परिचय
इस संसार की उत्पत्ति कैसे हुई? क्या यह एक संयोग मात्र था, या इसे किसी बुद्धिमान सृष्टिकर्ता ने बनाया? बाइबल की पहली पुस्तक उत्पत्ति (Genesis) अध्याय 1 में स्पष्ट रूप से बताया गया है कि परमेश्वर ने सृष्टि को अपने वचन के द्वारा बनाया।
इसके विपरीत, विज्ञान का विकासवाद (Evolution) यह दावा करता है कि मानव धीरे-धीरे जानवरों से विकसित हुआ। लेकिन क्या यह सच है? या यह केवल एक झूठी मान्यता है? इस लेख में हम बाइबल के सृष्टि सिद्धांत और विज्ञान के विकासवाद के झूठ की तुलना करेंगे।
1. परमेश्वर ने सृष्टि कैसे बनाई?
बाइबल कहती है:
"आदि में परमेश्वर ने आकाश और पृथ्वी की सृष्टि की।" (उत्पत्ति 1:1)
यह पहला वचन ही यह सिद्ध करता है कि यह सृष्टि परमेश्वर द्वारा बनाई गई है, न कि किसी प्राकृतिक प्रक्रिया द्वारा। विज्ञान के कई सिद्धांत समय के साथ बदलते रहते हैं, लेकिन बाइबल की सच्चाई हमेशा एक समान बनी रहती है।
1.1 सृष्टि के छः दिन
परमेश्वर ने छह दिनों में पूरी सृष्टि बनाई और सातवें दिन विश्राम किया।
- पहला दिन - परमेश्वर ने प्रकाश और अंधकार को अलग किया। (उत्पत्ति 1:3-5)
- दूसरा दिन - आकाश और जल को अलग किया। (उत्पत्ति 1:6-8)
- तीसरा दिन - पृथ्वी, समुद्र और पौधे बनाए। (उत्पत्ति 1:9-13)
- चौथा दिन - सूर्य, चंद्रमा और तारे बनाए। (उत्पत्ति 1:14-19)
- पाँचवां दिन - जलचर प्राणी और पक्षी बनाए। (उत्पत्ति 1:20-23)
- छठा दिन - भूमि के जीव-जंतु और मानव की सृष्टि की। (उत्पत्ति 1:24-31)
- सातवां दिन - परमेश्वर ने अपने सभी कार्यों से विश्राम किया। (उत्पत्ति 2:1-3)
1.2 मनुष्य को विशेष रूप से बनाया गया
परमेश्वर ने मनुष्य को अपने स्वरूप में बनाया।
"तब परमेश्वर ने कहा, हम मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार, अपनी समानता में बनाएँ।" (उत्पत्ति 1:26)
यह स्पष्ट करता है कि मनुष्य बंदरों या अन्य जीवों से विकसित नहीं हुआ, बल्कि विशेष रूप से परमेश्वर द्वारा बनाया गया।
2. विज्ञान के झूठ और विकासवाद (Evolution) का असत्य
विज्ञान का डार्विन का विकासवाद सिद्धांत (Theory of Evolution) यह दावा करता है कि जीवन धीरे-धीरे विकसित हुआ और मनुष्य की उत्पत्ति जानवरों से हुई।
2.1 विकासवाद की कमजोरियाँ
- अधूरी थ्योरी: वैज्ञानिकों के पास ठोस प्रमाण नहीं हैं कि एक जीव दूसरे जीव में बदला।
- जीवाश्म (Fossil) रिकॉर्ड अधूरा है: वैज्ञानिकों को कोई ऐसा जीवाश्म नहीं मिला, जो स्पष्ट रूप से दिखाए कि एक प्रजाति से दूसरी प्रजाति बनी।
- DNA की जटिलता: आधुनिक विज्ञान भी मानता है कि जटिल DNA कोड किसी बुद्धिमान स्रोत से आया होगा। यह परमेश्वर की उपस्थिति को दर्शाता है।
2.2 विकासवाद बनाम बाइबल
विज्ञान (Evolution) | बाइबिल (Creation) |
---|---|
जीवन प्राकृतिक प्रक्रियाओं से आया | जीवन परमेश्वर द्वारा सृजित हुआ |
ब्रह्मांड की उत्पत्ति बिग बैंग से हुई | ब्रह्मांड परमेश्वर के वचन से बना |
मनुष्य का विकास बंदरों से हुआ | मनुष्य परमेश्वर के स्वरूप में बनाया गया |
लाखों वर्षों में जीवन विकसित हुआ | जीवन कुछ ही दिनों में बना |
2.3 वैज्ञानिक प्रमाण जो बाइबल का समर्थन करते हैं
- पृथ्वी, ब्रह्मांड और जीवन की जटिलता यह दिखाती है कि कोई बुद्धिमान सृष्टिकर्ता अवश्य है।
- वैज्ञानिक खोजें यह दर्शाती हैं कि पृथ्वी का निर्माण परमेश्वर की योजना के अनुसार हुआ।
- मानव की नैतिक चेतना और आत्मा विज्ञान द्वारा समझाई नहीं जा सकती, जो यह प्रमाणित करता है कि मनुष्य केवल एक विकसित प्राणी नहीं, बल्कि परमेश्वर का विशेष सृजन है।
3. बाइबल और सच्ची सृष्टि की व्याख्या
बाइबल कहती है:
"क्योंकि हम विश्वास से चलते हैं, न कि देखने से।" (2 कुरिन्थियों 5:7)
3.1 परमेश्वर का उद्देश्य
परमेश्वर ने हमें अपने प्रेम और महिमा को प्रकट करने के लिए बनाया।
"हे यहोवा, तू ही सब वस्तुओं का सृष्टिकर्ता है, और तेरी इच्छा से वे हैं और उत्पन्न हुईं।" (प्रकाशितवाक्य 4:11)
3.2 विज्ञान परमेश्वर की सच्चाई को प्रमाणित करता है
आज भी कई वैज्ञानिक यह मानते हैं कि विकासवाद (Evolution) पूरी तरह से सिद्ध नहीं हुआ है। इसके विपरीत, कई वैज्ञानिक खोजें बाइबल की सच्चाई को प्रमाणित करती हैं।
"भूगोल, खगोलशास्त्र और जीव विज्ञान सभी बाइबल की सच्चाई को प्रमाणित करते हैं।"
3.3 परमेश्वर की सृष्टि का प्रमाण हमारे चारों ओर है
- प्राकृतिक सौंदर्य: पहाड़, नदियाँ, आकाश और तारे परमेश्वर की अद्भुत सृष्टि हैं।
- जीवन की जटिलता: हर जीव-जंतु में पाई जाने वाली संरचना यह दर्शाती है कि वे संयोगवश नहीं बने।
- मानव मस्तिष्क और आत्मा: विज्ञान अब तक यह नहीं समझ पाया कि आत्मा क्या है और यह कैसे कार्य करती है।
4. निष्कर्ष
इस संसार का निर्माण एक बुद्धिमान सृष्टिकर्ता द्वारा किया गया है, और वह परमेश्वर ही हैं।
- विज्ञान के सिद्धांत समय के साथ बदलते रहते हैं, लेकिन बाइबल की सच्चाई अटल और अपरिवर्तनीय है।
- परमेश्वर ने हमें अपने स्वरूप में बनाया, न कि किसी विकासवादी प्रक्रिया से।
- वैज्ञानिक प्रमाण भी अब यह दिखाने लगे हैं कि सृष्टि के पीछे एक बुद्धिमान योजना है।
4.1 हमें क्या करना चाहिए?
- परमेश्वर के वचन पर विश्वास करें: बाइबल सत्य है और हमें इसे स्वीकार करना चाहिए।
- विकासवाद के झूठ से बचें: यह एक असत्य सिद्धांत है जिसे बार-बार बदला गया है।
- प्रभु यीशु पर भरोसा रखें: वह ही सत्य, मार्ग और जीवन हैं।
"क्योंकि जो कुछ विश्वास से नहीं, वह पाप है।" (रोमियों 14:23)
4.2 अंतिम विचार
विज्ञान के झूठ पर विश्वास करने की बजाय, हमें बाइबल की सच्चाई को मानना चाहिए। परमेश्वर ही सृष्टिकर्ता हैं और संसार उनकी महिमा का प्रतिबिंब है।
"स्वर्ग परमेश्वर की महिमा का वर्णन करता है, और आकाशमण्डल उसकी हस्तकला को प्रकट करता है।" (भजन संहिता 19:1)
इसलिए, हमें परमेश्वर की सृष्टि को स्वीकार करना चाहिए और उसके अनुसार जीवन व्यतीत करना चाहिए।
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