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उड़ाऊ पुत्र की दृष्टांत (The Parable of the Prodigal Son)

"उड़ाऊ पुत्र की दृष्टांत" लूका 15:11-32 में वर्णित है और यह यीशु मसीह द्वारा बताई गई सबसे प्रसिद्ध दृष्टांतों में से एक है। यह दृष्टांत एक पिता और उसके दो पुत्रों की कहानी है, जिसमें छोटे पुत्र की अनुशासनहीनता, उसकी गलती से सीख, और पिता का असीम प्रेम और क्षमा का वर्णन है। इस दृष्टांत का मुख्य संदेश यह है कि परमेश्वर प्रत्येक पश्चातापी पापी को प्रेम और अनुकंपा के साथ स्वीकार करता है।

उड़ाऊ पुत्र की दृष्टांत (The Parable of the Prodigal Son)

दृष्टांत का विवरण


एक पिता के दो पुत्र थे। छोटे पुत्र ने अपने पिता से अपने हिस्से की संपत्ति मांगी और उसे पाकर वह दूर देश चला गया। वहाँ उसने अपनी संपत्ति को ऐयाशी और बुरी संगत में बर्बाद कर दिया। जब उसकी सारी संपत्ति खत्म हो गई, तो वहाँ एक बड़ा अकाल पड़ा और वह बहुत गरीब और भूखा हो गया।


तब वह एक किसान के पास काम करने गया, जिसने उसे अपने खेतों में सूअर चराने के लिए भेजा। वह इतना भूखा था कि वह सूअरों के खाने योग्य भोजन खाने को मजबूर हो गया। तब उसे अपनी गलती का अहसास हुआ और उसने सोचा कि उसके पिता के घर में मजदूर भी उससे बेहतर स्थिति में हैं। उसने निर्णय लिया कि वह अपने पिता के पास वापस जाएगा और उससे कहेगा, "पिता, मैंने स्वर्ग के विरुद्ध और आपके खिलाफ पाप किया है। मैं अब आपका पुत्र कहलाने के योग्य नहीं हूँ। कृपया मुझे अपने मजदूरों में से एक के रूप में रख लीजिए।"


वह उठकर अपने पिता के पास लौट गया। उसके पिता ने उसे दूर से आते हुए देखा और दया से भरकर उसकी ओर दौड़ा, उसे गले लगाया और चूमा। पुत्र ने अपने पिता से कहा, "पिता, मैंने स्वर्ग के विरुद्ध और आपके खिलाफ पाप किया है। मैं अब आपका पुत्र कहलाने के योग्य नहीं हूँ।" लेकिन उसके पिता ने अपने सेवकों से कहा, "सबसे अच्छा वस्त्र लाओ और उसे पहनाओ। उसकी अंगुली में अंगूठी और पैरों में जूते पहनाओ। मोटा बछड़ा लाकर मारो और हम मिलकर भोज करेंगे और आनन्दित होंगे, क्योंकि मेरा यह पुत्र जो मर गया था, फिर से जीवित हो गया है; जो खो गया था, वह मिल गया है।"


दृष्टांत का शिक्षा


पश्चाताप और वापसी: छोटे पुत्र की कहानी हमें सिखाती है कि जब हम अपनी गलतियों का अहसास कर पश्चाताप करते हैं और सही रास्ते पर लौटते हैं, तो परमेश्वर हमें प्रेम और करुणा से स्वीकार करते हैं।


अनुकंपा और क्षमा: पिता का असीम प्रेम और क्षमा इस दृष्टांत का मुख्य संदेश है। परमेश्वर प्रत्येक पश्चातापी पापी को क्षमा करते हैं और उसे वापस अपनाते हैं।


आनन्द और उत्सव: जब एक पापी पश्चाताप करता है और परमेश्वर के पास लौटता है, तो स्वर्ग में आनन्द और उत्सव होता है। परमेश्वर हमारे लौटने पर खुश होते हैं।


न्याय और दया: दृष्टांत यह भी सिखाती है कि हमें न्याय और दया के साथ जीवन जीना चाहिए, और दूसरों के प्रति सहानुभूति और क्षमा का भाव रखना चाहिए।


निष्कर्ष


"उड़ाऊ पुत्र की दृष्टांत" केवल एक नैतिक कहानी नहीं है, बल्कि यह ईश्वर के असीम प्रेम, करुणा, और अनुकंपा का प्रतीक है। यह दृष्टांत हमें यह सिखाता है कि कोई भी व्यक्ति, चाहे वह कितना भी पापी क्यों न हो, परमेश्वर के पास लौट सकता है और उसे प्रेम और क्षमा प्राप्त हो सकती है। इस दृष्टांत से हम प्रेरित होते हैं कि हम अपने जीवन में पश्चाताप, क्षमा और प्रेम को अपनाएं और दूसरों के प्रति भी सहानुभूति और दया का व्यवहार करें।


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