कष्ट सहने के लाभ
आदम और हव्वा के पाप के द्वारा यह धरती श्राप के अधीन हुई और जाति, गोत्र, वर्ग का सबसे पहले पुरखा आदम और हव्वा है। उनको शैतान ने लालच देकर हरा दिया। हम हारे हुए आदम के बच्चे हैं। इसलिए हमारे जीवन में पाप श्राप, हार हमेशा रहते हैं। इसी हार को विजय में लेकर आने के लिए यीशु आया।
यीशु मसीह पर विश्वास करने के कारण इस धरती पर घूमने-फिरने वाला शैतान आपका विरोध करेगा और आपके ऊपर अपवाद डालेगा। आपके विश्वास को तोड़ने के लिए बड़े प्रयत्न करेगा। फिर भी पीछे नहीं हटने के कारण आपके सामने बड़ी परीक्षा को लेकर आयेगा । उस समय आपको मदद करने के लिए, साथ देने के लिए शायद कोई भी न हो लेकिन आपकी विश्वास में अटल रहना होगा।
शैतान और संसार द्वारा परीक्षा को हमने उपवास और प्रार्थना के द्वारा विजय पाना है। जब आप संकट से घिर जाते हैं तब परमेश्वर आपके निकट होंगे। प्रभु आप से बातचीत करना शुरू करेंगे। आपको रात को सोते समय दर्शन दिखाना शुरू करेंगे। आप शारीरिक तौर पर पीड़ा सह रहे होंगे, लेकिन आपके मन में बड़ी शान्ति होगी। इसलिए बाइबल के भक्त लोग कहते हैं मैं जब कष्ट में था वो मेरे लिए भला ही था। यदि हम कष्टों पर जय पाते हैं तो हम शैतान के हर एक शक्ति पर भी जय पाते हैं। अगर आप बार-बार कष्टों को सहने वाले हो तो परमेश्वर का आपके बारे में बहुत बड़ा उद्देश्य है। केवल यही नहीं, वरन् हम क्लेशों में भी घमण्ड करें। यही जानकर कि क्लेश से धीरज और धीरज से खरा निकलना और खरे निकलने से आशा उत्पन्न होती है। (रोमियों 5 : 34 )
हम जितना क्लेश सहें उतना ही हमारा धीरज बढ़ता है और क्लेश हमारे जीवन में आने से जो गलत बात है छोटी-छोटी कमजोरियाँ जिन्हें हम छोड़ना चाहते हैं लेकिन हम नहीं छोड़ पाते। हमारा स्वभाव ऐसा है और हमारे मन की भावना, सोच-विचार में जो कमी है निकलना शुरू होती हैं और हम खरे हो जाएंगे। सोना आग में इसलिए डालते हैं ताकि उसका मैल दूर हो जाये। उसके बाद वह चमकना शुरू करता है।
इसी प्रकार हमारे जीवन में क्लेश आते हैं। परमेश्वर हमें अधिक चमकाने के लिए करता है इसलिए हमें क्लेशों में भी घमण्ड करना चाहिए। क्लेश के बिना एक अच्छा इंसान होना बड़ा मुश्किल है। इसी प्रकार के चक्र से हम चलते हैं तो परमेश्वर के प्रति हमारी आशा और विश्वास बढ़ते जाते हैं। जो प्रभु के दोस्त बने वे सब भी इसी दौर से गुजरे और इन कष्टों पर विजय पाया। यह सारी बातें संसार के लोग नहीं समझते हैं। यह हम प्रभु के बच्चे आत्मिक तौर से इस बात को समझते हैं। इसलिए अपनी आत्मिक दृष्टि को खोलने के लिए हमें प्रार्थना करना जरूरी है।
यह भी पढ़ें:
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें