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परमेश्वर सबको मन फिराव का अवसर देता है | "God Gives Everyone the Opportunity to Repent"

परमेश्वर की सहनशीलता और प्रेम

2 पतरस 3:9 में लिखा है, "प्रभु अपनी प्रतिज्ञा में देर नहीं करता, जैसा कि कुछ लोग देर समझते हैं, परंतु वह तुम्हारे विषय में धीरज धरता है, क्योंकि वह नहीं चाहता कि कोई नाश हो, परंतु यह चाहता है कि सबको मन फिराव का अवसर मिले।" इस वचन से स्पष्ट होता है कि परमेश्वर सबको मन फिराव का अवसर देता है और चाहता है कि कोई भी पाप में नाश न हो। परमेश्वर का धैर्य और प्रेम अनंत है, और वह चाहता है कि हर व्यक्ति पश्चाताप करे और सही रास्ते पर चले।

परमेश्वर सबको मन फिराव का अवसर देता है | "God Gives Everyone the Opportunity to Repent"

1. आहाब राजा (1 राजा 21:27-29)

आहाब एक दुष्ट राजा था जिसने बहुत पाप किए। जब उसने नबोत का अंगूर बाग छीन लिया और उसे मार डाला, तो परमेश्वर ने उस पर न्याय लाने का निश्चय किया। लेकिन जब आहाब ने पश्चाताप किया, अपने वस्त्र फाड़े, और उपवास किया, तब परमेश्वर ने उसके पश्चाताप को देखा और दया दिखाते हुए उसका नाश स्थगित कर दिया। यह दर्शाता है कि परमेश्वर की दया सब पर होती है, भले ही वे कितना ही बड़ा पाप क्यों न करें। जब कोई व्यक्ति सच्चे दिल से पश्चाताप करता है, तो परमेश्वर उसका ह्रदय बदल देता है और उसे नया जीवन प्रदान करता है।


2. अय्यूब (अय्यूब 42:1-6)

अय्यूब एक भक्त व्यक्ति था जिसने बहुत दुःख और कष्ट झेले। अपनी परेशानी के समय में, उसने परमेश्वर से शिकायत की और उसकी न्यायप्रियता पर सवाल उठाया। लेकिन जब परमेश्वर ने उसे सही रास्ता दिखाया, तब अय्यूब ने पश्चाताप किया और कहा, "अब मैंने अपनी आँखों से तुझे देखा है, इसलिए मैं अपने वचनों को तुच्छ जानता हूँ और धूल और राख में पश्चाताप करता हूँ।" परमेश्वर ने उसकी सच्चाई और विश्वास को देखकर उसे फिर से आशीर्वाद दिया। यह कहानी हमें सिखाती है कि हमारे दुखों और समस्याओं के बीच भी, हमें परमेश्वर की ओर देखना चाहिए और अपने गलतियों के लिए पश्चाताप करना चाहिए।


3. नीनवे के लोग (योना 3:6-10)

नीनवे के लोग पापी और दुष्ट थे। जब योना ने उन्हें परमेश्वर का न्याय सुनाया, तब उन्होंने पश्चाताप किया, उपवास किया, और अपने बुरे कर्मों को छोड़ दिया। परमेश्वर ने उनकी सच्चाई और पश्चाताप को देखा और उनके शहर को नष्ट नहीं किया। यह हमें सिखाता है कि सच्चे दिल से पश्चाताप करने पर परमेश्वर दया दिखाता है और हमारा जीवन बदल सकता है। यह भी दर्शाता है कि कोई भी व्यक्ति, चाहे वह कितना भी पापी क्यों न हो, अगर वह सच्चे दिल से पश्चाताप करता है, तो परमेश्वर उसे क्षमा करने के लिए तैयार है।


4. पतरस (मरकुस 14:72)

पतरस यीशु का एक शिष्य था जिसने उसकी गिरफ्तारी के समय तीन बार उसका इंकार किया। लेकिन जब उसने अपनी गलती समझी, तब उसने कड़वे आँसू बहाए और पश्चाताप किया। यीशु ने उसके पश्चाताप को स्वीकार किया और उसे फिर से अपनी सेवा में लिया। यह दर्शाता है कि परमेश्वर हमें हमारे पापों से ऊपर उठने का अवसर देता है। पतरस का जीवन यह प्रमाणित करता है कि हम अपने पापों से परे बढ़ सकते हैं और परमेश्वर की सेवा में नए सिरे से शुरू कर सकते हैं।


5. उड़ाऊ पुत्र (लूका 15:11-32)

उड़ाऊ पुत्र ने अपने पिता की संपत्ति को फिजूलखर्ची में बर्बाद किया और पाप में जीवन बिताया। जब वह अपनी गलती समझा, तब वह अपने पिता के पास लौट आया और पश्चाताप किया। उसके पिता ने उसे खुशी से स्वीकार किया और उसे फिर से अपने परिवार का हिस्सा बना लिया। यह कहानी परमेश्वर की असीम दया और प्रेम को दर्शाती है। यह हमें सिखाती है कि जब भी हम अपने पापों के कारण टूट जाते हैं, तब भी परमेश्वर हमें खुले दिल से स्वीकार करता है और हमें अपने परिवार में वापस लाता है।


6. महसूल लेने वाला (लूका 18:13)

महसूल लेने वाला एक पापी व्यक्ति था जिसने पश्चाताप करते हुए कहा, "हे परमेश्वर, मुझ पापी पर दया कर।" उसकी सच्चाई और विनम्रता को देखकर परमेश्वर ने उसे धर्मी ठहराया। यह हमें सिखाता है कि परमेश्वर विनम्र और सच्चे दिल से पश्चाताप करने वाले को स्वीकार करता है। यह हमें यह भी सिखाता है कि हमें अपने पापों को स्वीकार करने और उनके लिए पश्चाताप करने में संकोच नहीं करना चाहिए, क्योंकि परमेश्वर हमें हमेशा क्षमा करने के लिए तैयार है।


7. फरीसी/सदूकी (मत्ती 3:2)

फरीसी और सदूकी धार्मिक नियमों का पालन करते थे लेकिन उनका दिल कठोर था। योहन बपतिस्मा देने वाला उन्हें मन फिराव के लिए बुलाता है और कहता है, "पश्चाताप करो, क्योंकि स्वर्ग का राज्य निकट है।" यह संदेश हमें सिखाता है कि बाहरी धार्मिकता पर्याप्त नहीं है, बल्कि सच्चे दिल से पश्चाताप करना आवश्यक है। यह हमें यह भी सिखाता है कि हमें अपने दिल की कठोरता को तोड़ना चाहिए और सच्चे दिल से परमेश्वर की ओर लौटना चाहिए।


आज भी परमेश्वर का आत्मा लोगों को कायल करता है (यूहन्ना 16:8-9)

यूहन्ना 16:8-9 में लिखा है, "और वह आकर संसार को पाप, धार्मिकता, और न्याय का दोषी ठहराएगा; पाप का, क्योंकि वे मुझ पर विश्वास नहीं करते।" परमेश्वर का आत्मा आज भी लोगों को उनके पापों का एहसास कराता है और उन्हें सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है। यह हमें सिखाता है कि परमेश्वर का आत्मा हमारे जीवन में सक्रिय है और हमें सही मार्ग दिखाता है।


निष्कर्ष

परमेश्वर की दया और प्रेम अनंत हैं। वह हर व्यक्ति को पश्चाताप करने और सही रास्ते पर चलने का अवसर देता है। चाहे हम कितने ही बड़े पापी क्यों न हों, परमेश्वर हमें स्वीकार करने के लिए तैयार है यदि हम सच्चे दिल से पश्चाताप करें। हमें परमेश्वर की दया और प्रेम को समझना चाहिए और अपने जीवन में सही मार्ग पर चलने का प्रयास करना चाहिए। परमेश्वर की ओर से मिले इस अवसर को हमें गंवाना नहीं चाहिए और अपने जीवन को सुधारने का प्रयास करना चाहिए।


संसार का कोई स्थान इतना खराब नहीं है जहाँ परमेश्वर काम न कर सके 

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