विवाह एक परमेश्वर द्वारा दिया गया पवित्र बंधन है, जो दो व्यक्तियों को एक साथ जोड़ता है ताकि वे एक-दूसरे के साथी और मददगार बन सकें। बाइबल हमें विवाह और रिश्तों के महत्व के बारे में बहुत कुछ सिखाती है। जोड़ों के लिए बाइबल की आयतें न केवल उनके रिश्ते को मजबूत करने में मदद करती हैं, बल्कि जीवन के विभिन्न पहलुओं में एक-दूसरे का सहयोग और प्रेम बढ़ाने के लिए मार्गदर्शन भी देती हैं।
जोड़ों के लिए बाइबल की आयतें (Bible Verses For Couples) |
यहां कुछ महत्वपूर्ण बाइबल की आयतें दी जा रही हैं जो जोड़ों के लिए प्रेरणादायक और मार्गदर्शक हो सकती हैं:
1. ईश्वर का प्रेम जोड़ों के लिए
"प्रेम धैर्यवान है, प्रेम दयालु है। प्रेम इर्ष्या नहीं करता, प्रेम घमंड नहीं करता, प्रेम अप्रिय नहीं होता, और प्रेम कभी समाप्त नहीं होता।"1 कुरिन्थियों 13:4-8
यह आयत प्रेम की परिभाषा देती है और बताती है कि वास्तविक प्रेम कैसा होना चाहिए। जोड़ों को यह समझना चाहिए कि उनका प्रेम हमेशा धैर्य, दया और सहनशीलता से भरपूर होना चाहिए। इस प्रकार, जोड़ों को एक-दूसरे के साथ हर स्थिति में प्यार और समझ से पेश आना चाहिए।
2. विवाह में एकता और साझेदारी
"इस कारण पुरुष अपने माता-पिता को छोड़कर अपनी पत्नी के साथ मिल जाएगा, और वे दोनों एक शरीर बनेंगे।"उत्पत्ति 2:24
यह आयत विवाह के उद्देश्यों को स्पष्ट करती है। जब दो लोग एक-दूसरे से विवाह करते हैं, तो वे केवल एक कानूनी या सामाजिक अनुबंध में नहीं बंधते, बल्कि वे एक-दूसरे से गहरी आत्मिक और शारीरिक एकता स्थापित करते हैं। यह एकता उनके रिश्ते की ताकत और स्थिरता का आधार बनती है।
3. एक-दूसरे का समर्थन और सहयोग
"सो एक दूसरे की बोझ उठाओ, और इस प्रकार मसीह का नियम पूरा करो।"गलातियों 6:2
विवाह में दोनों पार्टनर्स को एक-दूसरे का सहारा बनना चाहिए। जब एक साथी मुश्किल समय से गुजरता है, तो दूसरे को उसे संभालने के लिए तत्पर रहना चाहिए। इस आयत में बाइबल हमें यह सिखाती है कि हमें एक-दूसरे के बोझों को साझा करना चाहिए और इस तरह से हम मसीह के प्रेम का पालन करते हैं।
4. एक-दूसरे के लिए आदर और सम्मान
"तुम में से प्रत्येक को अपनी पत्नी से ऐसा प्रेम होना चाहिए जैसा मसीह ने कलीसिया से प्रेम किया, और उसने अपने आप को उसके लिए दे दिया।"इफिसियों 5:25
यह आयत हमें सिखाती है कि पति को अपनी पत्नी से वैसे ही प्रेम करना चाहिए जैसे मसीह ने कलीसिया से किया। मसीह ने कलीसिया के लिए अपने प्राणों की बलि दी, और यही आदर्श है कि पति को अपनी पत्नी के प्रति सच्चे प्रेम और समर्पण का आदान-प्रदान करना चाहिए।
5. शांति और समझ बनाए रखना
"यहोवा का शान्ति तुम्हारे मनों में राज्य करे, जिस के लिये तुम एक शरीर भी बने हो, और तुम धन्यवाद के साथ आह्वान करो।"कुलुस्सियों 3:15
इस आयत में बाइबल यह बताती है कि जोड़ों को एक-दूसरे के साथ शांति से रहना चाहिए। जब दोनों व्यक्ति अपने रिश्ते में शांति बनाए रखते हैं, तो उनका संबंध और भी मजबूत और स्वस्थ होता है। रिश्ते में समझ और शांतिपूर्वक समाधान लाना महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे प्यार बढ़ता है और कठिन परिस्थितियाँ भी आसानी से हल हो जाती हैं।
6. धन्यवाद और आभार
"हर बात में धन्यवाद करो, क्योंकि यही परमेश्वर की इच्छा है मसीह यीशु में तुम्हारे लिये।"1 थिस्सलुनीकियों 5:18
यह आयत हमें यह सिखाती है कि हमें जीवन में, विशेष रूप से अपने विवाह संबंध में, हर छोटी-बड़ी बात के लिए धन्यवाद देना चाहिए। जब एक जोड़ा आभारी होता है, तो वह एक-दूसरे के साथ अपने रिश्ते को और भी अधिक मूल्यवान और प्यार भरा बना सकता है।
7. विश्वास और प्रार्थना
"तुम जो कुछ भी विश्वास से मांगोगे, वह तुम्हें मिलेगा।"मत्ती 21:22
जोड़े को यह याद रखना चाहिए कि विश्वास और प्रार्थना के माध्यम से वे अपने रिश्ते को परमेश्वर से आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। जब पति-पत्नी मिलकर प्रार्थना करते हैं, तो उनका विश्वास बढ़ता है और वे परमेश्वर की योजना के अनुसार अपने रिश्ते में शांति और प्रेम बना सकते हैं।
निष्कर्ष
विवाह एक महान आशीर्वाद है और इसे हमेशा परमेश्वर की दिशा और मार्गदर्शन के तहत जीना चाहिए। बाइबल के इन वचनों से जोड़े को यह सिखने को मिलता है कि उनका रिश्ता केवल एक सामाजिक या कानूनी बंधन नहीं है, बल्कि यह एक दिव्य आशीर्वाद है जिसमें वे एक-दूसरे के प्रति प्रेम, समर्पण और सहयोग के साथ परमेश्वर की योजना को पूरा करते हैं। जोड़े जब अपने रिश्ते में बाइबल के इन सिद्धांतों का पालन करते हैं, तो उनका रिश्ता मजबूत, शांति से भरा और परमेश्वर के आशीर्वाद से भरपूर होता है।
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