सदोम और अमोरा नगर की दुष्टता! जिसका वर्णन आपको उत्पत्ति की किताब 19 अध्याय में वचन 1 से 29 वचन तक देखने को मिल जाएगा। बाइबिल बताती है अब्राहम का भतीजा लूत उससे अलग होकर सदोम में रहने लगा था। तब एक दिन परमेश्वर यहोवा ने अब्राहम से कहा कि सदोम और अमोरा के चिल्लाहट बढ़ गई है और उनके पाप बहुत भारी हो गया है इसलिए मैं उतर कर देखूंगा कि उसकी जैसी चिल्लाहट मेरे कहां तक पहुंची है। उन्होंने ठीक वैसा ही काम किया है कि नहीं और ना किया हो तो मैं उसे जान लूंगा।
तब अब्राहम यहोवा के आगे खड़ा रह गया और उसने यहोवा से कहा कि क्या तू सचमुच दुष्ट के संग धर्मी का भी नाश करेगा तथा उसे नगर में 50 धर्मी हो तो क्या तू सचमुच उसे स्थान को नष्ट करेगा तब परमेश्वर ने कहा यदि मुझे वहां 50 धर्मी में भी मिले तो मैं नगर को नाश न करूंगा। तब अब्राहम ने फिर से पूछा कि यदि वहां पर 45 धर्मी मिले तो क्या तू उस नगर को नाश करेगा? तब यहोवा ने कहा कि यदि मुझे वहां 45 धर्मी भी मिले तो मैं उस नगर को नाश नहीं करूंगा। ऐसा कहते कहते बार-बार अब्राहम विनती करके यहोवा से अंत तक पछता रहा कि यदि वहां केवल 10 धर्मी ही मिले तो भी क्या तू उसे नगर को नष्ट करेगा। इस पर परमेश्वर यहोवा ने उससे कहा कि यदि मुझे वहां 10 धर्मी भी मिले तो मैं उस नगर को नाश नहीं करूंगा।
जब यहोवा अब्राहम से यह बातें कर चुका तब चला गया और अब्राहम अपने घर लौट गया। अब्राहम परमेश्वर का सच्चाभक्त धर्मी पुरुष और परमेश्वर का मित्र भी था। इसलिए जब परमेश्वर यहोवा सदोम और अमोरा का नाश करने वाले थे तो उससे पहले परमेश्वर ने यह बात अब्राहम को बताएं। यहां समझने वाली बात यह है कि अगर परमेश्वर चाहते तो अब्राहम को बिना बताए भी सदोम और अमोरा का नाश कर सकते थे लेकिन हम देखते हैं कि परमेश्वर ने चाहा कि ऐसा करने से पहले वह अब्राहम को यह बात बताएं कि वह सदोम और अमोरा के साथ क्या करने जा रहे हैं। प्रियों एक तरह से देखा जाए तो परमेश्वर ने अपने दिल की बात को जो वह करने जा रहे थे उसे अब्राहम पर प्रकट किया।
क्योंकि परमेश्वर के लिए अब्राहम एक मित्र के समान था। कितनी अदभुत और आश्चर्यजनक बात है कि एक मनुष्य को परमेश्वर अपना मित्र समझकर उसे अपने मन की बात कहता है। क्योंकि प्रियों अब्राहम परमेश्वर का भय मानने वाला उसकी आज्ञा का पालन करने वाला तथा उससे प्रार्थना करने वाला जान था। ठीक वैसे ही यदि हम भी अपने आप को परमेश्वर के सम्मुख बनाए रखतें हैं उसका भय मानकर उसकी आज्ञा का पालन करते हैं तो अब्राहम की तरह परमेश्वर हमारे साथ भी अपने मन की भेद को प्रकट कर सकता है। इसके साथ ही हम यह भी देखते हैं कि जब परमेश्वर ने सदोम और अमोरा को नाश करने की बात अब्राहम से कहीं तो अब्राहम उन नगरों को नाश होने से बचाने के लिए परमेश्वर से विनती करने लगा। यहां हम अब्राहम की मध्यस्ती की प्रार्थना को देखते हैं। जो उसने सदोम और अमोरा में रहने वाले लोगों के लिए कि।
यद्यपि वंहा लूत को छोड़ और कोई भी धर्मी नहीं था। फिर भी अब्राहम को यह उम्मीद थी कि क्या पता परमेश्वर कुछ धर्मी लोगों के कारण पूरे नगर को नाश नहीं करेगा। लेकिन दुर्भाग्य वर्ष उन नगरों में कोई भी धर्मी नहीं था। यहां हम यह सीख सकते हैं कि हमें भी लोगों के उद्धार के लिए उनके नाश न होने के लिए परमेश्वर से विनती करनी चाहिए। क्या पता कब किसका मन बदल जाए और उसका उद्धार हो जाए। इसलिए बड़ी बोझ के साथ हमें नाश होने वाले लोगों के लिए परमेश्वर से विनती प्रार्थना करनी चाहिए। ताकि वे बचाए जाए और उनका नाश न हो, तब हम आगे देखते हैं की उसी दिन शाम को दो-दूत सदोम के पास आए और लूत सदोम के फाटक के पास बैठा था। तब लूत उन दूतों को दंडवत करके उन्हें अपने घर ले गया और उन्हें भोजन कराया। तब नगर के लोगों ने लूत के घर को घेर लिया और लूत से पुकार कर कहने लगें की जो पुरुष तेरे यहां आए हैं उनको बाहर ला कि हम उनसे भोग करें।
लेकिन लूत ने ऐसा करने से मना कर दिया और कहा कि इन पुरुषों से कुछ ना करो क्योंकि यह मेरी छत तले आए हैं परंतु वे लोग ना माने और उन्होंने दरवाजा तोड़कर अंदर आने की कोशिश की लेकिन उन दोनों ने उन सब को अंधा करदिया और वह दरवाजा को ढूंढते रह गए। पर उनको दरवाजा ना मिला। फिर उन दूतों ने लूत को उस नगर से जाने के लिए कहा। तब लूत अपने दामादों के पास गया और उनसे भी चलने के लिए कहा लेकिन उसके दामादों ने लूत का मजाक उड़ाया और लूत के साथ चलने से इनकार कर दिया। तब लूत अपने घर पर चला गया और भोर को पाऊँ फटते ही दूतों ने लूत से जल्दी नगर से बाहर निकलने के लिए कहा। लेकिन लूत विलंब करता रहा था तब दूतों ने उसका हाथ पकड़ कर उन्हें नगर के बाहर निकाला और कहा कि पहाड़ पर भाग जा और पीछे मुड़कर मत देखना।
तब लूत अपनी पत्नी और बेटियों को लेकर पहाड़ पर भाग गया और परमेश्वर ने आकाश से गंधक और आग बरसाई और सदोम और अमोरा के सब निवासियों को और भूमि की सारी उपज को नष्ट कर दिया और लूत की पत्नी जो लूत के पीछे-पीछे चल रही थी उसने दूतों की आज्ञा न मानी और पीछे मुड़कर देखा और वह नमक का खंबा बन गई। सदोम और अमोरा के विषय में कुछ बातें जिन्हे आपको जानना चाहिए। जैसा कि आप जानते हैं कि सदोम और अमोरा नगर परमेश्वर की दृष्टि में बहुत ही दुष्ट और पापी नगर थे लेकिन क्या आप जानते हैं कि सदोम और अमोरा का पाप क्या था? तो मैं आपको बताता हूँ कि यह दोनों नगर समलैंगिकता के पाप से भरे हुए थे अर्थात् स्त्री स्त्री के साथ संबंध बनाती थी और पुरुष पुरुष के साथ। यही नहीं इन नगरों की दुष्टता की हद तब हो गई जब यहां के लोग पशुओं के साथ भी संबंध बनाने लगे ऐसे संबंध अप्राकृतिक संबंध है और ऐसा करने वालों से परमेश्वर भृण करते हैं।
