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कलीसिया क्या है | What is the church ?

कलीसिया का मतलब प्रभु के द्वारा संसार से अलग किए पवित्र लोग

कलीसिया क्या है  | What is the church?

कलीसिया की स्थापना परमेश्वर ने ही शुरू की। प्रभु ने कहा मैं अपनी कलीसिया बनाऊंगा। अधोलोक के फाटक उस पर प्रबल न होगे। प्रभु की कलीसिया ईंटों से बनी हुई कोई चर्च नहीं है। यीशु के लहू के द्वारा मुक्ति पाये परमेश्वर के पवित्र लोगों को धरती से ले जाने के लिए यीशु आयेगा उस कलीसिया का कोई अलग नाम नहीं है। वे परमेश्वर के जन कहलाते हैं। आप उस कलीसिया के अंग होने के कारण उसमें घमण्ड करें लेकिन इस धरती में हमें आत्मिक तौर से बढ़ोत्तरी और आराधना के लिए संगति रखना जरूरी है। हमारी बढ़ोत्तरी कलीसिया के द्वारा होती है।


आपने यीशु से प्रेम किया उसी प्रकार परमेश्वर के जन को अपने समान प्रेम रखना जरूरी है। जैसे एक लड़की की शादी होती है सिर्फ अपने पति को प्रेम करने के कारण वह ससुराल में नहीं रह सकती। ससुराल के हर एक व्यक्ति के साथ प्रेम रखना उनकी आदतें और स्वभाव के अनुसार खुद को बदलना जरूरी है। अगर वह नहीं बदलती तो ससुराल में बड़ी गड़बड़ हो जाएगी। 


इसी प्रकार हम सिर्फ यीशु मसीह को प्रेम करने के कारण एक कलीसिया में रह नहीं सकते बल्कि अपने पासबानों के अधीन में रहना और आपसे छोटा हो या बड़ा हो, कंगाल हो या अमीर हो, छोटा गोत्र हो या बड़ा गोत्र हो, पढ़े-लिखे हों या अनपढ़ हो, दूसरे की कमजोरी को सहन करना क्षमा करना उनके अपराधों को भूलकर उनको प्रेम करना उनके लिए प्रार्थना करने वाले भी हम बनें। हम आपस में गड़बड़ पैदा न करें। अपनी इच्छा को पूरा करने के लिए एक विशेष स्थान, आदर और पैसा बनाने के लिए कलीसिया का उपयोग न करें। आप कलीसिया में हमेशा एक नम्र और दीन व्यक्ति होने के लिए कोशिश करें। 


आप दूसरे की सेवा करें। उनके लिए जो सहायता कर सकते हैं उसे करें और कंगालों की और अनाथों की मदद करें। कलीसिया में किसी व्यक्ति को ज्ञान की कमी लग रही हो, तो आप प्रभु से उनके ज्ञान और बुद्धि के लिए प्रार्थना करें और कलीसिया में किसी व्यक्ति का स्वभाव और व्यवहार आपको अच्छा नहीं लगता हो तो आप उसके प्रति मन में कड़वापन न रखें। आप उनके लिए उपवास और प्रार्थना करें नहीं तो उसी व्यक्ति के पीछे घूमता शैतान आपको बहुत तंग करेगा। हो सकता है कि आपको कलीसिया छोड़ना पड़े। नहीं तो आपके कारण दूसरे व्यक्ति को कलीसिया छोड़ना पड़ेगा। आपने सुना होगा कई खानदान में बहु आ जाने से घर का माहौल बिगड़ जाता है। उसमें प्रेम, आदर खत्म होता है।


इसी प्रकार कई लोग कलीसिया में आने से कलीसिया बिगड़ जाती है। दुख और शोक लड़ाइयां उनके बीच में होती रहेगी, लेकिन आप याद रखें कि आपके आगमन के कारण कलीसिया के सारे लोग खुश और आन्नदित होने के लिए आप खुद को समर्पित करें। कलीसिया परमेश्वर की देह है, उसको हम दर्द देने वाले न बने। हमारे एक शरीर के अन्दर अलग-अलग अंग हैं।


उसी प्रकार कलीसिया में भी अलग-अलग प्रकार के लोग हैं। सबका काम एक प्रकार का नहीं होगा। आप खुद एक कलीसिया के अंग होने के कारण आप खुश रहे और आप प्रभु से पूछें, प्रभु आपका राज्य की बढ़ोत्तरी के लिए मैं क्या करू?  प्रभु बुद्धि और ज्ञान और सामर्थ और अगुवाई आपको जरूर देंगे। जैसे बपतिस्मा देने वाले यूहन्ना ने कहा मैं घटू और प्रभु बड़े वो ही भावना आपके जीवन में निरंतर बनी रहे।


कलीसिया में क्या-क्या होता है ?


