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पर्वतों से सहायता | I lift my eyes up to the mountains Psalm 121

मैं अपनी आंखें पर्वतों की ओर लगाऊंगा। मुझे सहायता कहां से मिलेगी? मुझे सहायता यहोवा की ओर से मिलती है, जो आकाश और पृथ्वी का कर्त्ता है। ( भजन संहिता 121: 1-2)

पर्वतों से सहायता | I lift my eyes up to the mountains Psalm 121

हम सब नये वर्ष में प्रवेश कर लिया है। हम सब की नये साल को लेकर अपनी-अपनी अपेक्षाएं होंगी कि नया साल हमारे लिए क्या लेकर आएगा? हम में से कुछ सोचते होंगे कि कम से कम यह साल मेरे परिवार के लिए, पेशे के लिए कुछ नया लेकर आएगा। कुछ यह विचार करते होंगे कि अब तक जिन आशीषों का वे इंतजार कर रहे थे, वे आशीषं उन्हें इस वर्ष तो अवश्य मिलेंगी। पर उपर दिये शीर्षक के पद के अनुसार, एक ही पर्वत है जहां से हमें सहायता मिलती रहती है, और वह पर्वत है प्रभु यीशु (भजन संहिता 35:2-3)। इसलिए आईये, हम उस पर विश्वास करें और उससे लिपटें रहें। उस सामर्थ के अनुसार जो हम में कार्य करती है, हम हमारे मांगने से और सोच से बढ़कर उसके द्वारा बहुतायत की आशीषं पाएंगे (इफिसियों 3:20)।


एक विशेष कार्यालय था जहां एक अधिकारी था। वह अपने कर्तव्यों को बहुत निष्ठा और अखंडता से पूरा किया करता था। पर जब उसके कनिष्ठों (जूनियर) को तरक्की मिली, तब न उसकी विश्वसनीय सेवाओं को माना गया और न ही उसे अलग से कोई लाभ प्राप्त हुआ। इससे उसका दिल टूट गया। एक दिन उसने एक प्रामाणिक निर्णय लिया। जैसे ही वह अपने ऑफिस से घर आया, खाना छोड़कर अपने कमरे में गया और अपने दुःख और निराशा को परमेश्वर के सामने प्रार्थना में रख दिया। उसका हृदय एक आलौकिक शांति से भर गया और उसे मीठी नींद आ गई। 


इस अनुभव से प्रेरित होकर उसने रोज़ाना प्रार्थना करनी शुरू कर दी। एक दिन उसकी कम्पनी के एक उच्च अधिकारी ने आकस्मिक निरीक्षण किया। उसने सभी कर्मचारियों के प्रमाणपत्रों को देखा और ज़बरदस्त तरीके से यह महसूस किया कि जहां तक इस व्यक्ति की उन्नति और तनख्वाह आदि का संबंध है, उसके साथ बहुत अन्याय हुआ है। इस पहलू पर उसे संबंधित अधिकारियों से अपने प्रश्नों के संतोषजनक उत्तर नहीं मिल सके। उसने उन अधिकारियों को फटकार लगाई और एक ऊंचा पद उत्पन्न करके उस व्यक्ति को तरक्की दे दी। आमदनी भी इस अधिकारी की अपेक्षाओं से कहीं अधिक बढ़कर थी। उस उच्च अधिकारी के इस कार्य से पूरा ऑफिस आश्चर्यचकित था।


जी हां, हम यह साहस के साथ बोल सकते हैं कि स्वयं परमेश्वर उस उच्च अधिकारी के रूप में इस व्यक्ति को न्याय देने आया था। हमारा परमेश्वर आज भी जीवित है। अगर आप भी इस अधिकारी की तरह परमेश्वर की मदद लेंगे तो आप भी इस पूरे वर्ष भर ऐसे ही आश्चर्यकर्म अनुभव करेंगे। वह आपकी सारी आवश्यकताओं को आशीषों में बदल देगा (भजन संहिता 44:26)


भजन संहिता 121

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