बाल दिवस बच्चों के महत्व को समझने और उनके प्रति हमारे कर्तव्यों का स्मरण दिलाने का अवसर है। इस अवसर पर, बाइबल के वे वचन जिनमें बच्चों के प्रति प्रेम, परवरिश, और शिक्षा का संदेश मिलता है, हमें प्रेरित करते हैं। बाइबल में यीशु मसीह ने बच्चों को विशेष महत्व दिया और उनके सरल और निर्मल हृदय को परमेश्वर के राज्य के समान बताया।
मत्ती 19:14 में यीशु ने कहा, "बच्चों को मेरे पास आने दो, उन्हें मत रोको; क्योंकि स्वर्ग का राज्य ऐसे ही लोगों का है।" इस वचन से हम समझ सकते हैं कि यीशु ने बच्चों को कितना सम्मान और प्रेम दिया। बच्चों का सरल और विश्वास से भरा हृदय, परमेश्वर के निकट होने के लिए आवश्यक गुण हैं। इस वचन से हमें यह सिखने को मिलता है कि बच्चों को परमेश्वर के करीब लाना और उन्हें अच्छे संस्कार देना हमारा दायित्व है।
बाइबल में एक और महत्वपूर्ण वचन है, "हे बच्चों, अपनी माता-पिता की आज्ञा का पालन करो; क्योंकि यह उचित है।" (इफिसियों 6:1)। यह वचन बच्चों को अपने माता-पिता का सम्मान और उनकी आज्ञाओं का पालन करने की शिक्षा देता है, जिससे बच्चों का सही मार्गदर्शन होता है।
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इसके साथ ही, बाइबल यह भी कहती है कि माता-पिता को बच्चों के प्रति दया और प्रेम का व्यवहार करना चाहिए। कुलुस्सियों 3:21 में लिखा है, "हे पिताओं, अपने बालकों को तंग न करो कि वे हिम्मत न हारें।" इसका अर्थ यह है कि हमें बच्चों का पालन-पोषण प्रेम और धैर्य के साथ करना चाहिए ताकि वे अपने जीवन में प्रगति कर सकें।
बाल दिवस पर इन वचनों से हम यह सीख सकते हैं कि बच्चों को न केवल शारीरिक रूप से स्वस्थ रखना आवश्यक है, बल्कि उनके मानसिक और आध्यात्मिक विकास का भी ध्यान रखना चाहिए। बाल दिवस हमें याद दिलाता है कि बच्चों का पालन-पोषण जिम्मेदारी से करें और उन्हें परमेश्वर की ओर मार्गदर्शित करें, जिससे वे अच्छे और सकारात्मक मूल्यों के साथ जीवन में आगे बढ़ सकें।
अतः बाल दिवस पर बाइबल के ये वचन हमें बच्चों के प्रति अपने प्रेम और जिम्मेदारी को समझने और निभाने का संदेश देते हैं।
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