हमारे लिए नमूना यरूशलेम की कलीसिया है। वहाँ लोग रोज इकट्ठे होते थे। प्रभु द्वारा किए हुए उपकार के लिए स्तुति करते, भजन गाते, प्रभु का धन्यवाद करते उनके उपकारों को याद करते, प्रार्थना करते, बाइबल पढ़ते और वचन से सुनाते थे। उनके बीच में परमेश्वर की सामर्थ्य आई वो लोग अन्य अन्य भाषा में बोलने लगे और उनके बीच में अलग-अलग अनुभव हमे और भविष्यवाणी, चंगाई और छुटकारा उनके बीच में निरन्तर होता रहा। दुष्टात्माएं निकली गई। उस कारण बहुत गवाही भी हुई साथ-साथ कलीसिया बढ़ती रही। 


आप जिस चर्च में जाते हो वहां पर यही बात है या नहीं है आपको जाँचना जरूरी है। आराधना में प्रभु भोज एक भाग है वो भी करना जरूरी है। महीने में एक बार कम से कम प्रभु भोज रखना अच्छा है। कलीसिया को आगे बढ़ाने वाला पवित्रात्मा वह सिर्फ एक व्यक्ति में ही आश्रित नहीं है और उसकी जिम्मेदारी भी नहीं है बल्कि पवित्रात्मा हर एक विश्वासी में है। इसलिए पवित्रात्मा जो अगुवाई देता हैं उसे हमको मानना और करना जरूरी है। हो सकता है आपकी दृष्टि में वो जिम्मेदारी बहुत छोटी हो, लेकिन आप उसे ईमानदारी से पूरा करें जो छोटी बातों में वफादार हो उसको प्रभु अधिक बातों में अधिकारी बनायेगा।


आपके द्वारा हुए काम के ऊपर आप महिमा लेने के लिए कोशिश न करें। अगर आप ऐसा करते हो तो शैतान आपकी जिन्दगी में बड़ी हार लेकर आयेगा। आप से यह काम किया हुआ शक्ति पवित्रात्मा है। पवित्रात्मा हमेशा आदर और महिमा यीशु को देता है। हमसे हमेशा स्तुति और आराधना करने की सामर्थ पवित्रात्मा देता है लेकिन पवित्रात्मा खुद ही आदर नहीं लेता। हम भी एक काम पूरा करने के बाद एक निकम्मे दास है कि जो मुझे करना चाहिए था वही किया है उससे बढ़कर जो भी बात है हमारे मनुष्य की आत्मा से उत्पन्न होती है। हम विश्वासियों की जिम्मेदारी है। दूसरों को यीशु के प्रेम के बारे में बोलना और पापों को याद करवाना और कलीसिया में कोई पाप करता हो अगर आपकी जानकारी में है तो आप खुद उसको समझायें यदि आपसे मुश्किल है तो आप अपने पासबान से कहें।


पाप से भरी हुई कलीसिया में पवित्र आत्मा रुकेगा नहीं चला जाता है। आप एक धर्मी और पवित्र होने के कारण बहुत ही फल लाने वाले व्यक्ति होंगे। यीशु ने कहा तुम बहुत ही फल लाओ। नदी किनारे लगे एक फलवन्त वृक्ष के समान आप हमेशा बने रहे। आपके द्वारा कलीसिया में नये-नये लोग आना शुरू करेंगे। यीशु मसीह के आगमन पर स्वर्ग में आपको खाली हाथ जाना नहीं पड़ेगा। प्रभु के द्वारा तैयार किया हुआ श्रेष्ठ और मनोहर मुकुट को प्राप्त करने वाले बनो। उसकी महिमा आपको स्वर्ग में ही नहीं बल्कि धरती पर भी प्रभु सौ गुणा फल देकर आशीष करेंगे। यीशु ने कहा, "पहले मेरे राज्य और धर्म की खोज करो बाकी सब तुम्हें मिल जायेगा।" आप स्वार्थी न बनें। प्रभु आपको आशीष से भर दे।


