आज हम सूबेदार के विश्वास की एक सच्ची घटना के बारे जानेंगे जो की हमें लूका रचित समाचार के 7 अध्याय में एक वचन से 10 वचन तक देखने को मिलता है। यह उस समय की बात है जब प्रभु यीशु अपनी सेविकाई के दौरान कफरनहूम आए। क्योंकि प्रभु यीशु अपने सेविकाई के दौरान जगह-जगह जाकर परमेश्वर के राज्य का प्रचार कर रहे थे और किसी सूबेदार का एक दास जो उसका प्रिय था वह बीमारी से मारने वाला था. जब सूबेदार ने यह सुना कि प्रभु यीशु मसीह कफरनहूम आए हैं तो उसने यीशु के पास आकर उसे विनती की, है प्रभु मेरा सेवक घर में झोले का मारा बहुत दुखी पड़ा है तब प्रभु यीशु ने उससे कहा कि मैं आकर उसे चंगा करूंगा। सूबेदार ने उसे कहा कि हे प्रभु मैं इस योग नहीं कि तुम मेरे छत तले आए पर केवल मुख से कह दे तो मेरा सेवक चंगा हो जाएगा।
क्योंकि मैं भी पराधीन मनुष्य हूं और सिपाही मेरे हाथ में है और जब मैं एक से कहता हूं जा तो वह जाता है और दूसरे को कहता हूं आ तो वह आता है और अपने दास से कहता हूं कि यह कर तो वह करता है. यह सुनकर यीशु ने अचंभा किया और जो उसके पीछे आ रहे थे उनसे कहा कि मैं तुमसे सच कहता हूं कि मैं इजराइल में भी ऐसा विश्वास नहीं पाया। और मैं तुमसे कहता हूं कि बहुत तेरे पूर्व और पश्चिम से आकर इब्राहिम और इजहाहक और याकूब के साथ स्वर्ग में बैठेंगे परंतु राज्य के संतान बाहर अंधेरे में डाल दिए जाएंगे जहां रोना और दांत पीसना होगा और यीशु ने सूबेदार से कहा जा जैसे तेरा विश्वास है वैसे ही तेरे लिए हो और उसका सेवक उस घड़ी चंगा हो गया।
प्रिंयों कुछ बातें हैं जो हमें इस घटना से सीखने को मिलती है. सबसे पहले मैं आपको सूबेदार के बारे में कुछ बातें बताना चाहती हूं प्रिंयों बाइबल हमें बताती है कि यह सूबेदार अपने व्यवहारिक जीवन में बहुत ही नेक था. वह यहूदी नहीं था लेकिन यहूदी लोगों से प्रेम करता था और उनकी मदद भी करता था. उसने कफरनहूम मैं यहूदियों के लिए एक आराधनालय भी बनवाया था. इसके साथ ही वह अपने सेवकों की चिंता किया करता था. कहने का मतलब यह है कि यह सूबेदार मान सम्मान पाया हुआ एक प्रतिष्ठित और भला मनुष्य था. नए नियम के समय में एक स्वामी का अपने सेवकों के प्रति इतनी भलाई की भावना रखना यह एक असामान्य बात थी. रोमी साम्राज्य के बहुत ही कम लोगों में हम इस प्रकार की भावना को पाते हैं. इस घटना में सबसे महत्वपूर्ण और विचार करने वाली बात तो यह है कि एक रोमी सूबेदार जो लगभग 100 सैनिकों के ऊपर प्रधान था वह प्रभु यीशु के पास अपने एक दास की चंगाई का निवेदन लेकर आता है।