परमेश्वर ने पुरुष के लिए स्त्री और स्त्री के लिए पुरुष को बनाया है कहने का तातपर्य यह है कि परमेश्वर ने आदम के लिए हवा को बनाया था आदम को नहीं। लेकिन सदोम अमोरा के लोग ने वह पाप किया जो परमेश्वर की दृष्टि में घृणित है। ठीक इसी तरह का पाप कानन के लोगों में भी पाया जाता था। यही कारण था कि परमेश्वर ने इस्राइलियों को आज्ञा दी थी कि कानन के निवासियों को पूरी तरह नष्ट करना और उनके जैसे काम न करना। प्रियों सदोम अमोरा के जैसे पाप आज के वर्तमान समय में भी बढ़ने लगे हैं आज कई देशों में समलैंगिक विवाह को कानूनी रूप से अवैध कर दिया गया है और कई देश ऐसे विवाह को कानूनी रूप से वैध करने का विचार कर रहे हैं अब तक जिन देशों ने समलैंगिक विवाह को वैध कर दिया है उनमें से ज्यादातर देशों में मसीही लोग बहुत संख्या में पाए जाते हैं जैसे : अमेरिका, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया और इन देशों में सरकारी पद पर बैठने वाले अधिकतर लोग भी मसीही हैं। लेकिन इसके बाद भी इन देशों द्वारा समलैंगिक विवाह को कानूनी रूप से सहित ठहरा देना कई सवाल खड़ा करता है।
यही नहीं हमारे भारत में भी समलैंगिक विभाग को कानूनी रूप से बढ़ता देने की मांग उठी लेकिन भारत सरकार ने इस पर रोक लगा दी है और फिलहाल यह कैसे सर्वेओक न्यायालय में विचाराधीन है लेकिन फिर भी आप देखोगे कि समलैंगिक लोगों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है और शैतान भी लोगों को इस पाप में फसता जा रहा है। जैसे आप देखोगे कि यदि कहीं पर समलैंगिक विवाह का विरोध किया जाता है तो वहां लोग आजादी की और मानव अधिकारों की बात करने लगते हैं और इसके फायदे गिनाने लगते हैं। क्योंकि शैतान ने उनकी आंखें अंधी कर दी है और यह लोग वासना के पाप में इस कदर डूब चुके हैं कि इन्हें ऐसा लगता है जो वह कर रहे हैं वह सही ह। लेकिन मैं आपको बता दूं की जिस जिस देश में समलैंगिक विवाह को कानूनी विविधता मिल चुकी है उन देशों का हाल सदोम और अमोरा से भी भयानक होगा।
क्योंकि यह एक ऐसा पाप है जो परमेश्वर की सृष्टि की विरोध है सदोम अमोरा एक तरह से हमारे लिए एक नमूना है एक उदाहरण है कि ऐसे पापों का क्या परिणाम हो सकता है। उस समय जो सदोम अमोरा में होता था वह आज पूरी दुनिया में हो रहा है। आज के समय में यह दुनिया वासना के प्रति दीवानी हो चुकी है और अनैतिकता का स्तर अपने चरम पर है। इसलिए आप देखोगे कि आज लोग अश्लील बातें करते और अश्लील काम करते हुए भी नहीं शरमाते या नहीं घबराते। क्योंकि उनके लिए यह मनोरंजन का एक माध्यम है। आज की दुनिया में हर जगह आपको अश्लीलता देखने को मिलेगी और लोगों को ऐसा करने में जरा भी लज्जा महसूस नहीं होती। ठीक इसी प्रकार से सदोम और अमोरा में भी हो रहा था। क्योंकि वहां के लोगों ने लूत को खुल्लम-खुल्ला बोला कि जो पुरुष तेरे यहां आए हैं उन्हें हमें दे कि हम उनसे भोग करें।
