दुःख और कष्ट मानव जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा हैं, और हम अक्सर यह समझने की कोशिश करते हैं कि परमेश्वर ने इन्हें हमारे जीवन में क्यों रखा है। बाइबल के वचनों से हमें यह समझने में मदद मिलती है कि दुःख का उद्देश्य क्या हो सकता है और हम इससे कैसे लाभान्वित हो सकते हैं।
1. यह मनुष्य का एक धन्य अनुभव है - अय्यूब 5:17
धन्य है वह मनुष्य जिसे परमेश्वर ताड़ना देता है; इसलिए तू सर्वशक्तिमान की ताड़ना को तुच्छ न जान।"
अय्यूब हमें सिखाते हैं कि दुःख और कष्ट, भले ही वे दर्दनाक हों, परमेश्वर की ओर से हमें धन्य अनुभव प्रदान करते हैं। यह ताड़ना हमें सुधारने और सुदृढ़ करने के लिए होती है।
2. इससे सच्चाई प्रगट होती है - अय्यूब 23:10
"पर वह जानता है कि मैं किस मार्ग पर हूं; जब वह मुझे जांचेगा तब मैं सोने के समान निकलूंगा।"
दुःख हमारे चरित्र की सच्चाई को प्रकट करता है। यह हमें परखता है और हमें शुद्ध करता है, जैसे आग में सोना शुद्ध होता है।
3. परमेश्वर के वचन का पालन सीखते हैं - भजन 119:67
"जब मैं संकट में पड़ा, तब मैं भटक गया था; परन्तु अब मैं तेरे वचन को मानता हूं।"
दुःख हमें सिखाता है कि परमेश्वर के वचनों का पालन कैसे करना है। जब हम कष्ट में होते हैं, तो हम अपने जीवन को सुधारने और परमेश्वर के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित होते हैं।
4. परमेश्वर की इच्छा पूरी करते - योना 2:2
"मैं ने संकट के समय में यहोवा की दुहाई दी, और उस ने मुझे उत्तर दिया।"
योना ने जब संकट में परमेश्वर की ओर पुकारा, तो उसने परमेश्वर की इच्छा पूरी करने का मार्ग पाया। दुःख हमें परमेश्वर की इच्छा को समझने और उसे पूरा करने के लिए प्रेरित कर सकता है।
5. आन्तरिक बल प्राप्त होता - 2 कुरिन्थियों 4:17
"क्योंकि हमारा पल भर का हल्का सा क्लेश हमारे लिए अधिक से अधिक भारी और अनन्त महिमा उत्पन्न करता जाता है।"
दुःख से हम आन्तरिक बल प्राप्त करते हैं। यह हमें मानसिक और आत्मिक रूप से मजबूत बनाता है, जिससे हम और भी बड़े कष्टों का सामना कर सकते हैं।
6. परिणाम महिमा होगा - 2 कुरिन्थियों 4:17
"क्योंकि हमारा पल भर का हल्का सा क्लेश हमारे लिए अधिक से अधिक भारी और अनन्त महिमा उत्पन्न करता जाता है।"
हमारे दुःख का परिणाम महिमा होता है। यह हमें याद दिलाता है कि वर्तमान कष्ट अस्थायी हैं और इनका परिणाम अनन्त महिमा होगा।
7. स्वर्ग में स्थान होगा - प्रकाशितवाक्य 7:14
"तब मैं ने उस से कहा, 'हे प्रभु, तू ही जानता है।' तब उसने मुझ से कहा, 'ये वे हैं, जो उस बड़े क्लेश में से निकलकर आए हैं; इन्होंने अपने वस्त्र मेम्ने के लोहू में धोकर श्वेत कर लिए हैं।'"
स्वर्ग में स्थान होगा। जो लोग कष्ट सहते हैं और अपने विश्वास में स्थिर रहते हैं, उन्हें स्वर्ग में स्थान मिलेगा। उनका दुःख और संघर्ष उन्हें परमेश्वर के साथ अनन्त जीवन का हिस्सा बनाता है।
निष्कर्ष
दुःख और कष्ट जीवन का हिस्सा हैं, लेकिन बाइबल हमें यह सिखाती है कि इनका एक गहरा अर्थ और उद्देश्य होता है। यह हमें सुधारने, शुद्ध करने, और हमें परमेश्वर के और भी निकट लाने के लिए होते हैं। दुःख हमें आन्तरिक बल, सच्चाई की समझ, और परमेश्वर के वचनों का पालन सिखाते हैं। परिणामस्वरूप, हम महिमा प्राप्त करते हैं और स्वर्ग में स्थान पाते हैं। इसलिए, हमें दुःख को केवल नकारात्मक दृष्टिकोण से नहीं देखना चाहिए, बल्कि इसे एक अवसर के रूप में देखना चाहिए जो हमें परमेश्वर के और भी करीब लाता है।
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