्वर्गदूत ने बन्दीग्रह के द्वार खोलकर उन्हें बाहर लाकर कहा, "जाओ, मन्दिर में खड़े होकर इस जीवन की सारी बातें लोगों को कह सुनाओ।" वे यह सुनकर भोर होते ही मन्दिर में जाकर उपदेश देने लगे।

(प्रेरितों 5:17-21)


तब महायाजक और उसके साथियों ने आकर महासभा को और इस्राएलियों के सब पुरनियों को इकट्ठे किया, और बन्दीग्रह में कहला भेजा कि उन्हें लाएँ परन्तु प्यादों ने वहाँ पहुँचकर बन्दीग्रह में न पाया, और लौटकर संदेश दिया, हम ने बन्दीग्रह को बड़ी चौकसी से बन्द किया हुआ, और पहरेवालों को बाहर द्वारों पर खड़े हुए पाया; परन्तु जब खोला तो भीतर कोई न मिला


जब मन्दिर के सरदार और प्रधान याजकों ने यह बातें सुनीं, तो उनके विषय में भारी चिन्ता में पड़ गए कि उनका क्या हुआ इतने में किसी ने आकर उन्हें बताया, "देखों, जिन्हें तुम ने बन्दीग्रह में बन्द रखा था, वे मन्दिर में खड़े हुए लोगों को उपदेश दे रहें हैं। " (प्रेरितों 5:21ब-25)


तब सरदार, प्यादों के साथ जाकर, उन्हें ले आया। तब महायाजक ने उनसे पूछा, "क्या मैं ने तुम्हें चिताकर आज्ञा न दी थी कि तुम इस नाम से उपदेश न करना? तौभी देखो, तुम ने सारे यरूशलेम को अपने उपदेश से भर दिया है और उस व्यक्ति का लहू हमारी गर्दन पर लाना चाहते हो।"

The Gospel Of Jesus Christ |  यीशु का सुसमाचार दूसरों को बताएं  - प्रेरितों के काम 5

तब पतरस और अन्य प्रेरितों ने उत्तर दिया, "मनुष्यों की आज्ञा से बढ़कर परमेश्वर की आज्ञा को मानना ही हमारा कर्तव्य है। हमारे बाप दादों के परमेश्वर ने यीशु को जिलाया, जिसे तुम ने क्रूस पर चढ़ाकर मार डाला था उसी को परमेश्वर ने प्रभु और उद्धारकर्ता ठहराकर अपने दाहिने हाथ पर उच्च कर दिया. कि वह इस्राएलियों को मन फिराव की शक्ति और पापों की क्षमा प्रदान करे। हम इन बातों के गवाह हैं और वैसे ही पवित्र आत्मा भी, जिसे परमेश्वर ने उन्हें दिया है जो उसकी आज्ञा मानते हैं।" (प्रेरितों 5:26अ, 27ब-32)


क्योंकि यदि यह धर्म और काम मनुष्य की ओर से हो तो नष्ट हो जाएगा, परन्तु यदि परमेश्वर की ओर से है, तो तुम उन्हें कदापि मिटा न सकोगे। कहीं ऐसा न हो कि तुम परमेश्वर से भी लड़नेवाले ठहरों । तब उन्होंने उसकी बात मान ली और प्रेरितों को बुलवाकर पिटवाया, और यह आदेश देकर छोड़ दिया कि यीशु के नाम से फिर कोई बात न करना ।


वे इस बात से आनन्दित होकर महासभा के सामने से चले गए, कि हम उसके नाम के लिये अपमानित होने के योग्य तो ठहरे। वे प्रतिदिन मन्दिर में और घर घर में उपदेश करने, और इस बात का सुसमाचार सुनाने से कि यीशु ही मसीह है न रूके। (प्रेरितों 5:33-35अ, 38ब-42)


यीशु के चेले उन कामों को लेकर अति उत्तेजित थे जो उन्होंने अपनी आंखों से देखे थे, और वे उन्हें दूसरों को बताना चाहते थे। वे जानते थे कि लोगों के लिए बहुत यह जानना अति महत्वपूर्ण है कि यीशु पर विश्वास करके और उसके पीछे चलकर कैसे वे अपने पापों से छुटकारा पा सकते हैं। लोगों का यीशु के सुसमाचार को सुनना इतना महत्वपूर्ण था कि प्रेरितों ने उसे सुनाने के लिए अपने जीवन को भी जोखिम में डाल दिया। प्रेरित जानते थे कि कठिन से कठिन चीज भी उन्हें परमेश्वर को मित्र होने से नहीं रोक सकती।


चुनौती :-

यीशु जीवित है और वह हमारे पापों को धो सकता है। वह आपके मित्रों व परिवार जनों को भी क्षमा कर सकता है ताकि वे भी उसके साथ स्वर्ग में रह सकें। उन्हें यीशु पर विश्वास करने तथा उसका अनुसरण करने की ज़रूरत है। यीशु मसीह के बारे में बताना आपकी ओर से उन्हें दिया जाने वाला सबसे बेहत उपहार हो सकता है।


दूसरों को बताना अति सुन्दर बात है: "क्योंकि परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम किया कि उसने अपना एकलौता बेटा दे दिया ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे वह नाश न हो परन्तु अनन्त जीवन पाए।" यूहन्ना 3:16


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