खजूर पर्व, जिसे अंग्रेज़ी में Palm Sunday कहा जाता है, ईसाई धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है। यह ईसा मसीह के यरूशलेम में विजयी प्रवेश की स्मृति में मनाया जाता है। यह पर्व ईस्टर से एक सप्ताह पहले आता है और इस दिन को 'होसन्ना रविवार' भी कहा जाता है। यह पर्व न केवल ईसा मसीह के जीवन की एक महत्वपूर्ण घटना को याद करता है, बल्कि उनके नम्रता, शांति और उद्धार की ओर संकेत करता है।
खजूर पर्व की बाइबल में उत्पत्ति
बाइबल में खजूर पर्व की घटना नए नियम (New Testament) में चारों सुसमाचारों – मत्ती 21:1–11, मरकुस 11:1–11, लूका 19:28–44 और यूहन्ना 12:12–19 – में पाई जाती है।
इस वचन में हम देखते हैं कि लोग किस प्रकार खजूर की डालियाँ बिछाकर प्रभु यीशु का स्वागत करते हैं। यह एक राजा के सम्मान में दी जाने वाली अभिव्यक्ति थी, लेकिन यीशु ने गधे पर सवार होकर नम्रता और शांति का संदेश दिया।
खजूर पर्व का महत्व
- यीशु का यरूशलेम में प्रवेश शाही ठाठ से नहीं बल्कि एक गधे पर सवार होकर हुआ। यह दिखाता है कि वे एक विनम्र राजा हैं, जो शांति और उद्धार लाने आए हैं, न कि युद्ध और सत्ता के लिए।
- 2. खजूर की डालियों का प्रतीकात्मक अर्थ
- खजूर की डालियाँ यहूदियों के लिए विजय, शांति और समृद्धि का प्रतीक थीं। जब लोगों ने यीशु का स्वागत खजूर की डालियों से किया, तो यह उनकी आशा को दर्शाता था कि वह मसीहा (उद्धारकर्ता) हैं।
- 3. ‘होशाना’ का अर्थ
- 'होशाना' एक अरामी शब्द है, जिसका अर्थ होता है “कृपया हमें बचा लो।” यह एक विनती है जो लोग मसीह से उद्धार की आशा में कर रहे थे।
- 4. धार्मिक दृष्टिकोण से तैयारी
- खजूर पर्व, पवित्र सप्ताह (Holy Week) की शुरुआत करता है जो क्रूस पर चढ़ाए जाने और पुनरुत्थान की घटनाओं की ओर ले जाता है। यह सप्ताह आत्म-परीक्षण, प्रार्थना और प्रभु के प्रति समर्पण का समय होता है।
आज के समय में खजूर पर्व कैसे मनाया जाता है?
- 1. आराधना और विशेष सभाएँ
- चर्चों में विशेष आराधनाएँ और जुलूस निकाले जाते हैं जिसमें विश्वासी खजूर की डालियाँ हाथ में लेकर प्रभु की स्तुति करते हैं।
- 2. खजूर की डालियों का वितरण
- विश्वासी इन डालियों को आशीर्वादस्वरूप अपने घरों में ले जाते हैं और उन्हें सम्मानपूर्वक रखते हैं।
- 3. बच्चों की भागीदारी
- इस दिन बच्चों को भी प्रभु की स्तुति में सम्मिलित किया जाता है, जिससे वे यीशु के जीवन को जान सकें।
खजूर पर्व से मिलने वाली आत्मिक सीख
- 1. नम्रता और आज्ञाकारिता का पाठ
- यीशु का व्यवहार हमें यह सिखाता है कि सच्ची महानता नम्रता में है। हमें दूसरों की सेवा करने और प्रभु की इच्छा को मानने में ही गौरव समझना चाहिए।
- 2. उद्धार की आशा
- जैसे उस समय लोग 'होशाना' पुकारते हुए यीशु से उद्धार की आशा कर रहे थे, वैसे ही आज भी हम उन्हें अपने जीवन का राजा बनाकर उद्धार पा सकते हैं।
- 3. सच्चा विश्वास
- उस समय जिन लोगों ने यीशु का स्वागत किया, वही कुछ दिन बाद उन्हें क्रूस पर चढ़ाने की मांग करने लगे। इससे हमें सिखने को मिलता है कि हमारा विश्वास स्थिर और सच्चा होना चाहिए, न कि परिस्थितियों पर आधारित।
निष्कर्ष
खजूर पर्व केवल एक ऐतिहासिक घटना की याद नहीं है, बल्कि यह हमारे जीवन में प्रभु यीशु को एक सच्चे राजा और उद्धारकर्ता के रूप में स्वीकार करने का अवसर भी है। यह पर्व हमें नम्रता, प्रेम, सेवा और आत्मिक तैयारी की ओर बुलाता है। जब हम इस दिन को मनाते हैं, तो हमें यह याद रखना चाहिए कि प्रभु यीशु शांति के राजा हैं, जो हमारे जीवन में प्रवेश करना चाहते हैं – क्या हम उन्हें अपने दिल के सिंहासन पर बैठने देंगे?
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