जी नहीं, यीशु मसीह ने कभी भी अपना धर्म नहीं बनाया। धर्म के लिए कोई नाम नहीं दिया। उसने धर्म का प्रचार नहीं किया, लेकिन वो धर्म और धर्म उपदेशक के विरोधी थे। उसने धर्म के विरुद्ध प्रचार भी किया। धर्म के लोगों ने यीशु मसीह को सताया और सूली पर चढ़ाया। प्रभु ने कभी भी किसी को नहीं बोला कि तुम धर्म का प्रचार करो। ये प्रभु का पक्ष स्पष्ट है।
प्रभु का प्रचार और सेवा, उपदेश यही था। पाप और दुनियादारी से मन फिराओ, पवित्र बनो! प्रभु ने अपने चेलों को भी यही शिक्षा दी कि जाके सुसमाचार का प्रचार करो! जो विश्वास करे वो उद्धार पाएगा! तो लोगों को यह सच्चाई बोलना परमेश्वर चाहता है ताकि कोई भी नरक में न जाए बल्कि स्वर्ग में जाए।
जिनको परमेश्वर से प्रेम है। परमेश्वर के वचन को मानता है। वही लोग अपनी मेहनत का एक भाग इसके लिए दान देते है। कुछ लोग अपने बच्चे, अपनी सम्पत्ति भी दान देते हैं। इसे परमेश्वर के राज्य की बढ़ोतरी के लिए सम्भालते हैं। कोई भारत देशी हो विदेशी हो रुपया जमीन खोद के और पेड़ से तो नहीं मिलता। बल्कि सब अपनी बुद्धि और पसीना बहाकर काम करने से मिलता है। आप एक लालची और देने वालों के विरोधी न बनें। आप भी देने वाले बनें।
आपका ये दान प्रभु के सेवक लोग और उसके राज्य की बढ़ोतरी के लिए सम्भाला जाएगा। विदेशी लोग दान देना अच्छा समझते हैं। लेकिन हम स्वदेशी लोग देना पसन्द नहीं करते हैं, लेना चाहते हैं और दूसरों को मिलने से हम जलन रखते हैं। बाइबल हमें समझाती है कि तुम लेनेवाले न बनो बल्कि देने वाले बनो। इससे ज्यादा जानकारी आपको बाइबल से ही मिलेगी।
यीशु मसीह न अंग्रेजों का है न भारत का है, न नेपाल का और न अमेरिका का है, लेकिन यीशु सारी दुनिया का प्रभु है। उसका अंतिम हुकम है- जाओ सारे संसार के लोगों को सुसमाचार सुनाओ। इसीलिए प्रभु के प्रेमी प्रचारक लोग अपना देश छोड़ के अलग-अलग देशों में जाकर प्रचार करते हैं। जो विश्वास करे वो उद्धार पाएगा। जो विश्वास नहीं करता वो दोषी ठहराया जाएगा। उसका अन्त नरक ही होगा। लेकिन दुख की बात है हमारे भारत देश में प्रचारक और विश्वासियों को सताया जाता है। सताने वाला सच्चाई नहीं जानता इसलिए उनके पाप और अपराधों को हम क्षमा करें। उनके लिए प्रार्थना करें।
यह भी पढ़ें:
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें