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प्रेम (Love)

प्रेम(Love), बाइबल का सबसे महत्वपूर्ण और गहरा संदेश है। यह केवल भावनाओं या शब्दों तक सीमित नहीं है, बल्कि जीवन का एक मार्गदर्शक सिद्धांत है जो हमें सिखाता है कि हम अपने जीवन में कैसे ईश्वर और एक-दूसरे के साथ व्यवहार करें। आइए इसे तीन पहलुओं में समझते हैं: ईश्वर का निस्वार्थ प्रेम, पड़ोसी से प्रेम, और बाइबल में प्रेम के उदाहरण।

प्रेम (Love)

ईश्वर का निस्वार्थ प्रेम

ईश्वर का प्रेम बिना किसी शर्त के होता है। उसने हमें तब प्रेम किया जब हम पापी थे। रोमियो 5:8 में लिखा है, "परमेश्वर हम पर अपने प्रेम की भलाई इस रीति से प्रकट करता है, कि जब हम पापी ही थे तब मसीह हमारे लिये मरा।" यह निस्वार्थ प्रेम का सबसे बड़ा उदाहरण है। ईश्वर ने हमें कभी त्यागा नहीं और हमारे पापों के बावजूद हमें उद्धार प्रदान किया। यह प्रेम हमें यह सिखाता है कि सच्चा प्रेम स्वार्थ से मुक्त होता है, और हमें दूसरों को ईश्वर की तरह बिना शर्त प्रेम करना चाहिए।


पड़ोसी से प्रेम कैसे करें

बाइबल हमें यह भी सिखाती है कि हमें अपने पड़ोसी से उसी प्रकार प्रेम करना चाहिए जैसे हम स्वयं से करते हैं। मत्ती 22:39 में यीशु ने कहा, "तू अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रख।" यह प्रेम केवल हमारे परिवार और दोस्तों तक सीमित नहीं है, बल्कि हमें उन लोगों से भी प्रेम करना चाहिए जिन्हें हम मुश्किलों में पाते हैं या जिनसे हम अनजान हैं। हमें दया, करुणा और सहानुभूति दिखानी चाहिए। प्रेम का यह रूप न केवल शब्दों में बल्कि कार्यों में भी प्रकट होना चाहिए।


बाइबल में प्रेम के उदाहरण

बाइबल में प्रेम के कई उदाहरण हैं जो हमें सिखाते हैं कि प्रेम कैसे दिखाया जाता है। उदाहरण के लिए, लूका 15 में खोए हुए पुत्र की कहानी बताती है कि पिता का अपने बेटे के लिए असीम प्रेम था, चाहे बेटा कितना भी भटक गया हो। यह प्रेम हमें दिखाता है कि सच्चा प्रेम क्षमा करने वाला होता है और कभी हार नहीं मानता। यीशु ने अपने जीवन के द्वारा हमें प्रेम का सबसे बड़ा उदाहरण दिया, जब उन्होंने अपने शत्रुओं के लिए भी प्रार्थना की और उन्हें क्षमा किया। 


निष्कर्ष

प्रेम, चाहे वह ईश्वर का निस्वार्थ प्रेम हो या हमारे पड़ोसी के प्रति करुणा और सहानुभूति हो, हमारे जीवन का आधार होना चाहिए। बाइबल हमें यह सिखाती है कि प्रेम केवल भावनाओं का विषय नहीं है, बल्कि यह क्रियाओं में दिखना चाहिए। प्रेम में सेवा, दया, और क्षमा जैसे गुण शामिल हैं। यदि हम इन शिक्षाओं का पालन करें, तो हमारा जीवन और समाज दोनों ही अधिक प्रेमपूर्ण और शांतिपूर्ण बन सकते हैं।

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