बाइबल एक पास्टर का वर्णन कैसे करती है ? How Does The Bible Describe A Pastor ? - Click Bible

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बाइबल एक पास्टर का वर्णन कैसे करती है ? How Does The Bible Describe A Pastor ?

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बाइबल एक पास्टर का वर्णन कैसे करती है ? How Does The Bible Describe A Pastor ?

कलीसिया का अच्छा चरवाहा यीशु मसीह है। सारे संसार की कलीसियाओं की देखभाल प्रभु ही करता है लेकिन अलग-अलग जगह पर एक-एक झुण्ड अथवा कलीसिया में लोगों की आत्मिक उन्नति के लिए प्रभु एक पास्टर को नियुक्त करता है। पास्टर प्रभु की बुलाहट के अनुसार ही बन सकते हैं। कोई भी अपनी इच्छा के अनुसार पास्टर बनकर सेवा नहीं कर सकता।


पास्टर लोग प्रभु की बुलाहट पाये हुए होने चाहिए। पास्टर के अन्दर क्या-क्या होना चाहिए। उसके बारे में तीमुथियुस की पत्री में लिखा है, विश्वासियों के गुण लिए मेहनत, प्रार्थना, शिक्षा, वचन का प्रचार, सबको एक समान प्रेम करना, गलत काम करने वालों को उलाहना देना कलीसिया में गड़बड़ करने वालों को सही राह दिखाना, शैतान की चालाकी कलीसिया में लेकर आने वाले लोगों को विरोध करना, गलत उपदेश और इधर-उधर घूमकर विश्वासियों का भटकाने वाला, झूठे भविष्यवक्ता और उपदेशकों से कलीसिया को बचाकर रखना और विश्वासियों की आत्मिक और आर्थिक आशीष के लिए वचन से सिखाना उत्साहित करना और उसके लिए प्रार्थन करना पास्टर का काम है। बपतिस्मा देना, प्रभु भोज देना इत्यादि कार्य प्रभु के चुने हुए दास करेगें।


आपको यह बात समझनी है कि पास्टर परमेश्वर द्वारा भेजा हुआ दास है। प्रभु उनके द्वारा आपसे बातचीत करेंगे। उनके अधीन में रहना, कहना मानना आपको आत्मिक बढ़ोत्तरी के लिए उत्तम है। विश्वास की प्राथमिक बात को समझने के लिए आपको कई साल लगेंगे। तब तक जैसे एक छोटे बच्चे को उसकी माँ उसका पालन पोषण करती हैं। उसी प्रकार वह आपके पास आकर आपके लिए मदद करता है।


आपने यह बात समझनी है कि परमेश्वर के द्वारा दिया हुआ बोझ के अनुसार एक सेवा के रूप में पास्टर यह सेवा बड़ी खुशी से करते हैं इसलिए उनका आदर करना भी जरूरी है। अगर आप अपने पास्टर को दुख देते हो और उसकी इज्जत नहीं करते तो आप उनको नहीं उनके भेजे हुए प्रभु को आप घृणा करते हैं। हो सकता है आप शहर में रहने के कारण आप बहुत व्यस्त हो लेकिन आपकी आत्मिक उन्नति के लिए आपके पास्टर के साथ आपकी कमजोरियों को बाँटना और समय निकालकर मिलकर प्रार्थना करना और पास्टरो की अगुवाई को कबूल करना जरूरी है। " अपने अगुवों की मानो और उनके अधीन रहो क्योंकि वे उनकी नाई तुम्हारे प्राणों के लिए जागते रहते, जिन्हें लेखा देना पड़ेगा कि वे ये काम आनन्द से करें, न कि ठंडी सांस ले लेकर क्योंकि इस दशा में तुम्हें कुछ लाभ नहीं।" (इब्रानियों 13 का 17 )


प्रभु ने कुछ लोगों को सांसारिक काम और जिन्दगी छोड़कर प्रभु के राज्य की सेवा के लिए बुलाये हुए और अलग किये हुए प्रभु के खादिम लोग ही पास्टर हैं। वही पास्टर को आप अपमान करके, दोष लगाकर, अपवाद डालकर, आप एक लोकल कलीसिया में रहे और कहीं और चर्च में जाये। आप कभी कामयाय नहीं होंगे। पास्टर के साथ आप झगड़ने का कारण यही है आपके अन्दर जो आत्मा है वह सही नहीं है इसलिए हम खुद को बदलना जरूरी है। पास्टर और विश्वासियों दोनों मनुष्य हो सकते है उनके अन्दर कोई छोटी-छोटी कमजोरी को आपने महसूस या समझा हो लेकिन यीशु ने कहा तूने 7-70 बार क्षमा कर और उनकी कमजोरियों को समझाओ और सहन करना, दया का स्वभाव होना हमारे अन्दर जरूरी है।


आप जिस चर्च में जाते हैं वहां पास्टर और विश्वासियों की कमजोरियां देखकर कलीसिया बार-बार बदलने वाला न बनें। प्रभु ने आपको खड़ा किया। उस कलीसिया में आप स्थिर रहें और आराधना करें। आपके द्वारा परमेश्वर लोगों के अन्दर जागृति और बदलाव को लायेगा।


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