चिन्ता से छुटकारा- मत्ती 6:25-34; 1 पत, 5:7
परमेश्वर की संतान होने का निश्चय
आप परमेश्वर की संतान बन जाते हैं जन्म के द्वारा नहीं, बल्कि आत्मा के द्वारा नया जन्म पाकर।
एक दिन जब यीशु के पास नीकुदेमुस नाम का एक धार्मिक अगुवा मुलाकात करने को आया, तब उसने तुरन्त उसे स्वर्ग प्राप्त होने की आश्वासन नहीं दिया। इसके बदले, मसीह ने कहा कि, "मैं तुझ से सच सच कहता हूँ, यदि कोई नए सिरे से न जन्मे तो परमेश्वर का राज्य नहीं देख सकता है" (यूहन्ना 3:3)।
यानी जितनों ने उसे ग्रहण किया, उसने उन्हें परमेश्वर की सन्तान होने का अधिकार दिया, अर्थात् उन्हें जो उसके नाम पर विश्वास रखते हैं। यूहन्ना 1:12
स्मरण रखिये कि आप स्वर्गीय पिता की दृष्टि में बहुत अनमोल है-पद 26,32
आकाश के पक्षियों को देखो! वे न बोते हैं, न काटते हैं, और न खत्तों में बटोरते हैं; तौभी तुम्हारा स्वर्गीय पिता उन को खिलाता है; क्या तुम उन से अधिक मूल्य नहीं रखते। क्योकि अन्यजाति इन सब वस्तुओं की खोज में रहते हैं, और तुम्हारा स्वर्गीय पिता जानता है, कि तुम्हें ये सब वस्तुएं चाहिए।
चिन्ता करने से कुछ लाभ नहीं होता- पद 27
तुम में कौन है, जो चिन्ता करके अपनी अवस्था में एक घड़ी भी बढ़ा सकता है।
चिन्ता करना एक विश्वासी का स्वभाव नहीं है- पद 32
क्योंकि अन्यजाति इन सब वस्तुओं की खोज में रहते हैं, और तुम्हारा स्वर्गीय पिता जानता है, कि तुम्हें ये सब वस्तुएं चाहिए।
अपने विश्वास को कार्य रूप दीजिए- पद 30
इसलिये जब परमेश्वर मैदान की घास को, जो आज है, और कल भाड़ में झोंकी जाएगी, ऐसा वस्त्र पहिनाता है, तो हे अल्पविश्वासियों, तुम को वह क्योंकर न पहिनाएगा?
एक समय में, एक दिन जीवित रहने का प्रयास कीजिये- पद 34
सो कल के लिये चिन्ता न करो, क्योंकि कल का दिन अपनी चिन्ता आप कर लेगा; आज के लिये आज ही का दुख बहुत है।
प्रभु यीशु को सब बातों में प्रथम रखिए- पद 33
इसलिये पहिले तुम उसे राज्य और धर्म की खोज करो तो ये सब वस्तुएं भी तुम्हें मिल जाएंगी।
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