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नूह की कहानी: विश्वास और आज्ञापालन की मिसाल

नूह की कहानी बाइबिल के उत्पत्ति (Genesis) पुस्तक में मिलती है। यह कहानी विश्वास, आज्ञापालन, और परमेश्वर की दया को दर्शाती है। नूह का चरित्र और उनकी कार्यवाही हमें यह सिखाती है कि किस प्रकार हम अपने जीवन में परमेश्वर के प्रति सच्चे और ईमानदार रह सकते हैं।

नूह की कहानी: विश्वास और आज्ञापालन की मिसाल

नूह का परिचय

नूह एक धर्मी और ईमानदार व्यक्ति थे जो परमेश्वर के साथ चलने वाले थे। उस समय के लोग पाप और बुराई में डूबे हुए थे, और परमेश्वर ने नूह को चुना क्योंकि वह उनके आदेशों का पालन करने वाला एकमात्र व्यक्ति था। उत्पत्ति 6:9: "नूह का इतिहास यह है कि नूह एक धर्मी पुरुष था और अपने समय के लोगों में खरा उतरता था। नूह परमेश्वर के साथ-साथ चलता था।"


बाढ़ की चेतावनी

परमेश्वर ने नूह को बताया कि वह पृथ्वी पर एक महान बाढ़ लाने वाला है जिससे समस्त जीवित प्राणी नष्ट हो जाएंगे। परमेश्वर ने नूह को एक विशाल जहाज (आर्क) बनाने का आदेश दिया ताकि वह अपनी परिवार और प्रत्येक जीव के एक-एक जोड़े को बचा सके।

उत्पत्ति 6:13-14: "परमेश्वर ने नूह से कहा, 'समस्त जीवित प्राणियों का अंत मेरे सामने आ गया है, क्योंकि वे धरती को हिंसा से भर चुके हैं। मैं उन्हें पृथ्वी के साथ नष्ट कर दूँगा। इसलिए तू गोफर लकड़ी का एक जहाज बना।'"

जहाज का निर्माण

नूह ने परमेश्वर के आदेश का पालन करते हुए जहाज का निर्माण किया। यह जहाज तीन मंजिला था और उसकी लंबाई, चौड़ाई, और ऊँचाई का विवरण परमेश्वर ने दिया था। नूह ने परमेश्वर की हर आज्ञा का पालन किया और अपने परिवार के साथ जहाज में प्रवेश किया। उत्पत्ति 6:22: "नूह ने सब कुछ वैसे ही किया जैसा परमेश्वर ने उसे आज्ञा दी थी।"

बाढ़ का आना

नूह के परिवार और जीवों के जोड़े के जहाज में प्रवेश करने के बाद, बाढ़ का आना शुरू हुआ। चालीस दिनों और चालीस रातों तक मूसलधार बारिश होती रही, जिससे समस्त पृथ्वी जलमग्न हो गई और सभी जीवित प्राणी नष्ट हो गए। केवल नूह, उनके परिवार और जहाज में मौजूद जीवित प्राणी ही बच सके।

उत्पत्ति 7:17-23: "पृथ्वी पर चालीस दिन तक बाढ़ रही। पानी बढ़ता गया और जहाज को ऊपर उठाकर ऊपर बहा ले गया... सभी जीवित प्राणी जो भूमि पर थे, नष्ट हो गए... केवल नूह और जो जहाज में थे, वे ही बचे।"

बाढ़ के बाद

बाढ़ के बाद, पानी धीरे-धीरे उतर गया और जहाज अरारात पर्वत पर ठहर गया। नूह ने एक कबूतर को भेजकर यह जानने की कोशिश की कि कहीं सूखी जमीन है या नहीं। अंततः कबूतर ने एक जैतून की पत्ती लेकर वापसी की, जिससे नूह को पता चला कि पानी उतर चुका है।

उत्पत्ति 8:11: "शाम को कबूतर नूह के पास लौटा और उसके मुँह में ताज़ी तोड़ी हुई जैतून की पत्ती थी। तब नूह ने जान लिया कि पृथ्वी से पानी उतर गया है।"

परमेश्वर की वाचा

बाढ़ के बाद, नूह ने परमेश्वर को धन्यवाद दिया और एक वेदी बनाकर बलिदान चढ़ाया। परमेश्वर ने नूह से वादा किया कि वह फिर कभी पृथ्वी को बाढ़ से नष्ट नहीं करेगा और इंद्रधनुष को इस वाचा का प्रतीक बनाया।

उत्पत्ति 9:12-13: "फिर परमेश्वर ने कहा, 'यह चिन्ह उस वाचा का है जो मैं और तुम और हर जीवित प्राणी के साथ, जो तुम्हारे साथ हैं, पीढ़ी-दर-पीढ़ी बंधी है। मैं अपने धनुष को बादलों में रखूँगा और यह मेरी और पृथ्वी के बीच वाचा का चिन्ह होगा।'"

निष्कर्ष

नूह की कहानी हमें सिखाती है कि परमेश्वर के प्रति विश्वास और आज्ञापालन का क्या महत्व है। नूह का विश्वास और उनकी निष्ठा उन्हें और उनके परिवार को विनाश से बचाने में सफल हुई। यह कहानी हमें प्रेरित करती है कि हम अपने जीवन में परमेश्वर की शिक्षाओं का पालन करें और कठिनाइयों में भी विश्वास बनाए रखें। नूह की तरह, हम भी परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन करके अपने जीवन को सफल और सुरक्षित बना सकते हैं।

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