भोग करने का मतलब था कि वह उनके साथ संबंध रखना चाहते थे और जब दूतों द्वारा उनको अंधा कर दिया गया तोभी वे लोग पश्चाताप करने के बजाय दरवाजा ढूंढ रहे थे ताकि उन पुरुषों के साथ संबंध बना सके। आप सोच सकते हैं कि वहां के लोग अपनी वासना पूरी करने के लिए कितने उतावली थे। मैं आपसे एक सवाल पूछना चाहती हूं कि क्या कभी आपने सोचा है कि एड्स की बीमारी इस दुनिया में क्यों आई ? क्योंकि लोग सुरक्षित यौन संबंध बनाने के लिए प्रोत्साहित है। क्योंकि आप लोग जानते हैं कि एड्स ऐसे ही लोगों को होता है जिन्होंने अनुचित यौन संबंध बनाए हो यह बीमारी भी इसी पाप का नतीजा है। लेकिन कई लोग तो इस बीमारी से भी नहीं डरते और वही करते हैं जो उन्हें करना है। लेकिन मैं आपको बता दूं दुनिया का हर वह व्यक्ति जो वासना और समलैंगिकता के पाप में डूबा हुआ है और अपना मन नहीं फिराता।
उसके साथ सदोम और अमोरा से भी भयानक रीति से परमेश्वर न्याय करेगा और यह मैं नहीं परमेश्वर का वचन कहता है इसलिए मेरे भाई बहनों मैं आपको प्रोत्साहित करना चाहती हूं कि यह दुनिया चाहे कितनी ही भ्रष्ट क्यों ना हो जाए अपने आप को इस दुनिया के पापों से दूर रखें। अपनी अभिलाषाओं पर नियंत्रण रखें और इस दुनिया के कामों में सहभागी ना हो। क्योंकि यह दुनिया एक दिन नष्ट होने वाली है। सदोम और अमोरा से भी ज्यादा भयानक रीति से इस दुनिया का अंत होगा। लेकिन उस समय केवल वही लोग बचेंगे जो लूत की तरह अपने आप को उन दुष्ट और अनैतिक नगरों में रहते हुए भी धर्मी बनाए रखेगा और उनके जैसे काम नहीं करेगा। सदोम और अमोरा उस समय के एक संपन्न और समृद्ध नगर थे। लेकिन उनके समृद्धि या संपन्निता का यह मतलब नहीं की परमेश्वर उनसे प्रसन्न था।
क्योंकि आजकल लोग यही सोचते हैं की संपन्नता और समृद्धि परमेश्वर का आशीर्वाद है। लेकिन प्रियों ऐसा बिल्कुल नहीं है आप कभी भी किसी देश या किसी व्यक्ति की संपनता को परमेश्वर की आशीष समझने की गलती ना करें। क्योंकि सदोम अमोरा भी संपन्न थे लेकिन परमेश्वर उनसे प्रसन्न नहीं था। बल्कि परमेश्वर ने उन नगरों को नाश कर डाला। ठीक वैसे ही हर एक वह नगर या देश चाहे वह कितना ही समृद्ध या संपन्न क्यों ना हो यदि वहां की निवासियों में परमेश्वर का भय नहीं है तो वह नगर और देश भी सदोम अमोरा की तरह एक दिन रात में बदल जाएगा। इसलिए प्रिय जब आप इस संसार में अपना जीवन व्यर्थ करते हैं तो बड़ी सावधानी से व्यतीत करें। ताकि दुनिया की बुराइयों का प्रभाव आप पर ना पड़े और आप अपने आप को इस अनैतिक और भ्रष्ट दुनिया में पवित्र बनाए रखो.
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