कलीसिया में परमेश्वर और बाइबल ही सबसे बड़ी बात है। पवित्रात्मा कलीसिया का नेतृत्व करता है। इसके बाद ही मनुष्य का स्थान है। अगर कोई इन्सान इस बात के विरोध में काम करता है वो के राज्य को प्रभु बढ़ा नहीं पायेगा।


कलीसिया के वरदान


कलीसिया की बढ़ोत्तरी के लिए वरदानों की जरूरत है। हर एक वरदान पवित्रात्मा से मिलता है। कई वरदानों के बारे में बाइबल कहती है बुद्धि की बातें और आत्मा के अनुसार ज्ञान की बातें विश्वास की गम्भीरता, चंगा करने का वरदान, सामर्थ के काम करने की शक्ति और भविष्यवाणी और किसी को कलीसिया में आती आत्माओं की परख और अनेक प्रकार की भाषा और भाषाओं का अर्थ बताना यह सब प्रभावशाली कार्य पवित्रात्मा जिसे वह चाहता है वो बांट देता है। वो उसी से करवाता भी है।


पवित्रात्मा की सामर्थ पाने के बाद आपको अन्य भाषा के वरदान के लिए प्रार्थना करना है। अन्य भाषा पवित्रात्मा ने एक चिन्ह के रूप में दान दिया है। वरूशलेम की कलीसिया के लोग जब इकट्ठे हुए तब उनके बीच में पवित्रात्मा उतर आया। आप प्रेरितों के काम के दूसरे अध्याय में पढ़ते हो और पतरस के प्रचार के द्वारा विश्वास करने वाले लोगों के ऊपर पवित्रात्मा मण्डलाया और वह लोग अन्य भाषा में बोलने लगे। बाइबल कहती है आप अन्य भाषा के लिए प्रार्थना करो। यीशु ने कहा, मुझ से माँगने वालों को मैं पवित्रात्मा कितना अधिक दूंगा। अगर आपने अभी तक अन्य भाषा का वरदान नहीं पाया है तो आप प्रभु से माँगें और इन्तज़ार करें। बार-बार माँगना और आंसू बहा के प्रार्थना करना जरूरी है। प्रभु आपको अन्य भाषा देंगे। हमारा प्रभु अपने वायदे को पूरा करने वाला है। अगर आपको अन्य भाषा मिल गया तो आप भविष्यवाणी का वरदान के लिए प्रार्थना करें। आपने यह कहावत सुनी होगी कि " अगर आपने कुछ पाना है तो कुछ खोना होगा।" हमें अपनी शारीरिक इच्छा, आदर, ऊँचाई बढ़ोत्तरी और पैसा यह सब कुछ आपने प्रभु के नाम पर खोना पड़ता है और आपको कौन-सा वरदान देना है यह आपकी इच्छा के मुताबिक नहीं परमेश्वर की इच्छा के मुताबिक प्रभु देता है।


शुरू-शुरू में आपको लोगों को सुसमाचार बोलने के लिए और उनके दुख और संकट के बीच में आप सहारा देने के लिए दूसरों के लिए प्रार्थना करने के लिए बोझ प्रभु आपको देता है। प्रभु के लोगों का आदर करना, अतिथि सत्कार करना और खाना बनाने का और भक्तों को पानी पिलाने के लिए कलीसिया में आराधना में दरी बिछाना, कुर्सी डालना और गीत गाना लोगों को संभालना इसी प्रकार के बोझ प्रभु आपको देते हैं, लेकिन कई लोग यह क्या है, यह मेरे बस की बात नहीं है। यह बोलकर पीछे हटते हैं तो आपके जीवन में जो आशीष मिलनी है उसको इस तरह न करने से नष्ट करते हैं। इसलिए प्रभु जो भी बोझ आपको दे उसे बिना शर्म और अपमान की बात न समझे बिना उसे पूरा करने के लिए पूरे मन से समर्पण करें। प्रभु आपको ठीक रीति से ऊँचा उठायेगा और आदर देगा।


कलीसिया का सिर यीशु है। हम परमेश्वर की देह हैं। शरीर क्या करता है. यह निर्णय यीशु ने लेना है इसलिए यीशु का शब्द सुनने के लिए शरीर हमेशा तैयार होना ज़रूरी है। इस धरती पर परमेश्वर की महिमा होने के लिए प्रभु ने पाप से अलग करके पवित्र किया। हम परमेश्वर की सन्तान है इस बात को समझते हुए हर एक वरदानों को संभालने के लिए और कलीसिया में अपने समाज में हम तैयार हो जायें यही गवाही बहुत लोगों को प्रभु में ले आयेगा।


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