प्रिंयों यहां हम देखते हैं कि यह सूबेदार जो की एक गैर यहूदी मनुष्य था उसने प्रभु यीशु के बारे में सुना होगा कि प्रभु यीशु किस तरह से बीमारी को चंगा करते और दुष्ट आत्मा को निकलते हैं. प्रभु यीशु की आश्चर्य कर्मों के बारे में सुनकर उसके मन में भी इस बात का विश्वास आया कि प्रभु यीशु उसकी सेवक को भी चंगा कर सकता है और इसलिए वह प्रभु यीशु की पास आता है. यही नहीं प्रिंयों मैं आपको यह भी बताना चाहती हूं कि जिस सेवक की चंगाई के बारे में सूबेदार प्रभु यीशु से विनती करता है वह सेवक उसका कोई रिश्तेदार या मित्र नहीं था. वह केवल उसका एक दास था लेकिन अपने दास के प्रति इतनी चिंता करना यह बताता है कि यह सूबेदार अपने आचरण और व्यवहार में बहुत ही प्रेमी बहुत दयालु होगा।
उस समय किसी रोमी सैनिक का अपनी दसों के प्रति इतना कृपालु होना बहुत ही दुर्लभ था लेकिन हम देखते हैं कि इस सूबेदार का हृदय अपनी सेवक के प्रति प्रेम से भरा था क्योंकि उसे अपने दासकी चिंता थी और इसी वजह से वह प्रभु के पास आया था. प्रियों आज के वर्तमान समय में भी हमें ऐसे स्वामी और अधिकारी मुश्किल से देखने को मिलते हैं जो अपने सेवक को या कर्मचारी के प्रति अपनी दया व प्रेम दिखाएं। मैं आपको प्रोत्साहित करना चाहती हूं कि यदि आप एक अधिकारी हैं या फिर आप किसी ऊंचे पद पर हो जहां आपकी कई कर्मचारी काम करते हो तो आपको उनके साथ नम्रता पूर्वक और प्रेम से व्यवहार करना चाहिए। फिर चाहे वह आपका घर हो या आपका ऑफिस। यदि आपके घर में भी कोई काम करता हो जैसे - सफाई वाला या माली तो आपको उनके साथ प्रभु के प्रेम और दीनता में होकर ही व्यवहार करना चाहिए। ताकि वे लोग भी परमेश्वर की दया प्रेम और अनुग्रह को जान सके.
इस घटना में हम कितनी अदभुत बाद देखते हैं कि एक सूबेदार अर्थात एक अधिकारी अपने एक सेवक के लिए प्रभु से विनती करता है ताकि प्रभु उसे चंगा करें। प्रियों यह सूबेदार ऐसा इसलिए कर सका क्योंकि उसके अंदर अपने पद का जरा भी घमंड नहीं था. वह चाहता तो अपने पद और अपने अधिकार का इस्तेमाल करके वह अपने सेवक को चंगाई दिला सकता था. लेकिन हम देखते हैं की इस सूबेदार ने अपने पद और अधिकार का गलत इस्तेमाल नहीं किया। यहां तक की इस घटना में हम इस सूबेदार के जीवन में घमंड या अहंकार जैसी कोई बात देखते ही नहीं है. लेकिन वर्तमान समय में जब कोई भी व्यक्ति किसी ऊंचे पद को या अधिकार को प्राप्त कर लेता है तो फिर वह अपने आप को महान समझने लगता है। और जैसा उसका मन चाहता है वैसा वह अपने पद और अधिकार का इस्तेमाल करता है. प्रियों मैं अपने जीवन में ऐसे कई लोगों को देखा है जिन्हें जब कोई ऊंचा पद मिलता है तो वह घमंड से भर जाते हैं और अपने अधीन में काम करने वाले लोगों के साथ मनमाना या बुरा व्यवहार करते हैं जो की बिल्कुल गलत है.
