आराधना
हमारा प्रभु स्तुति के ऊपर वास करने वाला है। हमारे घर पर कोई मेहमान आ जाये तो हम कुर्सी देते हैं लेकिन प्रभु को अपने जीवन में आने के लिए हमें प्रभु को बुलाना जरूरी है और स्तुति भी करना है। हम अपना मुंह खोल के हृदय, आत्मा और सच्चाई से परमेश्वर की आराधना करें। यह बाइबल का पहला कानून है।
मसीही जीवन की सबसे बड़ी बहुमूल्य बात आराधना है। परमेश्वर चाहता है। कि हर विश्वासी आराधना करे। क्योंकि प्रभु आराधना के योग्य है परमेश्वर ने इस संसार को बनाया, उसकी आराधना करने के लिए परमेश्वर की इच्छा थी मनुष्य के साथ संगति करना और उसकी इच्छा के अनुसार हम चलें, लेकिन मनुष्य पाप करके परमेश्वर से दूर चला गया, लेकिन प्रेमी और दयालु परमेश्वर ने अपने एकलौते बेटे प्रभु यीशु मसीह के द्वारा पापों से हमें छुड़ाया। हम परमेश्वर के बच्चे और पवित्र लोग है। पवित्रतायी के साथ परमेश्वर के संग चलने के लिए परमेश्वर द्वारा हम अलग किए हुए प्रभु के जन हैं। पाप, शैतान, संसार और नरक के ऊपर प्रभु ने हमें विजय दी है। इसलिए प्रभु के किए हुए सारे उपकारों को अच्छी तरह समझकर उसकी आराधना करना जरूरी है।
आराधना में हम परमेश्वर से जैसे पुत्र अपने पिता से बात करता है उसी प्रकार बातें कर सकते हैं, प्रभु हम से भी बात करना चाहता है। जब हम अपने आपको नम्र करते, दीन बनाते, सच्चाई, पवित्रताई और की हुई गलतियों का पश्चाताप भय और शक्ति के साथ प्रभु की आराधना करते हैं तो उस आराधना में परमेश्वर की शक्ति उतरती है। आराधना के कारण हमारा रिश्ता परमेश्वर से दृढ़ होता है। हर एक विश्वासी को परमेश्वर की महिमा समझकर और पवित्र आत्मा की अगुवाई के अनुसार आराधना करनी चाहिए।
याद रखना
"चालाक, झूठे, पैसे के लालची, स्वार्थी और कपटी, लोगों को परमेश्वर नफरत करता है। इसलिए अपने आपको शुद्ध करो और प्रभु की इच्छा को समझकर उसकी आराधना करो।
" और तू परमेश्वर अपने प्रभु से अपने सारे मन से और अपने सारे प्राण से और अपनी बुद्धि के साथ प्रेम रख और उसकी आराधना कर।" आराधना केवल हमारे मन से ही नहीं बल्कि शरीर से भी करना जरूरी है। इसलिए हे भाइयों, मैं तुमको परमेश्वर की दया स्मरण दिलाकर विनती करता हूं कि अपने शरीरों को जीवित, और पवित्र और परमेश्वर को भावता हुआ बलिदान करके चढ़ाओ, यही तुम्हारी आत्मिक सेवा है। और इस संसार के सदृश न बनो, परन्तु तुम्हारी बुद्धि के नए हो जाने से तुम्हारा चाल-चलन भी बदलता जाए, जिससे तुम परमेश्वर की भली और भक्ति और सिद्ध इच्छा अनुभव से मालूम करते रहो ।
रोमियो 12 : 1 से 2 तक पढ़िए
बाइबल कहती है कि वचन तेरे निकट है तेरे मुंह में और तेरे मन में है, बाइबल में जो प्रभु को प्रेम करने वाले लोग सबसे पहले आराधना के लिए प्रथम स्थान देते हैं। वो जहाँ पर भी चले जायें परमेश्वर की आराधना को बड़ा समझते हैं।
परमेश्वर के द्वारा दी गई 10 आज्ञाओं में से एक है। 6 दिन तुम काम करो और सातवें दिन आराधना करो। इतवार का दिन आराधना के लिए निकालना जरूरी है। रोजाना सुबह शाम दो गीत गा के बाइबल से एक पुराना नियम एक नये नियम से एक आयात और एक भजन संहिता भी पढ़ना और प्रभु के द्वारा किए हुए उपकार के लिए धन्यवाद और स्तुति करना जरूरी है।
परिवार के लोग मिलकर सुबह शाम प्रार्थना करेंगे तो जल्दी प्रभु की आशीष होती है। परमेश्वर सबसे ज्यादा पसन्द करते हैं "स्तुति और आराधना।" हम जितनी ज्यादा समय आराधना और स्तुति करते हैं तब प्रभु की उपस्थिति को हम अपने शरीर में और अपने जीवन में महसूस करेंगे। जब आप आराधना करते हैं, तब मुंह खोल के स्तुति करना, ताली बजाना, डफ और तबले बजाना, हाथ उठाके धन्यवाद करना, हल्लेलुल्लाह का शब्द बोलना, आंसू बहाना अच्छा है। छुटकारा, चंगाई, सामर्थ्य और आनन्द सब आराधना से मिलेगा। आओ हम मिलकर आराधना करें। भजन संहिता 149 और 150 पढ़िए
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें