यीशु मसीह ने अपने मिशन के लिए 12 शिष्यों को चुना, जिन्हें "प्रेरित" भी कहा जाता है। ये वे साधारण लोग थे जिन्हें यीशु ने बुलाया और उन्हें अपने संदेश और शिक्षा को फैलाने की ज़िम्मेदारी सौंपी। आइए इन 12 शिष्यों की सूची को बाइबल के संदर्भों के साथ विस्तार से जानें।
यीशु के 12 शिष्यों की सूची
बाइबल में यीशु के 12 शिष्यों का उल्लेख मत्ती 10:2-4, मरकुस 3:16-19, और लूका 6:13-16 में मिलता है। इनके नाम निम्नलिखित हैं:
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पतरस (सिमोन)
- वह यीशु का प्रमुख शिष्य था और अक्सर सूची में सबसे पहले आता है। उसका नाम पहले सिमोन था, लेकिन यीशु ने उसे "पतरस" नाम दिया, जिसका अर्थ है "चट्टान"।
- बाइबल वचन: मत्ती 16:18 - "मैं इस चट्टान पर अपनी कलीसिया बनाऊंगा।"
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अन्द्रियास
- पतरस का भाई और पहला शिष्य जो यीशु के पास आया।
- बाइबल वचन: यूहन्ना 1:40-42
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याकूब (जब्दी का पुत्र)
- याकूब यूहन्ना का भाई और "गर्जन के पुत्र" (बोअनेरगेस) के नाम से जाना जाता था।
- बाइबल वचन: मरकुस 3:17
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यूहन्ना
- याकूब का भाई और यीशु के सबसे करीबी शिष्यों में से एक। वह "प्रेम का शिष्य" कहलाता था।
- बाइबल वचन: यूहन्ना 13:23
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फिलिप्पुस
- यीशु ने सीधे उसे बुलाया और वह तुरंत उनका अनुयायी बन गया।
- बाइबल वचन: यूहन्ना 1:43-45
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बरथोलोमाय (नाथनिएल)
- यीशु ने उसके बारे में कहा कि वह "सच्चा इस्राएली" है।
- बाइबल वचन: यूहन्ना 1:47
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मत्ती (लेवी)
- एक कर वसूलने वाला जिसने यीशु के बुलावे पर सब कुछ छोड़ दिया।
- बाइबल वचन: मत्ती 9:9
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तोमा (दिदुमुस)
- वह अपनी शंकाओं और विश्वास की गहराई के लिए जाना जाता है।
- बाइबल वचन: यूहन्ना 20:28 - "हे मेरे प्रभु और मेरे परमेश्वर।"
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याकूब (अलफई का पुत्र)
- इस याकूब के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है, लेकिन वह सूची में शामिल है।
- बाइबल वचन: मरकुस 3:18
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तददेय (लिब्बियस/यूहन्ना)
- उसे "यूदास, याकूब का पुत्र" भी कहा जाता है।
- बाइबल वचन: लूका 6:16
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सिमोन (कनानी/देशभक्त)
- वह "देशभक्त" सिमोन के नाम से भी जाना जाता है।
- बाइबल वचन: लूका 6:15
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यहूदा इस्करियोती
- वह वही शिष्य है जिसने यीशु को धोखा दिया।
- बाइबल वचन: मत्ती 26:14-16
इन शिष्यों की भूमिका
यीशु के 12 शिष्य साधारण पृष्ठभूमि से आए थे, लेकिन उन्होंने दुनिया में ईसाई धर्म को फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इन शिष्यों ने यीशु की शिक्षाओं को समझा, प्रचार किया, और अपने जीवन का बलिदान देकर सत्य के प्रति अपनी निष्ठा को साबित किया।
बाइबल में 12 शिष्यों का महत्व
- प्रेरिताई का प्रतीक: 12 शिष्य इस्राएल की 12 जातियों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
- विश्वास और समर्पण: ये शिष्य सिखाते हैं कि साधारण लोग भी परमेश्वर के उद्देश्य को पूरा कर सकते हैं।
- शिक्षा और प्रेरणा: उनके जीवन और उनके काम आज भी प्रेरणा का स्रोत हैं।
निष्कर्ष
यीशु के 12 शिष्य उनकी सेवकाई और उनके संदेश को फैलाने वाले पहले गवाह थे। इनके जीवन से हमें यह शिक्षा मिलती है कि परमेश्वर साधारण लोगों को भी असाधारण कामों के लिए चुनता है। बाइबल के ये पात्र हमें विश्वास, समर्पण और सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हैं।
यदि आप यीशु के शिष्यों के बारे में और जानना चाहते हैं, तो मत्ती 10:2-4, मरकुस 3:16-19, और लूका 6:13-16 को पढ़ें और प्रेरितों के कार्यों की कहानियों से प्रेरित हों।
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