चिंता से छुटकारा | Overcoming Anxiety Biblical Guidance - Click Bible

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चिंता से छुटकारा | Overcoming Anxiety Biblical Guidance

चिंता एक भावना है जो हम सभी को प्रभावित करती है


चिंता एक ऐसी भावना है जो हम सभी को कभी न कभी प्रभावित करती है। जीवन की विभिन्न समस्याओं और चुनौतियों के कारण हम अक्सर चिंता में घिर जाते हैं। बाइबल हमें चिंता से मुक्त होने के लिए कुछ महत्वपूर्ण निर्देश देती है। आइए, मत्ती 6:25-34 और 1 पतरस 5:7 के वचनों के माध्यम से चिंता से छुटकारा पाने के उपाय जानें।

चिंता से छुटक | Overcoming Anxiety Biblical Guidance

1. परमेश्वर की संतान होने का निश्चय (यूहन्ना 3:3; इफिसियों 3:15)

यीशु ने कहा, "जब तक कोई नए सिरे से जन्म न ले, वह परमेश्वर के राज्य को देख नहीं सकता।" (यूहन्ना 3:3)


जब हम अपने जीवन को परमेश्वर को समर्पित करते हैं और उसकी संतान बनते हैं, तो हमें यह विश्वास होना चाहिए कि वह हमारे जीवन का हर पहलू देखता है और हमारी हर जरूरत को पूरा करता है। हमें इस बात का निश्चय होना चाहिए कि हम परमेश्वर के बच्चे हैं और वह हमारी चिंता को दूर करने के लिए सदा तैयार है।


2. स्मरण रखिये कि आप स्वर्गीय पिता की दृष्टि में बहुत अनमोल हैं (मत्ती 6:26, 32)

"आकाश के पक्षियों को देखो, वे न तो बोते हैं, न काटते हैं, न खत्तों में बटोरते हैं; तौभी तुम्हारा स्वर्गीय पिता उन्हें खिलाता है। क्या तुम उनसे अधिक मूल्य नहीं रखते?" (मत्ती 6:26)


परमेश्वर ने हमें अद्वितीय और अनमोल बनाया है। हमें इस बात को हमेशा याद रखना चाहिए कि हम उसके लिए कितने मूल्यवान हैं। अगर वह पक्षियों और फूलों की देखभाल करता है, तो वह हमारी चिंता क्यों नहीं करेगा? यह विश्वास हमें चिंता से मुक्त रहने में मदद करता है।


3. चिंता करने से कुछ लाभ नहीं होता (मत्ती 6:27)

"तुम में से कौन है, जो चिंता करके अपनी अवस्था में एक हाथ भी बढ़ा सकता है?" (मत्ती 6:27)


चिंता करने से हम अपनी समस्याओं को हल नहीं कर सकते। इसके बजाय, यह हमें और भी अधिक परेशान करता है। चिंता करने से न तो हमारे दिन लंबे होते हैं और न ही हमारी समस्याएं सुलझती हैं। हमें इसे छोड़कर परमेश्वर पर भरोसा करना चाहिए।


4. चिंता करना एक विश्वासी का स्वभाव नहीं है (मत्ती 6:32)

"इन सब वस्तुओं की खोज अन्यजाति करते हैं, परन्तु तुम्हारा स्वर्गीय पिता जानता है, कि तुम्हें इन सब वस्तुओं की आवश्यकता है।" (मत्ती 6:32)


विश्वासी के लिए चिंता करना स्वाभाविक नहीं है। जब हम परमेश्वर में विश्वास करते हैं, तो हमें यह समझना चाहिए कि वह हमारी सभी आवश्यकताओं को जानता है और उन्हें पूरा करेगा। चिंता करना उन लोगों का स्वभाव हो सकता है जो परमेश्वर को नहीं जानते, लेकिन हमारे लिए नहीं।


5. अपने विश्वास को कार्य रूप दीजिए (मत्ती 6:30)

"इसलिए यदि परमेश्वर मैदान की घास को, जो आज है और कल भट्टी में झोंकी जाएगी, ऐसा पहनाता है, तो हे अल्पविश्वासियों, तुम्हें वह क्यों न पहनाएगा?" (मत्ती 6:30)


हमें अपने विश्वास को अपने जीवन में लागू करना चाहिए। जब हम परमेश्वर पर भरोसा रखते हैं, तो हमें यह विश्वास होना चाहिए कि वह हमारी सभी आवश्यकताओं को पूरा करेगा। हमें अपने विश्वास को अपने कार्यों में प्रकट करना चाहिए और चिंता को छोड़ना चाहिए।


6. एक समय में, एक दिन जीवित रहने का प्रयास कीजिये (मत्ती 6:34)

"इसलिए कल के लिए चिंता न करो, क्योंकि कल की चिंता कल ही के लिए है। आज के लिए आज ही का दु:ख बहुत है।" (मत्ती 6:34)


हमें आज में जीना चाहिए और कल की चिंता नहीं करनी चाहिए। जब हम एक समय में एक दिन जीते हैं, तो हमारी चिंता कम हो जाती है और हम अधिक संतुष्ट महसूस करते हैं। हर दिन अपने आप में पर्याप्त समस्याएं और चुनौतियाँ होती हैं, इसलिए हमें उन्हें ही सुलझाने पर ध्यान देना चाहिए।


7. प्रभु यीशु को सब बातों में प्रथम रखिए (मत्ती 6:33)

"परन्तु पहिले तुम उसके राज्य और धर्म की खोज करो तो ये सब वस्तुएं भी तुम्हें मिल जाएंगी।" (मत्ती 6:33)


हमें अपने जीवन में प्रभु यीशु को प्राथमिकता देनी चाहिए। जब हम उसकी खोज करते हैं और उसके राज्य की प्राथमिकता रखते हैं, तो वह हमारी सभी आवश्यकताओं को पूरा करेगा। यह हमें चिंता से मुक्त करता है और हमें शांति प्रदान करता है।


निष्कर्ष

बाइबल हमें चिंता से मुक्त होने के लिए स्पष्ट निर्देश देती है। परमेश्वर की संतान होने का निश्चय, उसकी दृष्टि में अपनी अनमोलता का स्मरण, चिंता की निरर्थकता को समझना, विश्वास को कार्य रूप देना, एक दिन में जीना और प्रभु यीशु को प्राथमिकता देना - ये सभी उपाय हमें चिंता से छुटकारा दिलाते हैं। जब हम परमेश्वर पर विश्वास रखते हैं और उसकी शिक्षाओं का पालन करते हैं, तो हमारी चिंता दूर हो जाती है और हम शांति और संतोष का अनुभव करते हैं।


इन निर्देशों को अपनाकर हम अपने जीवन को चिंता से मुक्त बना सकते हैं और परमेश्वर की उपस्थिति में शांति और खुशी पा सकते हैं। हमें इस बात का विश्वास होना चाहिए कि परमेश्वर हमारी हर चिंता को समझता है और हमें हर समस्या से बाहर निकालने के लिए सदा तैयार है।


मनुष्य की कोई समस्या इतनी बड़ी नहीं है जिसको परमेश्वर हल न कर सके

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