एक बात हमेशा ध्यान रखिए की ऊंचे पद के साथ घमंड भी आता है इसलिए प्रभु यीशु ने भी यही कहा है कि जो कोई अपने आप को छोटा बनाएगा वह बड़ा किया जाएगा, साथ ही प्रभु ने यही भी कहा है कि जो कोइ तुम्हें बड़ा होना चाहे वह तुम्हारा सेवक बने. परमेश्वर के राज्य में केवल वही लोग महान या बड़े समझ जाएंगे जिन्होंने इस संसार में रहते हुए अपने आप को सबसे छोटा बनाए रखा है और अपने पद या अधिकार का घमंड ना करते हुए लोगों की सेवा की है. इसलिए प्रिंयों आप चाहे कितनी ही बड़े पद पर क्यों ना हो कभी अपने पद या अधिकार के कारण घमंड ना करें और ना ही अपने अधीन काम करने वालों को निचा समझे। इस सूबेदार की तरह ही अपने सेवक या अपने अधीन काम करने वाले लोगों के साथ भलाई का व्यवहार करें। क्योंकि आप अपने आप को जितनी छोटा बनाएंगे परमेश्वर के राज्य में आप उतना ही महान कहलाएंगे। क्योंकि यह परमेश्वर का वादा है.
इसके बाद इस घटना में हम यह भी देखते ही प्रिंयों की सूबेदार की विनती करने पर जब प्रभु यीशु उसके साथ जाने की इच्छा बताते हैं तो सूबेदार प्रभु से कहता है कि हे प्रभु मैं इस योग्य नहीं कि तुम मेरी छत तले आए पर केवल मुंह से कह दे तो मेरा सेवक चंगा हो जाएगा। प्रियों जब प्रभु ने सूबेदार से यह सुन तो वह चकित हुआ क्योंकि सूबेदार कोई यहूदी नहीं था पर अन्य जाति मनुष्य था. साथ ही वह रोमी सेवा का एक अधिकारी भी था और प्रभु के समय में जेरूसलम पर रोमन साम्राज्य का अधिकार था। प्रभु के प्रति जो विश्वास इस सूबेदार ने दिखाया ऐसा विश्वास प्रभु ने पूरे इजराइल में कहीं नहीं देखा था. इसलिए प्रभु सूबेदार की बात से आश्चर्यचकित होकर कहते हैं कि मैं तुमसे सच-सच कहता हूं कि मैं इजराइल में भी ऐसा बड़ा विश्वास नहीं देखा।
मेरे प्रियों क्या आपने कभी यह सोचा है कि प्रभु यीशु ने इस सूबेदार की बात को सुनकर क्यों आश्चर्य किया और क्यों यह कहा कि मैं इजराइल में भी ऐसा विश्वासनहीं देखा। तो मैं आपको बताना चाहती हूं कि यदि आप लूक रचित सुमाचार में इस घटना में पहले की कुछ घटनाओं को देखोगे तो आप पाओगे कि प्रभु ने कई बीमारी को चंगा किया। जिसमें कोड़ी थे, सुखी हाथ वाला मनुष्य था, कोढ़ी का रोगी था, और यही नहीं पतरस के घर पर भी प्रभु ने पतरस की सास के ज्वार को चंगा किया। साथ ही वहां जो भी व्यक्ति अपनी बीमारी के साथ आया प्रभु ने उसे चंगा किया। यहां तक की लोगों के अंदर से दुष्ट आत्मा को भी निकाला। लेकिन ध्यान दे कितने लोगों को प्रभु ने चंगाई दी थी ? वह लोग या तो यीशु के पास आए थे या फिर प्रभु यीशु उनके पास गए थे तो उन्हें चंगाई मिली थी.
