बाइबल में हमें कई उदाहरण मिलते हैं जहाँ परमेश्वर ने विभिन्न लोगों की प्रार्थनाओं का उत्तर दिया। ये कहानियाँ हमें यह विश्वास दिलाती हैं कि कोई भी प्रार्थना ऐसी नहीं है जिसका उत्तर परमेश्वर न दे सके। आइए कुछ उदाहरणों पर नज़र डालें:
1. राजा हिजकिय्याह (यशायाह 38:1-5)
2. भविष्यवक्ता एलीशा (2 राजा 6:16-17)
3. दुःखी माता हन्ना (1 शमूएल 1:9-10, 27)
हन्ना बाँझ थी और बहुत दुःखी रहती थी। उसने परमेश्वर से पुत्र की प्रार्थना की। उसकी प्रार्थना सुनी गई और उसे शमूएल नाम का पुत्र प्राप्त हुआ। यह कहानी हमें सिखाती है कि हमारी दुःखभरी प्रार्थनाओं का उत्तर भी परमेश्वर देता है।
4. कोढ़ी (मत्ती 8:1-2)
एक कोढ़ी ने यीशु के पास आकर उससे प्रार्थना की कि वह उसे शुद्ध कर दे। यीशु ने उसकी प्रार्थना सुनी और उसे तुरंत शुद्ध कर दिया। यह हमें विश्वास दिलाता है कि परमेश्वर शारीरिक बीमारियों का भी इलाज कर सकता है।
5. अन्धा भिखारी बरतिमाई (मरकुस 10:46-52)
अन्धा भिखारी बरतिमाई यीशु से प्रार्थना करता है कि वह उसे दृष्टि दे। यीशु ने उसकी प्रार्थना सुनी और उसकी आँखें ठीक कर दीं। यह कहानी हमें सिखाती है कि परमेश्वर हमारी सबसे गहरी जरूरतों को पूरा कर सकता है।
6. परेशान पिता याईर (मत्ती 9:18-25)
याईर की बेटी मर गई थी। उसने यीशु से उसकी जान बचाने की प्रार्थना की। यीशु ने उसकी प्रार्थना सुनी और उसकी बेटी को जीवित कर दिया। यह कहानी हमें बताती है कि परमेश्वर मृतकों को भी जीवित कर सकता है।
7. शिष्य पतरस (मत्ती 14:30-32)
पतरस ने जब पानी पर चलने की कोशिश की और डूबने लगा, तो उसने यीशु से मदद की प्रार्थना की। यीशु ने तुरंत उसकी प्रार्थना का उत्तर दिया और उसे बचा लिया। यह हमें सिखाता है कि जब हम खतरे में होते हैं, तो परमेश्वर हमारी मदद करने के लिए तत्पर रहता है।
स्टडी गाइड:
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निष्कर्ष
बाइबल की ये कहानियाँ हमें यह सिखाती हैं कि कोई भी प्रार्थना ऐसी नहीं है जिसका उत्तर परमेश्वर न दे सके। चाहे हमारी प्रार्थना कितनी भी छोटी या बड़ी हो, परमेश्वर हमारी सुनता है और हमें हमारी जरूरतों के अनुसार उत्तर देता है। हमें विश्वास और धैर्य के साथ प्रार्थना करनी चाहिए, यह जानकर कि परमेश्वर हमारी सभी प्रार्थनाओं का उत्तर देने में सक्षम है।
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