लेकिन इस घटना में हम यह देखते हैं कि सूबेदार की बिनती करने पर जब प्रभु यीशु उसके घर चलकर उसकी सेवक को चंगा करने की बात कहते हैं तो वह सूबेदार प्रभु को अपने घर में आने से मना कर देता है और यह कहता है कि तू इसी स्थान से कह दे तो मेरा सेवक चंगा हो जाएगा अर्थात उस सूबेदार को प्रभु पर और उसके समर्थ पर इतना विश्वास था कि यदि प्रभु यहीं पर से जहां वह है उसकी सेवक की चंगाई की विषय में आज्ञा देंगे तो वह चंगा हो जाएगा, प्रभु को उसके घर जाने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी। उस सूबेदार का यही विश्वास देखकर प्रभु को आश्चर्य हुआ वह इस बात को अच्छी तरह से जानता था कि प्रभु यीशु के कहने मात्र से उसका सेवक चंगा हो जाएगा। कितनी अदभुत बात है की एक अन्य जाति व्यक्ति को प्रभु पर इतना विश्वास था जितना यहूदियों को भी नहीं था। इसलिए तो प्रभु ने कहा कि मैं इजराइल में भी ऐसा विश्वास नहीं पाया।
उसे समय बहुत कम यहूदी यह मानते थे कि प्रभु यीशु परमेश्वर का पुत्र है. यहां तक की प्रभु के भाई भी उसे पर विश्वास नहीं करते थे। लेकिन इस अन्य जातीय सूबेदार का विश्वास बड़ा था और इस विश्वास के कारण उसका सेवक चंगाई पाया था. मेरे प्रियों ठीक इसी तरह वर्तमान समय में भी अन्य जातियों में जन्मजात मसीही लोगों से ज्यादा विश्वास पाया जाता है। अर्थात वे लोग जो अन्य जाति में से मसीह में आए हैं उन लोगों में जन्मजात मसीह लोगों से ज्यादा विश्वासदेखा गया है और हम इस सच्चाई से इनकार नहीं कर सकते हैं. आप लोगों ने भी यह देखा होगा की नई विश्वास ही प्रभु में कितने मजबूत होते हैं और इसलिए आप यह भी देखोगे की सुसमाचार प्रचार का काम अधिकतर ऐसे लोगों के द्वारा किया जा रहा है जिन्हें मसीह में आए हुए थोड़ा ही समय हुआ है।
प्रभु ने यह पहले ही कह दिया था की अन्य जातियों लोग यहूदी कुलपतियों के साथ सहभागिता का आनंद लेंगे परंतु राज्य की संताने बाहर अंधेरे में डाल दिए जाएंगे। जहां वे विलाप करेंगे और अपने दातों को पीसेंगे। इस घटना में राज्य की संतान उन्हें कहा गया है जो जन्म से यहूदी है जो अपने मुंह से तो यह अंगीकार करती हैं कि परमेश्वर उनका राजा है परंतु वे सच्चे मन से परमेश्वर पर विश्वास नहीं करते और ना ही पापों से अपना मन फिरातें हैं. इसी तरह वे सभी लोग जिन्हें मसीह परिवार में जन्म लेने का और मसीही वातावरण में बढ़ाने का अवसर प्राप्त हुआ है फिर नरक में नाश हो जाएंगे क्योंकि उन्होंने अपने कामों से प्रभु यीशु का इनकार किया है और वे लोग जो आरोग्य और कुछ समझी जाते थे. अर्थात् अन्य जाति लोग विश्वास की अनंत महिमा का आनंद लेंगे क्योंकि उन्होंने सोच समाचार को सुनकर अपना मन फिराया। और उद्धार के लिए यीशु पर विश्वास किया।
मेरे प्रियों, इस घटना से यह तो साफ-साफ समझ में आता है कि हमारे जीवन में बड़े विश्वास का होना कितना जरूरी है। एक विश्वास जो हमारे जीवन में प्रभावशाली परिवर्तन लेकर आए ताकि हम उसके गवाह बन सके और उसे प्रसन्न कर सके. एक बात हमसे ध्यान रखना कि हम विश्वास के बिना परमेश्वर को प्रसन्न नहीं कर सकते हैं. क्योंकि इब्रानियों की पत्रि में यह लिखा है कि विश्वास बिना उसे प्रसन्न करना अनहोना है. हम अपने विश्वास के द्वारा ही परमेश्वर को प्रसन्न कर सकते हैं. इसलिए अपने जीवन में सूबेदार के जैसा विश्वास रखें, जिससे प्रभु के मुख से निकलने वाले हर एक वचन पर विश्वास था. इसलिए तो उसने कहा कि सिर्फ कह दे तो मेरा सेवक चंगा हो जाएगा। ठीक इसी तरह यदि हमारा विश्वास भी रहा तो हम भी अपने और अपने परिवार में परमेश्वर के समर्थी और अद्भुत कामों को होते हुए देखेंगे।
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